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चिकित्सा के क्षेत्र में हाथ मिला सकते हैं भारत और अमेरिका

विकल्प शर्मा : नयी दिल्ली : दुनिया को अब तक के सबसे बड़े आर्थिक संकट में ढकेलने वाले और रिकार्ड संख्या में लोगों की जान लेने वाले इस कोरोना वायरस का एक उजला पहलू ये है कि इसने दुनिया के दो सबसे बड़े और ताकतवर लोकतंत्र भारत और अमेरिका को बहुत करीब ला दि

चिकित्सा के क्षेत्र में हाथ मिला सकते हैं भारत और अमेरिका
चिकित्सा के क्षेत्र में हाथ मिला सकते हैं भारत और अमेरिका
विकल्प शर्मा : नयी दिल्ली : दुनिया को अब तक के सबसे बड़े आर्थिक संकट में ढकेलने वाले और रिकार्ड संख्या में लोगों की जान लेने वाले इस कोरोना वायरस का एक उजला पहलू ये है कि इसने दुनिया के दो सबसे बड़े और ताकतवर लोकतंत्र भारत और अमेरिका को बहुत करीब ला दिया है. हाल में इसी संबंध में भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और अमेरिकी बिजनेस टायकून बिल गेट्स की मुलाकात ने इस संयुक्त प्रयास को गति दे दी है. इस खतरनाक वायरस की वजह से मानवता के लिये गंभीर चुनौती सामने है. दोनों देशों के नेताओं को एहसास हो गया है कि चिकित्सा विज्ञान और दवा के क्षेत्र में अमेरिका की उत्कृष्टता और सस्ती व सुलभ दवा बनाने मे भारत की दक्षता न केवल कोविड 19 बल्कि भविष्य में भी ऐसी किसी चुनौती से उबरने का समाधान है. यह बहुत संभव है कि जन स्वास्थ्य भारत अमेरिका की राजनीतिक साझेदारी के स्तम्भ के रूप में उभर सकता है. अभी तक यह रक्षा और उर्जा क्षेत्र की ओर झुका हुआ था. तेजी से बदल रहे वैश्विक परिदृश्य में कोरोना को लेकर अविश्वास की वजह से रणनीतिकार अब जन स्वास्थ्य को एक राष्ट्रीय सुऱ़क्षा और संप्रभुता के मुद्दे के रूप में देख रहे हैं. यही वजह है कि अमरीकी राष्ट्रपति ट्रम्प ने खुद को एक अदृश्य सेना के खिलाफ युद्ध में खड़े राष्ट्रपति की संज्ञा दी. वो चीन की भूमिका को लेकर बहुत नाराज हैं और उन्होंने विश्व स्वास्थ्य संगठन पर इस महामारी के संकट में चीन के दुष्प्रचार का औजार बनने का भी आरोप लगाया. ट्रम्प की यात्रा के समय 25 फरवरी को नयी दिल्ली में भारत-अमेरिका वैश्विक राजनीतिक सहयोग के लिये दृष्टि और सिद्धांत नाम से जारी संयुक्त बयान में भी कहा गया कि कोविड 19 आपदा को रोकने, पहचानने और इस प्रतिक्रिया के वैश्विक प्रयासों के समर्थन के लिये मोदी और ट्रम्प प्रसिद्ध हैं. इसमें दोनों देशों के उपभोक्ताओं के लिये उच्च स्तर वाली सुरक्षा और प्रभावी दवा बनाने के लिये हुए द्विपक्षीय एम ओ यू की सराहना की गयी है. इसी के तहत अब दोनों देश चुपचाप मिल कर जल्द से जल्द सुलभ वैक्सीन और इलाज ढूंढने पर काम कर रहे हैं जो सिर्फ दोनों देशों के लिये नही बल्कि बाकी दुनिया को भी उपलब्ध करायी जायेगी. असल में स्वस्थ्य और वैज्ञानिक अनुसंधान के क्षेत्र में भारत और अमेरिका के बीच मजबूत भागीदारी ही इस बीमारी से लड़ने में अहम भूमिका निभा सकती है. कोरोना से लड़ाई की कुंजी यही है कि बचाव इलाज से बेहतर है.

Published: 16-05-2020

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