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गढ़ सेवा संस्थान के संरक्षक : अल्मोड़ा हादसे पर असंवेदनशील

गढ़ सेवा संस्थान के संरक्षक व पदाधिकारी क्यों हो गये अल्मोड़ा हादसे पर असंवेदनशील : जयेन्द्र रमोला

अल्मोड़ा हादसे पर असंवेदनशील
अल्मोड़ा हादसे पर असंवेदनशील

कांग्रेस नेता जयेन्द्र रमोला ने जारी एक बयान में कहा कि प्रदेश में दीपावली के दो दिन बाद अल्मोड़ा में बस हादसा हुआ जिसमें दर्जनों लोगों की मौत हो गई और कई घायल हुऐ जिनका इलाज एम्स सहित अन्य अस्पतालों में भी चल रहा है और इस भीषण हादसे को लेकर प्रदेश के मुख्यमंत्री ने राज्य स्थापना दिवस में होने वाले रंगारंग कार्यक्रमों को निरस्त कर सादगी से मनाने का ऐलान किया और ऐलान के साथ साथ राज्य स्थापना दिवस मनाया भी सादगी से वहीं ऋषिकेश में पूर्व वर्षों की भांति छठ पूजा का बड़ा आयोजन होने जा रहा था जिसे सार्वजनिक छठ पूजन समिति के पदाधिकारियों अल्मोड़ा बस हादसे को देखते हुए समिति के सभी रंगारंग कार्यक्रमों को रद्द किया और उन कार्यक्रमों की जगह उन्होंने पहले हादसे मृत हुऐ लोगों की आत्मा की शांति के लिये ११०० दीपों प्रज्वलित कर गंगा नदी में दीप दान कर श्रद्धांजलि अर्पित की और दूसरे दिन इक्वान हवन कुंडों में हवन कर घायलों के शीघ्र स्वास्थ्य के लाभ की कामना की और पूर्वांचल समाज के लोगों ने ऋषिकेश में संदेश देने का काम किया कि वे कितने संवेदनशील हैं वहीं दूसरी ओर *गढ़ सेवा संस्थान ऋषिकेश* के पदाधिकारियों ने इगास पर्व को धूमधाम से मनाने के साथ साथ रंगारंग कार्यक्रम,नृत्य, मण्डाण आदि के आयोजन का कार्यक्रम रखा है जोकि सही नहीं ।

रमोला ने कहा कि अल्मोड़ा बस हादसे को अभी छ: दिन भी नहीं हुए और अभी से ऐसे आयोजन करना कहीं ना कहीं हमारी संस्कृति और संस्कार को शर्मसार करता है लेकिन आयोजक सत्ता के मद में भूल गये कि दर्जनों लोगों की मौत हो गई और तो और एक चार साल की बच्ची ने अपने माता पिता खो दिये और कई अभी जिदंगी जंग लड़ रहे हैं ये भूल गये कि उत्तराखण्ड की

यह संस्कृति नहीं है ।

रमोला ने कहा कि मेरा सभी आयोजकों से निवेदन है कि इगास मनायें परन्तु सादगी से नाकि नाज गाने से और जो लाखों रूपये इस कार्यक्रम में खर्च होना है वह मृतकों के परिजनों और घायलों की मदद के लिये भेंजे तभी असली इगास ( पहाड़ी दीवाली ) मनेगी ।

रमोला ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से माँग की है कि वे इस मामले का संज्ञान लें और ऐसे आयोजन को तत्काल रद्द करें ताकि ये संदेश जा सके कि जब उत्तराखण्ड में वर्षों से रहने वाले पूर्वांचल के लोग ऐसे हादसों पर संवेदनशील हैं तो उत्तराखण्ड की गढ़ संस्था और उसके संरक्षक और पदाधिकारी क्यों संवेदनहीन हो गये ।


Published: 10-11-2024

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