कार्तिक मास शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाया जाने वाला छठ पर्व बिहार, झारखण्ड, नेपाल और कई अन्य राज्यों में भी श्रद्धा और भक्ति भाव से मनाया गया।
नहाय खाय, खरना, अस्ताचल और उदयगामी सूर्य देवता को अर्घ्य देने के साथ 36 घंटे का छठ महा पर्व आज सुबह उदयागामी सूर्य देवता को अर्घ्य देने के साथ सम्पन्न हो गया।
कंकरबाग, बिहार की रहने वाली अंजू बताती हैं कि हम विगत 10 वर्षों से ये व्रत कर रहे हैं । स्वच्छता, सजावट, विधि विधान से पूजा अर्चना भोजन और प्रसाद बनाना बहुत अच्छा लगता है l चूल्हे में धीमी आंच से ठेकुआ जब हम बनाते हैं तो एक अलग ही आनंद की अनुभूति होती है।
गंगा जी या घर पर ही घाट बना कर आजकल महिलाएं सूर्य देवता की पूजा अर्चना करते हैं। अदरक और गुड़ और गर्म पानी पीकर व्रत पारण करती हैं। उसके बाद सूप में प्रसाद का वितरण करके स्वयं भी ग्रहण करती हैं।
फिर घर आकर दाल, चावल, सब्जी, पकोड़ी पकाते और खाते
हैं ।
पटना निवासी वंदना कहती हैं शादी के 24 साल हो गए, मैं व्रत नहीं करती परंतु व्रती महिलाओं के साथ बाज़ार, घर और घर पर बनाए जाने वाला घाट की साफ सफाई और सजावट करते हैं ।
साथ ही गुड़ और आटे से तैयार स्वादिष्ट ठेकुआ बनाने में उनका सहयोग भी करते हैं।
पटना के युवा विद्यार्थी तिशीर कहते हैं कि छठ पर्व आते ही बहुत अच्छा लगता है बहुत खुशी भी होती है कारण शहर चारों ओर जग मग जग मग करता है और साफ सफाई तो पूछिए मत, शहर में कचड़े का एक तिनका भी देखने को नहीं मिलता।
अगर हम हर दिन पर्व सोचकर ही साफ सफाई का ध्यान रखें तो हमारा पर्यावरण तो स्वच्छ होगा ही और मानव जीवन स्वतः ही निरोग रहेगा।
- बबिता बसाक लखनऊ