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कलम की सुगंध : हिंदी साहित्य में एक नए छंद का आविष्कार

हिमाचल के शिक्षक व कवि परमजीत सिंह ने हिंदी साहित्य में एक नए छंद का आविष्कार किया है. गौरतलब है कि परमजीत सिंह वर्तमान में राजकीय प्राथमिक पाठशाला भटेड़ में शिक्षक के पद पर कार्यरत हैं. वे लगातार लेखन का कार्य भी करते हैं.

हिंदी साहित्य में एक नए छंद का आविष्कार
हिंदी साहित्य में एक नए छंद का आविष्कार

हिमाचल के शिक्षक व कवि परमजीत सिंह ने हिंदी साहित्य में एक नए छंद का आविष्कार किया है. गौरतलब है कि परमजीत सिंह वर्तमान में राजकीय प्राथमिक पाठशाला भटेड़ में शिक्षक के पद पर कार्यरत हैं. वे लगातार लेखन का कार्य भी करते हैं. वे राष्ट्रीय साहित्यकार मंच कलम की सुगंध के साथ जुड़े हैं. हाल ही में उन्होंने एक नए छंद का आविष्कार किया है जिसे राष्ट्रीय पटल कलम की सुगंध मंच द्वारा विशेषज्ञों की उपस्थिति में मान्यता भी प्रदान कर दी गई है. परमजीत सिंह हिमाचल प्रदेश के नैना देवी क्षेत्र से जुड़े एक छोटे से गांव डडोह के निवासी हैं. उनके द्वारा दिए गए छंद का विधान निम्न प्रकार से है.
कोविद सवैया छंद विधान:-

211 222 211 22= 11वर्ण, 18 मात्राएं
211 222 112 22= 11वर्ण, 18 मात्राएं
उपरोक्त विधान पर मंच के लगभग 25 कवियों ने अपनी कविताएं लिखी और मंच ने उन्हें सम्मानित भी किया।

परमजीत सिंह अब तक लगभग 10 सांझा संग्रह लिख चुके हैं. इनका एक एकल संग्रह कोविद गीतांजलि के नाम से प्रकाशन की प्रक्रिया में है. ये अब तक 200 नवगीत, 100 सोरठा, 100 विज्ञात बेरी छंद, 200 उल्लाला और 150 आल्हा आधारित छंद लिख चुके हैं. परमजीत सिंह "कोविद" ने साहित्य क्षेत्र की उपलब्धियों के लिए अपने साहित्यिक गुरु श्री संजय कौशिक विज्ञात जी, मंच संचालिका अनीता मंदिलवार सपना जी, श्री गोपाल पंडा जी, अनीता भारद्वाज अर्णव जी, श्री बाबूलाल बोरा विज्ञ जी, अर्चना पाठक निरंतर जी, कुसुम कोठारी जी, चमेली कुर्रे सुवासिता जी और आदरणीय नीतू ठाकुर विदुषी जी का विशेष आभार व्यक्त किया है जिन्होंने पग पग पर इस क्षेत्र में अपना सहयोग दिया है.

 


Published: 07-06-2021

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