चुनौतियाँ में बदलाव की राह
उत्तर प्रदेश, भारत का सबसे अधिक जनसंख्या वाला राज्य, सामाजिक-आर्थिक चुनौतियों के कारण विकास के कई मोर्चों पर पिछड़ा हुआ था। इस स्थिति को सुधारने के लिए राज्य सरकार ने पिछले कुछ वर्षों में विभिन्न सामाजिक कल्याण योजनाओं का आरंभ किया है। इन योजनाओं का उद्देश्य राज्य के गरीब, ग्रामीण, अल्पसंख्यक, अनुसूचित जाति/जनजाति समुदायों और महिलाओं जैसे वंचित वर्गों के जीवन को सुधारना है। प्रधानमंत्री आवास योजना, उज्ज्वला योजना, वृद्धावस्था पेंशन योजना, और कन्या सुमंगला योजना जैसे कार्यक्रम इन लक्ष्यों को पाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। इन योजनाओं की सफलता की कहानियाँ राज्य के विकास में आए सकारात्मक बदलावों को रेखांकित करती हैं, लेकिन इसका पूर्ण लाभ तब ही संभव है जब लाभार्थियों तक सही तरीके से पहुँच बने, प्रक्रियाओं को और सरल बनाया जाए, और जागरूकता को व्यापक रूप दिया जाए।
उत्तर प्रदेश सरकार ने वंचित समुदायों के जीवन में सुधार लाने के लिए कई महत्वपूर्ण योजनाएं शुरू की हैं। एक प्रमुख योजना, प्रधानमंत्री आवास योजना, गरीबों को पक्के घर प्रदान करने का लक्ष्य रखती है। 2023 के अंत तक, उत्तर प्रदेश में 1.7 करोड़ से अधिक गरीबों को इस योजना के अंतर्गत आवासीय सुविधा मिल चुकी थी। खासकर ग्रामीण इलाकों में, जहाँ कमजोर तबके के लोग कच्चे मकानों में रहते थे, इस योजना ने उन्हें स्थायी और सुरक्षित आवास प्रदान किया है। इसके साथ ही, उज्ज्वला योजना ने महिलाओं के जीवन में एक बड़ा बदलाव लाया है। पहले ग्रामीण इलाकों की महिलाएं लकड़ी और कोयले के चूल्हों पर खाना पकाने के लिए मजबूर थीं, जिससे न केवल उनके स्वास्थ्य पर असर पड़ता था, बल्कि उनके घर में भी प्रदूषण का स्तर अधिक होता था। उज्ज्वला योजना के तहत करीब 2.5 करोड़ से अधिक परिवारों को मुफ्त गैस कनेक्शन दिए गए हैं, जिससे ग्रामीण महिलाओं को स्वस्थ, सुरक्षित और सस्ती ऊर्जा तक पहुंच मिली है। इस योजना ने महिलाओं की दैनिक दिनचर्या को आसान बनाया है और उनके स्वास्थ्य में भी सुधार लाया है।
कन्या सुमंगला योजना भी महिला सशक्तिकरण के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण कदम है। इस योजना के तहत अब तक 10 लाख से अधिक बालिकाओं को वित्तीय सहायता दी जा चुकी है, जिससे वे अपनी शिक्षा को जारी रख सकें और अपने भविष्य को सुरक्षित बना सकें। इस योजना का उद्देश्य जन्म से लेकर उच्च शिक्षा तक के विभिन्न चरणों में लड़कियों को आर्थिक सहायता प्रदान करना है। इसके साथ ही यह योजना महिलाओं के सशक्तिकरण और लैंगिक असमानता को कम करने की दिशा में अहम भूमिका निभा रही है। वृद्धावस्था पेंशन योजना ने बुजुर्गों को वित्तीय सहयोग प्रदान किया है। बुजुर्ग जो शारीरिक रूप से काम करने में असमर्थ हैं और जिनके पास आय का कोई निश्चित स्रोत नहीं है, उन्हें इस योजना के माध्यम से आर्थिक सहारा मिलता है। इससे गरीब और वृद्ध नागरिकों की जिंदगी में स्थिरता और सुरक्षा की भावना आई है।
राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (NFHS-5) के अनुसार, ग्रामीण और आर्थिक रूप से कमजोर समुदायों तक योजनाओं के लाभ पहुँचाने की दिशा में राज्य सरकार ने महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। उदाहरण के लिए, प्रधानमंत्री आवास योजना के अंतर्गत 1.7 करोड़ से अधिक आवास वितरित किए गए हैं, और उज्ज्वला योजना के तहत 2.5 करोड़ से अधिक परिवारों को मुफ्त गैस कनेक्शन मिले हैं। इसके बावजूद, NFHS-5 के आंकड़े दर्शाते हैं कि उत्तर प्रदेश में केवल 30% महिलाओं के पास बैंक खाते हैं जिनका वे स्वयं संचालन करती हैं। यह दर्शाता है कि महिला सशक्तिकरण की दिशा में सरकार के प्रयासों के बावजूद, अभी भी महिलाएं पूरी तरह से आर्थिक आत्मनिर्भर नहीं बन पाई हैं। कन्या सुमंगला योजना के अंतर्गत अब तक लाखों बालिकाओं को सहायता दी गई है, लेकिन इसे और व्यापक बनाने के लिए अभी भी सुधार की आवश्यकता है। आंकड़े दर्शाते हैं कि कई गरीब परिवार इस योजना का लाभ नहीं उठा पा रहे हैं, क्योंकि उन्हें योजना के बारे में सही जानकारी नहीं है या वे आवेदन की प्रक्रिया में अड़चनों का सामना कर रहे हैं। इसी प्रकार वृद्धावस्था पेंशन योजना के तहत ग्रामीण इलाकों में कई वृद्ध नागरिकों को पेंशन का लाभ नहीं मिल पाता, जिसका कारण कागजी कार्रवाई की जटिलता और आवेदन प्रक्रिया की कठिनाई है।
जैसा कि प्रत्येक योजना में होता है, कुछ समस्याएं और चुनौतियां भी हैं। ग्रामीण और वंचित तबकों तक योजनाओं के लाभ पहुंचाने में निम्नलिखित मुख्य अवरोध हैं। कई बार ग्रामीण इलाकों के लोगों को सरकारी योजनाओं के बारे में पूरी जानकारी नहीं होती। खासकर महिलाएं, जो आर्थिक और सामाजिक दृष्टि से अधिक सशक्त हो सकती हैं, कई बार इन योजनाओं के बारे में अंजान होती हैं। अधिकतर सरकारी योजनाओं में पात्रता के लिए अनेक दस्तावेजों की आवश्यकता होती है। ग्रामीण गरीब और अशिक्षित लोग इस प्रक्रिया को आसानी से पूरा नहीं कर पाते, जिससे वे योजनाओं का लाभ नहीं उठा पाते। योजनाओं के क्रियान्वयन में भ्रष्टाचार और बिचौलियों की भूमिका को लेकर भी शिकायतें देखी जाती हैं। कई बार यह देखा गया है कि योजना का पैसा जरूरतमंदों तक पहुँचने से पहले ही बिचौलियों के हाथों में चला जाता है। योजनाओं के सफल कार्यान्वयन के लिए एक सशक्त निगरानी तंत्र का अभाव है। इससे योजनाओं की गुणवत्ता और उनके सही लाभार्थियों तक पहुँचने की संभावना को बढ़ावा मिलता है।
सरकार को ग्रामीण और अल्पसंख्यक इलाकों में व्यापक जन-जागरूकता अभियान चलाने चाहिए। इस कार्य में स्थानीय समुदायों, स्वयं सहायता समूहों, और महिला मंडलों को शामिल करना चाहिए ताकि लोगों को योजनाओं के लाभ और प्रक्रिया के बारे में पूरी जानकारी मिल सके। सरकार ने कई योजनाओं को डिजिटल प्लेटफार्म पर लाने की कोशिश की है, लेकिन इसे और सरल और सहज बनाने की आवश्यकता है। डिजिटल अभियान के तहत लाभार्थियों का पंजीकरण और आवेदन प्रक्रिया को और अधिक पारदर्शी और सुगम बनाया जाना चाहिए। योजनाओं का क्रियान्वयन सुनिश्चित करने के लिए स्थानीय संगठनों और स्वयंसेवी संस्थाओं का सहयोग लिया जा सकता है। यह संस्थाएं ग्रामीण समुदायों में जमीनी स्तर पर लोगों की पहचान कर सकती हैं, जो इन योजनाओं के वास्तविक लाभार्थी हो सकते हैं। योजनाओं के सफल कार्यान्वयन के लिए एक स्वतंत्र निगरानी तंत्र स्थापित करना आवश्यक है। इससे योजनाओं की गुणवत्ता और उनके सही लाभार्थियों तक पहुँचने की संभावना को बढ़ावा मिलेगा। महिलाएं किसी भी समाज का महत्वपूर्ण हिस्सा होती हैं और उनके सशक्तिकरण से पूरे समाज का उत्थान संभव होता है। सरकार को विशेष रूप से महिलाओं के लिए वित्तीय साक्षरता कार्यक्रम चलाने चाहिए, ताकि वे योजनाओं के लाभ लेने के लिए अपने बैंक खातों को खुद संचालित कर सकें। यह आवश्यक है कि योजनाओं में कागजी कार्यवाही और पात्रता की शर्तों को सरल किया जाए। खासकर वृद्धावस्था पेंशन और कन्या सुमंगला योजना में आवेदन प्रक्रिया को सरल बनाना बेहद आवश्यक है ताकि अधिक से अधिक जरूरतमंद व्यक्ति इसका लाभ ले सकें।
उत्तर प्रदेश की सरकार ने सामाजिक कल्याण योजनाओं के माध्यम से राज्य के वंचित समुदायों के जीवन में सुधार लाने के लिए कई प्रभावी कदम उठाए हैं। प्रधानमंत्री आवास योजना, उज्ज्वला योजना, कन्या सुमंगला योजना और वृद्धावस्था पेंशन जैसी योजनाओं ने लाखों लोगों को एक बेहतर जीवन जीने का अवसर दिया है। इन योजनाओं के तहत गरीबों, महिलाओं, बुजुर्गों और अल्पसंख्यकों के जीवन में बड़े बदलाव आए हैं। हालांकि, इन योजनाओं को और अधिक प्रभावी बनाने के लिए कुछ सुधारात्मक कदम उठाने की आवश्यकता है। जमीनी स्तर पर जागरूकता बढ़ाकर, आवेदन प्रक्रिया को सरल बनाकर, और भ्रष्टाचार पर कड़ी नजर रखकर यह सुनिश्चित किया जा सकता है कि इन योजनाओं का लाभ सही लाभार्थियों तक पहुंचे। राज्य सरकार के ये प्रयास भविष्य में समाज के प्रत्येक वर्ग के लिए सामाजिक और आर्थिक समृद्धि सुनिश्चित करेंगे।
- आसिफ़ ज़मां रिज़वी
युवा मुस्लिम भाजपा नेता