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बजट 2020-21: गांव को मजबूती और शहर को मरहम का इरादा

रजनीकांत वशिष्ठ : नयी दिल्ली : मोदी सरकार के वर्ष 2020-21 बजट में देश की पहली वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बड़े करदाताओं की गर्दन पर शिकंजा थोड़ा ढीला किया और उम्मीद की है कि इन पूंजी पैदा करने वालों से जो कर आयेगा उससे किसानों की आय दोगुनी करने की

बजट 2020-21: गांव को मजबूती और शहर को मरहम का इरादा
बजट 2020-21: गांव को मजबूती और शहर को मरहम का इरादा
रजनीकांत वशिष्ठ : नयी दिल्ली : मोदी सरकार के वर्ष 2020-21 बजट में देश की पहली वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बड़े करदाताओं की गर्दन पर शिकंजा थोड़ा ढीला किया और उम्मीद की है कि इन पूंजी पैदा करने वालों से जो कर आयेगा उससे किसानों की आय दोगुनी करने की दिशा में काम किया जायेगा, आधारभूत ढांचा विकसित किया जायेगा, गरीबों को छत मिलेगी और मध्यम वर्ग की जेब में खर्च करने के लिये थोड़ा पैसा आयेगा. इस तथ्य का सरकार को पता है कि देश की अर्थव्यवस्था बहुत सेहतमंद नहीं है. पर दिशा अगर सही हो तो आज न सही आने वाला समय सुनहरा होगा. निर्मला सीतारमण ने अपने बजट भाषण में इक्ष्वाकु वंश के राजा राम के परदादा राजा दिलीप के सिद्धांत पर चलने का इरादा किया है जिसका जिक्र महाकवि कालिदास ने अपने ग्रंथ रघुवंशम में किया है कि सूर्य जिस तरह जल को वाष्प में बदल कर बादल बनाता है और फिर उसे सब जगह बारिश के रूप में बराबर बांट देता है. राजा को अपनी करप्रणाली ऐसी ही रखनी चाहिये. एक और बात का इशारा निर्मला सीतारमण ने अपने सबसे लम्बे बजट भाषण में किया और वो है चाणक्य की सीख। चाणक्य ने कहा था कि राजा को व्यापार नहीं करना चाहिये। यही कारण है कि बजट में सरकार ने सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों के निनिवेश की ओर मजबूती से कदम उठाने का इशारा किया है. इस दिशा में एयर इंडिया, बीएसएनएल का नाम पहले ही चल रहा था. अब सरकार एलआईसी, आईडीबीआई के भी कुछ शेयर निजी हाथों को बेचेगी. ये ठीक है कि आजादी के तत्काल बाद सरकार को विकास के कुछ काम अपने हाथ में लेने पड़े होंगे. पर अब समय बदल गया है, व्यापार के तौर तरीके बदल रहे हैं और रोजगार के भी. ये भी सच है कि समय के साथ साथ ये सार्वजनिक उद्यम बड़े अफसरों और नेताओं के चारागाह बन गये थे और सरकार पर लगातार बोझ बनते जा रहे थे. व्यापार में नये आविष्कार हो रहे हैं और ये सरकारी चारागाह समय के साथ नहीं चल पा रहे हैं. और सरकारी उपक्रमों को निजी हाथों में सौंपने की प्रक्रिया तो आज से नहीं बहुत पहले से चल रही है. अपने बजट भाषण की भूमिका में निर्मला सीतारमण ने बताया कि 2014-19 के दौरान देश में मूलभूत और सैद्धांतिक बदलाव आया है. मुद्रा प्रसार नियंत्रण में आया है. जीएसटी के रूप में विश्व का सबसे बड़ा ढांचागत कर सुधार किया गया. उन्होंने पूर्व वित्त मंत्री अरुण जेटली के उस बयान का जिक्र किया कि जीएसटी लागू करके हमारा भारत ऐसा भारत होगा जिसमें केन्द्र और राज्य मिल कर एक होकर कार्य करेंगे. कर और उपकर मिलाकर एक किया गया. इंसपेक्टर राज का अंत हुआ. लघु, मंझोले कारोबारियों के दिन बहुरे क्योंकि अब विशाल औद्योगिक फेक्टरियों का दौर बुझ रहा है. औद्योगिक युग का स्थान अब तकनीकी युग ने ले लिया है. सरकार की वार्षिक आय में करों से एक लाख करोड़ की बढ़ोतरी हुई. कर जमा करने की प्रक्रिया को सरल बनाया गया. सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास के नारे के साथ डीबीटी को लागू किया गया. लाभार्थियों के खाते में सीधे पैसा पहुँचने लगा, बिचौलियों का दौर सिमटने लगा. स्वच्छ भारत, आयुष्मान भारत, सोलर उत्पादन, डिजिटलीकरण, आवास विकास के क्षेत्र में ईमानदारी से काम किया गया. बाहरी कर्ज का भार 52 प्रतिशत से कम करके 48.7 प्रतिशत पर लाया गया. देश की पहली महिला वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने पहले पूर्णकालिक बजट में तीन मानकों को ध्यान में रखा है. एक-एसपिरेशनल इंडिया, दो-इकोनामिक डेवलपेंट खासकर निजी क्षेत्र का और 3-केयरिंग सोसाइटी. एसपिरेशनल इंडिया में डिजीटल गर्वनेंस, इसमें खतरों को कम करना, बुजुर्गों असहायों को सोशल पेंशन तो है ही. हमारा भविष्य का एसपिरेशनल इंडिया कैसा हो उसे निर्मला जी ने एक कश्मीरी कवि पंडित दीनानाथ कौल की एक कविता से व्यक्त किया. जिसका अर्थ यूं था- हमारा वतन खिलते हुए शालीमार जैसा, डल लेक में खिलते हुए कमल जैसा। नवजवानों के गरम खून जैसा, मेरा वतन, तेरा वतन, हमारा वतन, दुनिया का सबसे प्यारा वतन। ऐसे प्यारे वतन में कृषि, सिंचाई और जल निकासी में अनुसंधान और विकास, 2022 तक किसान की आय दोगुनी करने का प्रयास और देश के 6.11 करोड़ किसानों के लिये कृषि उत्पादों का एक मुक्त बाजार तैयार करने की हमारी आकांक्षा है. बेशक ये काम हथेली पर सरसों जमाने जैसा नहीं होगा, इसमें कई बरस लग सकते हैं पर निर्मला सीतारामण ने मोदी 2.0 सरकार की सदिच्छा को पूरा करने के वास्ते 16 सूत्री कार्ययोजना तो पेश कर ही दी है इस बजट में. ये सूत्र हैं-कृषि योग्य भूमि का माडल तैयार करने के लिये राज्यों को प्रोत्साहित करना, पानी की कमी वाले 100 जिलों पर फोकस, अन्नदाता का उर्जादाता भी बनाना और इसके लिये 20 लाख किसानों को सोलर पम्पस तो दिये ही जायेंगे. बंजर जमीन पर जो किसान सोलर बिजली पैदा करेंगे उसे राज्यों के ग्रिड को बेच कर पैसा कमा सकेंगे. जैविक खाद को प्रोत्साहन, देश में 16.2 मीट्रिक टन क्षमता के कृषि वेयर हाउसों का निर्माण जिसमें राज्य अगर जमीन दे तो हम वेयर हाउस बना कर देंगे. अच्छे बीजों की उपलब्धता के लिये गांवों में नाबार्ड के सहयोग से धान्य लक्ष्मी योजना शुरू करना जिसे पूरी तरह ग्रामीण महिलाएं ही संचालित करेंगी. शोध बताते हैं कि अफ्रीका से कृषि युग महिलाओं द्वारा ही बीज संरक्षण और रोपण से प्रारंभ हुआ था. किसानों के लिये रेलों में दूध, मीट या अन्य कृषि उत्पादों के लिये कोल्ड सप्लाई चेन बनाने का निर्णय, नागर विमानन के सहयोग से कृषि, बागवानी उत्पादों को एक जगह से दूसरी जगह त्वरित गति से पहुँचाने खासकर निर्यात के लिये कृषि उड़ान सेवा की योजना है. हार्टीकल्चर के क्षेत्र में एक जिला, एक उत्पाद योजना को आगे बढ़ाने की योजना, अतिवर्षा वाले क्षेत्रों में जैविक खेती के माध्यम से समन्वित कृषि गतिविधियों का विकास. नान बैंकिंग कंपनियों के माध्यम से किसानों के लिये 15 लाख करोड़ रुपये के कृषि ऋण की व्यवस्था, पशुओं को 2025 तक रोगमुक्त करने का अभियान, समुद्रों और नदियों में मत्स्य पालन के जरिये नील अर्थव्यवस्था का विकास. युवा सागर मित्रों और 500 मत्स्य पालक संगठनों का विकास कराया जायेगा. इससे इन इलाकों में रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे. यूं किसानों के कर्जे माफ करके या विजली, पानी माफ करके किसानों को बीते सालों में उठाने का पुण्य लाभ पिछली सरकारें सत्ता में आने के लिए करती आयीं हैं. पर किसानों का वास्तव में दर्द बढ़ता ही गया ज्यों ज्यों दवा की. बेहिसाब कीटनाशकों और खरपतवारनाशकों के अंधाघुंघ प्रयोग से जमीनें बंजर होतीं गयीं और इन कृषि उत्पादों का प्रयोग करके आम आदमी बीमारियों का शिकार होते गये. किसान के सिर पर कर्ज का बोझ जहां का तहां रहा. आजादी के समय गांवों में रहने वाली आबादी आज अस्सी से घाट कर पचपन साठ प्रतिशत के आसपास है. नयी पीढ़ी खेती करना नहीं चाहती, कृषि योग्य भूमि को बेच कर शहरों में नौकरी के लिये भटक रही है. अब मोदी सरकार के एसपिरेशनल इंडिया में जिस तरह गंभीरता के साथ ग्रामीण भारत की समस्याओं को बजट के माध्यम से छूने की कोशिश की गयी है उन पर अगर पूरी ईमानदारी के साथ काम किया गया तो निश्चित ही आने वाले सालों में किसान की दशा और दिशा में सुधार होगा. एक और बात ये कि पहली बार किसी सरकार ने बंजर भूमि से पैसा कमाने का एक जरिया किसानों को सुझाया है. जबकि इससे पहले बंजर भूमि सुधार के नाम पर नेता और अफसर करोड़ों डकार गए. साथ ही साथ मोदी सरकार ने पहली बार नीली अर्थव्यवस्था पर काम का बीड़ा उठाया है जिसका असर आने वाले दिनों में नदियों या समुद्र के सहारे जीवन यापन करने वालों पर पड़ना लाजमी है. बजट में नागरिकों के वेलनेस की भी चिंता है. फिट इंडिया मूवमेंट, जलजीवन मिशन, स्वच्छ भारत मिशन, प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के तहत टू टियर और थ्री टियर जिलों में भी 20 हजार अस्पताल खोले जायेंगे. शौचालय निर्माण योजना में ओडीएफ प्लस को शामिल किया जायेगा. ताकि कहीं ऐसा न हो कि शौचालय तो बन जायें मगर लोग अपनी आदत न बदलें और खुले में शौच जाते रहें. शौचालच बन जाने के बाद सरकार इस आदत की निगरानी करेगी. स्वच्छ जल योजना के लिये बजट में 3.40 लाख करोड़ रखे गये हैं. शिक्षा और कौशल, साक्षरता और रोजगार के लिये भी बजट में ध्यान रखा गया है. नयी शिक्षा नीति जल्द ही सामने आने वाली है. इसके साथ ही शहरी स्थानीय निकायों में नये इजीनियरों की भरती की जायेगी जो समय के साथ शहरों में आने वाली चुनौतियों का सामना कर सकें. आओ भारत में पढ़ो योजना के तहत विश्व स्तरीय पुलिस और फोरेंसिक यूनिवर्सिटी की स्थापना की जायेगी. आर्थिक विकास के मोर्चे पर बजट में उद्योग, वाणिज्य और पूंजी निवेश का ख्याल रखा गया है. निर्मला जी इस बारे में कहती हैं कि चार हजार साल पहले सरस्वती और सिंधु सभ्यता के दौरान भारत इस क्षेत्र में अगुवा था. धातु विज्ञान में कौशल का सवाल हो या थोक व्यापार और उद्यमिता का मसला हो भारत के पास तकनीक थी. अब बदलते समय के साथ हमारा फोकस मोबाइल, गैजेट्स और मेडिकल डिवाइसेज के उत्पादन पर होगा. नेशनल टैक्सटाइल्स मिशन के जरिये भारत 16 बिलियन डालर के कपड़ा व्यापार को बढ़ाने और उसके निर्यात पर ध्यान देगा. निर्यातकों को मदद दी जायेगी और हर जिले को एक्सपोर्ट हब बनाया जायेगा. आधारभूत ढांचे के विकास के माध्यम से देश में आवागमन को और त्वरित बनाने के लिये एक लाख करोड़ का प्रावधान किया गया है. रेल लाइनों के किनारे सोलर पावर की व्यवस्था की जायेगी, पीपीपी माडल पर 150 नयी यात्री रेलगाड़ियां चलाईं जायेगी. नदी जल परिवहन और अर्थ गंगा के प्रधानमंत्री के सपने को साकार करने के लिये रोजगार की नयी संभावनाओं को विस्तार दिया जायेगा. हवाई ट्रैफिक भी तीन गुना बढ़ाने की योजना है। हर घर को बिजली, प्रीपेड स्मार्ट मीटर और नवीकरणीय उर्जा, गैस ग्रिड को दोगुना करने की योजना है. नयी अर्थव्यवस्था में डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर को तकनीक से पूरी तरह आच्छाादित करना, डेटा सेन्टर पार्क, क्वांटम टेक्नोलाजी महिला और बाल कल्याण और विकास, अनुसूचित जाति, जनजाति के लिये 85 हजार करोड़ रुपये और वरिष्ठ नागरिकों पर विशेष ध्यान दिया जायेगा. इसके अलावा भारत की संस्कृति और पर्यटन के विकास के लिये भी सरकार कदम उठायेगी. पर्यावरण और जलवायु के संरक्षण पर भारत दुनिया के सामने मोदी के दिये वचन को निभाया जायेगा. पूंजी निवेशक, किसान का सम्मान किया जायेगा और उनके जीवन को आसान और आनंद युक्त तो बनाया ही जायेगा राष्ट्रीय सुरक्षा से कोई समझौता नहीं होगा. पूर्वोत्तर, कश्मीर, जम्मू और लद्दाख में नयी सुबह हो चुकी है और वहां के विकास की विशेष योजनाएं बजट में हैं. निर्मला जी पूरे विश्वास से कहती हैं कि देश का वित्त क्षेत्र मजबूत है. ताजे बजट में मध्यम वर्ग को करों में थोड़ी राहत तो दी ही है. उन्हें विकल्प भी दिया है कि चाहे तो वो छूट की पुरानी कर प्रणाली को अपनायें या छूट के बगैर पांच लाख तक नो टैक्स वाली स्लैब वाली नयी कर प्रणाली को स्वीकार करें. चैरिटेबल संस्थओं पर कोई कर नहीं लगेगा. बिजली उत्पादन करने वालों को छूट दी गयी है. स्टार्ट अप और एमएसएमई में रियायत बढ़ायी गयी है. कुल मिला कर एक आम आदमी की तरह हमें यह कहने में कोई हिचक नहीं होनी चाहिये कि निर्मला सीतारमण के इस बजट में शहरी मध्य वर्ग को मरहम के साथ ही ग्रामीण भारत की बुनियाद को मजबूत करने का इरादा साफ झलकता है. साथ ही निर्माण और उत्पादन को गति देने का प्रयास किया है हां इसके नतीजे सामने आने में वक्त लग सकता है.

Published: 02-04-2020

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