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केंद्र ने तो कर दिया सब पानी-पानी

<p>&nbsp;उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड में इन दिनों सूख्ो का कहर बरपा हुआ है। पानी की किल्लत से जितना बुंदेलखंड के लोग बेहाल हैं उस पानी की मार से पूरे देश के उससे कहीं ज्यादा बवाले-जान में फंसे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ मुख्यमंत्री अखिलेश या

केंद्र ने तो कर दिया सब पानी-पानी
केंद्र ने तो कर दिया सब पानी-पानी

 उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड में इन दिनों सूख्ो का कहर बरपा हुआ है। पानी की किल्लत से जितना बुंदेलखंड के लोग बेहाल हैं उस पानी की मार से पूरे देश के उससे कहीं ज्यादा बवाले-जान में फंसे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की बहुप्रतीक्षित और बहुचर्चित मुलाकात भी सिर्फ सूख्ो और पानी तक ही सिमटी रही। यह रणनीति पूरी तरह से तैयार की केंद्र सरकार ने। केंद्र ने मुख्यमंत्री की मुलाकात को बहुआयामी बनाने के बजाय अचानक ऐसा मुद्दा खड़ा कर दिया कि वह किसी और गंभीर मुद्दे के बजाय पानी पर केंद्रित रहे इसके लिए केंद्र ने लंबी रणनीति बनायी। बुंदेलखंड में लंबे समय से पानी की किल्लत को लेकर लड़ाई चल रही है।

बीते दो महीने से वहां पानी की किल्लत को लेकर त्राहि-त्राहि मची है। इस पानी की किल्लत को दूर करने के लिए अखिलेश सरकार अपने स्तर पर प्रयास कर ही रही थी। तभी बिना राज्य सरकार की मांग के केंद्र सरकार ने दो दिन पहले उत्तर प्रदेश के झांसी स्टेशन पर दस बोगियों वाली पानी की ट्रेन रतलाम से भ्ोज दी। पानी की ट्रेन महोबा जाने के लिए आयी थी लेकिन झांसी के जिलाधिकारी ने उस ट्रेन को महोबा पहुंचाने में अपने हाथ खड़े कर दिये। उन्होंने कहा कि यह राज्य सरकार का काम है अगर वह अनुमति देगी तो टेàन बढ़ेगी। पानी पर पूरे 17 घंटे राजनीति गरमाती रही। अंततोगत्वा मुख्यमंत्री की दखल के बाद जब ट्रेन के डिब्बे खोले गये तो वह खाली निकली। इसके बाद तो राजनीति ने दूसरी ही करवट ले ली। केंद्र की इस रणनीति ने न केवल बुंदेलखंड के लोगों को मुंह चिढ़ाया बल्कि प्रदेश सरकार को बोलने का मौका मुहैया करा दिया। यही केंद्र सरकार की दूरदर्शी रणनीति थी। उन्होंने प्रधानमंत्री के साथ होने वाली बैठक की दिशा ही अपने हिसाब से बदल दी। केंद्र सरकार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को कोई ऐसा मैदान नहीं उपलब्ध कराना चाहते थ्ो जिस पर वह खुलकर बैटिंग कर सकें। इसीलिए केंद्र सरकार ने पानी के मुद्दे को हवा दी। उसके लिए पानी की खाली ट्रेन तक झांसी तक दौड़ा दी। उधर मुख्यमंत्री अखिलेश यादव भी पानी के मुद्दे पर केंद्ग सरकार को घ्ोर कर अपनी पीठ थपथपा रहे हैं कि उन्होंने केंद्र को खरी-खरी सुना दी। अखिलेश ने प्रधानमंत्री से बुंदेलखंड के सूख्ो के लिए 11 हजार करोड़ की मांग कर यह समझ लिया कि उन्होंने उत्तर प्रदेश के लिए बहुआयामी बजट मांग लिया है लेकिन इस बजट से उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड का कितना भला होने वाला है, यह तो वक्त बतायेगा। फिलहाल केंद्र उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री की ओर से उठने वाली कई अहम मांगों से निजात तो पा ही गया है। इसलिए यह निश्चित है कि केंद्र सरकार अपनी रणनीति पर सफल रही। बुंदेलखंड के लोगों की प्यास न बुझे तो कोई बात नहीं। उनकी किस्मत में तो सूखा ही है। कोई उनकी किस्मत कैसे बदल सकता है। लेकिन राजनेता अपनी राजनीति कैसे छोड़ सकते हैं।

Published: 05-07-2016

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