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नेतृत्व को तैयार : कांग्रेस का कमांडर

कर्नाटक विजय के बाद विरोधियों की नज़र में कांग्रेस का पप्पू आज एक परिपक्व राजनेता की कतार में खड़ा हो चुका है। यही नही भाजपा के खिलाफ विपक्षी दलों के बीच एका बनाने की भूमिका में राहुल गांधी और कांग्रेस की अनदेखी करना किसी भूल से कम नही होगा। दक्षिण भारत की सियासत में कर्नाटक को केन्द्र माना जाता है।

कांग्रेस का कमांडर
कांग्रेस का कमांडर

कर्नाटक विजय के बाद विरोधियों की नज़र में कांग्रेस का पप्पू आज एक परिपक्व राजनेता की कतार में खड़ा हो चुका है। यही नही भाजपा के खिलाफ विपक्षी दलों के बीच एका बनाने की भूमिका में राहुल गांधी और कांग्रेस की अनदेखी करना किसी भूल से कम नही होगा। दक्षिण भारत की सियासत में कर्नाटक को केन्द्र माना जाता है। दक्षिण राज्यीय सियासत में यह एक अहम सूबा है जिस प्रकार उत्तर भारत की सियासत में यूपी को तरजीह दी जाती है ठीक उसी प्रकार दक्षिण की सियासत में कर्नाटक को वही दर्जा प्राप्त है। हालांकि यूपी और कर्नाटक में जनसख्यीय और सीटो के नजरिए से दोगुना अंतर है।

कर्नाटक में आंतरिक कलह से बंजर होती सियासी जमीन को उपजाऊ बनाने में कांग्रेस कामयाब हुई है। वह किसी बड़ी उपलब्धि से कम नही है। दूसरी तरफ विपक्षी एकता की चल रही कवायद में भी कांग्रेस ने एक नया मुकाम हासिल किया है। हिमाचल के बाद कांग्रेस की कर्नाटक में दूसरी विजय उसकी मेहनत को बयां करती है। लोकसभा चुनाव 2019 में करारी मात खाने के बाद राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा ने कांग्रेस को नया जीवन दिया है।

लोकसभा चुनाव 2019 के बाद कांग्रेस में टूटन- घुटन का सिलसिला चल पड़ा। उसके कई नामचीन नेताओं ने पार्टी छोड़कर या तो अपना नया दल बना लिया अथवा सत्ता की भूख को शांत करने की गरज से भाजपा की भगवा टोली का हिस्सा बन गये। कांग्रेस में टूटन का ही नतीजा यह रहा कि उसके हाथ से मध्यप्रदेश और कर्नाटक की सत्ता भाजपा के पाले में चली गयी थी। इसी कड़ी में एक अन्य अहम सूबा पंजाब भी कांग्रेस के हाथ से फिसलकर आप के साथ चला गया।

लोकसभा चुनाव के पहले अभी कई राज्यों में विधान सभा के आम चुनाव होने हैं। ये चुनाव काफी दिलचस्प होने की उम्मीद जाहिर की जा रही है क्योकि इन राज्यों के चुनाव के कुछ ही महीनों के बाद लोकसभा के लिए आम चुनाव का एंलान हो सकता है। इन राज्यों के चुनावी नतीजे भी लोकसभा के चुनावी नतीजों पर आंशिक असर डाल सकते हैं। जनता के मत का रुझान मिल जाता है। जो राज्यों के चुनाव के मुकाबले कुछ न कुछ असर जरुर डालते हैं। एक ओर प्रमुख विपक्षी दल जहां इन राज्यों में जीत दर्ज करने की पुरजोर कोशिश करेंगे दूसरी तरफ भाजपा भी अपने वजूद और रसूख को कायम रखने के लिए कोई कोर-कसर नहीं छोड़ेगी। इस संभावना से भी इंकार नही किया जा सकता है कि इन राज्यों के चुनावी नतीजे मुल्क की सियासत को एक नई दिशा देने में खास भूमिका निभायेंगे।

हम जिस विपक्षी एकता की बात कर रहे हैं उसमें क्षेत्रीय दलों के तेवर अब ढीले पड़ने लगे हैं। पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने साफ कह दिया है जहां कांग्रेस मजबूत है वहां कांग्रेस लड़े। कुछ इसी तर्ज पर नितीष कुमार भी संकेत दे चुके हैं । सभी विपक्षी दलों को भली प्रकार से पता है कि मोदी को हटाने के लिए विपक्ष के सियासी दलों को अपनी झूठी शानो-शौकत और महत्वाकांक्षा का परित्याग करना ही होगा। तभी विपक्षी दल अपना लक्ष्य, अपना मुकाम हासिल कर सकेंगे।

 


Published: 21-05-2023

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