Media4Citizen Logo
खबर आज भी, कल भी - आपका अपना न्यूज़ पोर्टल
www.media4citizen.com

नेपाल में भारत विरोध की बिसात

विकल्प शर्मा : नयी दिल्ली : नेपाली नेता अपने सार्वजनिक बयानों में भारत को मित्र राष्ट्र बताते हैं. सच भी है क्योंकि भारत और नेपाल के बीच जिस तरह के संबंध रहे हैं उसकी बराबरी की मिसालें बहुत कम हैं. हालांकि इस निकटता से नेपाल में घरेलू राजनीति का चौसर

नेपाल में भारत विरोध की बिसात
नेपाल में भारत विरोध की बिसात
विकल्प शर्मा : नयी दिल्ली : नेपाली नेता अपने सार्वजनिक बयानों में भारत को मित्र राष्ट्र बताते हैं. सच भी है क्योंकि भारत और नेपाल के बीच जिस तरह के संबंध रहे हैं उसकी बराबरी की मिसालें बहुत कम हैं. हालांकि इस निकटता से नेपाल में घरेलू राजनीति का चौसर बिछ जाता है और भारत विरोधी बातें करके वैश्विक भू राजनीति में विशेष रूप से चीन के साथ साथ दूसरे दक्षिण एशियाई देशों को भी भारत के बराबर दर्जा देना भी नेपाल की राजनीतिक बिसात का हिस्सा रहा है. पूरी दुनिया के साथ साथ भारत और नेपाल भी कोरोना महामारी से जूझ रहे हैं और आर्थिक रूप से भविष्य की राहें बड़ी मुश्किल दिख रही हैं. इसी बीच नेपाल ने कुछ भारतीय हिस्से को अपने भूभाग के रूप में दर्शाते हुए नक्शा जारी करके अपने भूगोल को नये सिरे से लिखने की कोशिश की है. घरेलू राजनीति और क्षेत्रीय और वैश्विक राजनीति को प्रभावित करने वाली इसकी नई शक्ति में इसकी वजह देखी जा सकती है. भारत के साथ नेपाल की पूर्वी और पश्चिमी सीमाएं सुगौली संधि के तहत निर्धारित की गईं थीं. काली नदी को नेपाल की पश्चिमी सीमा स्वीकारा गया था. नेपाल के नये नक्शे में काला पानी थिम्पियाधुरा और लिपुलेख शामिल हैं जिन्हें पारम्परिक रूप से काली के पश्चिम में माना जाता है. ये इलाके उस क्षेत्र में हैं जहां भारत, नेपाल और चीन तीनों की सीमाएं लगतीं हैं और यह कैलाश पर्वत से बहुत दूर नहीं है. सुगौली संधि और बाद के अधिकांश नक्शों और अन्य दस्तावेजों में इन क्षेत्रों को भारत के इलाकों के रूप में माना गया है लेकिन हाल के वर्षों में नेपाल इन हिस्सों पर अपना दावा जता रहा है. 2017 के अंत में हुए आम चुनाव में भारत विरोध के दबे स्वर के साथ राष्ट्रवादी भावनाएं उभार कर प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली नेपाल में सत्ता मे आये थे. उनकी पार्टी ने यह जीत नेपाल की कम्युनिस्ट पार्टी या सीपीएन के पूर्व प्रधानमंत्री प्रचंड की अगुवाई में माओवादियों की एकजुटता और संभवतः चीनियों के उदार समर्थन से हासिल की थी. सीमा मुद्दे पर पहली बार वबाल 2019 में हुआ था जब भारत ने जम्मू कश्मीर और लद्दाख में स्थिति के बदलाव के बाद अपना नया राजनीतिक मानचित्र जारी किया था. हालांकि उस नक्शे में बाहरी सीमाओं मे कोई बदलाव नहीं किया लेकिन नेपाल में राजनीतिक ताकतों ने भारत पर काला पानी, थिम्पियाधुरा और लिपुलेख के नेपाली क्षेत्रों पर अधिग्रहण का आरोप लगाया. भारत और नेपाल के सम्बंध पुराने और गहरे रहे हैं और इससे दोनों देशों के लोगों को अनगिनत फायदा होता रहा है. दोनों देशों के बीच न केवल कोरोना से मुक्त द्विपक्षीय माहौल की जरूरत है बल्कि इसे क्षेत्रीय और वैश्विक भूराजनीति सहित अन्य खींचतान और उठापटक से भी मुक्त रखना होगा.

Published: 27-05-2020

Media4Citizen Logo     www.media4citizen.com
खबर आज भी, कल भी - आपका अपना न्यूज़ पोर्टल