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ग्रामीण युवाओं को फिर से याद दिलाना है-उत्तम खेती, मध्यम बान

रजनीकांत वशिष्ठ : नयी दिल्ली : कभी कहा जाता था-उत्तम खेती, मध्यम बान। निकृष्ट चाकरी, भीख निदान. पर कालांतर में परिस्थितियां कुछ ऐसी बदलीं कि देश के युवाओं का मन खेती से उचट गया और वे गांवों से शहरों की और पलायन कर नौकरी की तलाश में भटकने लगे. अब मो

ग्रामीण युवाओं को फिर से याद दिलाना है-उत्तम खेती, मध्यम बान ग्रामीण युवाओं को फिर से याद दिलाना है-उत्तम खेती, मध्यम बान

रजनीकांत वशिष्ठ : नयी दिल्ली : कभी कहा जाता था-उत्तम खेती, मध्यम बान। निकृष्ट चाकरी, भीख निदान. पर कालांतर में परिस्थितियां कुछ ऐसी बदलीं कि देश के युवाओं का मन खेती से उचट गया और वे गांवों से शहरों की और पलायन कर नौकरी की तलाश में भटकने लगे. अब मोदी सरकार की कोशिश है कि खेती किसानी मुनाफे का धंधा बने और युवाओं का शहरों की ओर पलायन रुके. ये कहना है केन्दीय कृषि मंत्री कैलाश चौधरी का जो बीते पखवारे नयी दिल्ली के किसान माल, पूसा में नेकोफ के कनौट प्लेस स्थित सेल्स शॉपिंग सेन्टर का उद्घाटन करने आये थे. उन्होंने बताया कि मोदी सरकार की योजना देश भर में ऐसे किसान माल स्थापित करने की है जहां जैविक खादों से पैदा किया गया उनका उत्पाद बेचने की व्यवस्था हो. हमारा लक्ष्य खेती किसानी में रासायनिक खादों का उपयोग कम हो और बढ़ती मांग के हिसाब से जैविक कृषि उत्पादों के उत्पादन, भंडारण, वितरण और विपणन में किसान का सबसे ज्यादा फायदा हो. देश के पहले जैविक खेती वाले राज्य सिक्किम की ओर ध्यान दिलाये जाने पर कृषि मंत्री ने कहा कि मोदी सरकार सिक्किम की तरह पूरे पूर्वोत्तर भारत में तो ऐसे क्लस्टर बनाये के लिये उपयुक्त जगह तय करने में जुटी ही है पूरे देश में किसान माल खोलना भी उसी दिशा की ओर एक कदम है. आज अगर देश के युवाओं का मन खेती से उचटा हुआ है तो उसका कारण ये है कि पिछले साठ सालों में ऐसा कुछ हुआ ही नहीं जिससे खेती किसानी फायदे और रोजगार का बेहतर साधन बन सके. सरकार किसान माल के साथ साथ जैविक उत्पादों के भंडारण और प्रसंस्करण पर भी काम कर रही है. श्री चौधरी ने ये माना कि जैविक उत्पादों के नाम पर लोगों को ठगा भी जा रहा है. इसके लिये सरकार इन उत्पादों के आईएसआई की तरह मानकीकरण पर भी विचार कर रही है. जैविक उत्पादों का अपना अलग मार्का होना चाहिये. 4 दिसम्बर 2019 को हुए इस आयोजन में नेकोफ के चेयरमैन रामइकबाल सिंह और विशेष प्रबंध निदेशक आर के ओझा ने भी अपने विचार रखे. इस अवसर पर पूसा के प्रोजेक्ट डाइरेक्टर जे पी शर्मा ने बताया कि अभी उत्पादक किसान को मुनाफे का केवल 25 प्रतिशत लाभ मिल पा रहा है, बाकी 75 प्रतिशत बिचौलिये हड़प ले जा रहे हैं. इसीलिये किसान को सीधे मंडियों से जोड़ने की तैयारियां की जा रही है. कर्नाटक, महाराष्ट्र, हिमाचलप्रदेश में किसानों और उपभोक्ताओं को सीधे जोड़ने का प्रयोग किया गया और उससे किसानों की आमदनी 2.25 लाख रुपये प्रति एकड़ बढ़ गयी. वैल्यू एडिशन में पूसा ने मदद की जिससे किसान को आलू, शहद और गेंहूं का दाम ज्यादा मिलने लगा. इसी वास्ते सारी मंडियों को जोड़ा जा रहा है. दिल्ली की मदर डेयरी को भी सीधे किसानों से जोड़ने का प्रयास किया गया है जिससे बिचौलियों के मुकाबले किसानों की आय पर असर पड़़ा है. श्री शर्मा ने बताया कि पूसा ने एक और काम हाथ में लिया है-मेरा गांव, मेरा गौरव। इस योजना के तहत राजस्थान, हरियाणा, और उत्तरप्रदेश के पांच पांच गांवों को पूसा संस्थान से जोड़ा गया है और उन्हें माडल गांव बनाने के लिये कृषि वैज्ञनिकों को लगाया गया है. उत्तरप्रदेश के मुजफ्फरनगर के कुटबी, और अलीगढ़ के राजपुर, राजस्थान के अलवर के बीजपुर, और हरियाणा के पलवल के खजूरका गांवों में श्री शर्मा और डा. जेपीएस डबास के नेतृत्व में यह काम चल रहा है. इस कार्यक्रम का कुशल संयोजन अमरनाथ तिवारी ने किया.

Published: 12-12-2019

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