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चीन की युद्ध कला

विकल्प शर्मा : नयी दिल्ली : चीन की इस नयी युद्ध कला को वो कितनी निष्ठा के साथ मानता है यह बात मार्च 2019 में पता चली जब चीन की कम्युनिस्ट पार्टी ने अपने नीतिगत दस्तावेज में यह ऐलान किया कि चीनी कम्पनियां कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ़ चाइना और राष्ट्रपति शी जि

चीन की युद्ध कला चीन की युद्ध कला

विकल्प शर्मा : नयी दिल्ली : चीन की इस नयी युद्ध कला को वो कितनी निष्ठा के साथ मानता है यह बात मार्च 2019 में पता चली जब चीन की कम्युनिस्ट पार्टी ने अपने नीतिगत दस्तावेज में यह ऐलान किया कि चीनी कम्पनियां कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ़ चाइना और राष्ट्रपति शी जिनपिंग के राजनैतिक दर्शन की ध्वजावाहक होंगी. यह ऐलान होने से पांच-छह बरस पहले से ही चीन कूटनीति की कमान अपनी सरकारी और निजी कम्पनियों को सौंप चुका था. 2019 तक शियोमी जैसी शीर्ष चीनी कम्पनियों के सी ई ओ सहित करीब 70 प्रतिशत निजी कम्पनियां कम्युनिस्ट पार्टी आफ चाइना के राजनैतिक तंत्र का हिस्सा बन चुकीं थीं. दोकलम से गलवान घाटी तक सीनाजोरी पर भारत का असमंजस चीन की जिस कूटनीति का नतीजा है वह कुछ माह पहले तक भारत की कामयाबी का पोस्टर थी. शांति के चुनाव के बावजूद भारत को चीन से आर्थिक दूरी बनानी होगी जो फिलहाल सबसे कठिन लक्ष्य दिखायी दे रहा है. दरअसल रिश्तों का जो नया हिंडोला साबरमती के किनारे शी जिन पिंग को सितम्बर 2014 में झुलाया गया था उसकी अदृश्य डोर पकड़ कर चीन की कम्पनियां मेक इन इंडिया के शेर पर सवार हो गयीं. हमने प्रत्येक उभरते कारोबार में पिछले पांच सालों में चीन का स्वागत किया है. 2014 भारत के लिये चीन का प्रस्थान बिंदु था. सरकारी घोषणाओं व दस्तावेजों पर आधारित बुकिंग्स का अध्ययन बताता है कि 2017 तक भारत में 800 चीनी कम्पनियां सक्रिय थीं जिनमें से एक तिहाई 2014 में पंजीकृत हुईं. 2010 में पुणे में फैक्ट्री लगाने तक जो कम्पनी भारत को सामान निर्यात करती थी 2016 आते आते यह उसकी चीन से बाहर सबसे बड़ी इकाई बन गयी और 50 प्रतिशत बाजार पर उसका कब्जा हो गया था. गुआंग्शी की विराट कम्पनी लियुगांग कम्पनी का 300 करोड़ रुपये का प्रीतमपुर, मध्यप्रदेश संयंत्र भी अब उत्पादन व निर्यात शुरू करने वाला है। बायकाट चाइना के जरिये चीन को सबक सिखाने वाले जान लें कि भारत उन शीर्ष देशों में नहीं है जिन्हें चीन सबसे ज्यादा आयात या निर्यात करता है. 2012 तक चीन भारत को केवल निर्यात करता था लेकिन पिछले पांच सालों में वो भारतीय आत्मनिर्भरता में सीधी हिस्सेदारी ले चुका है. सो चीन से असली जंग गलवान घाटी में नहीं बाजार में होगी. विश्व प्रसिद्ध पुस्तक 'आर्ट आफ वार' के लेखक और दार्शनिक 'सुन जू' कहते थे 'सबसे बड़ी जीत बिना युद्ध के मिलती है इसलिये अपने विरोधी का पुल बनाइये और उस पर चढ़ कर उस पार निकल जाइये।'

Published: 24-06-2020

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