जिला जेल में मनाया गया काकोरी बलिदान दिवस
मालिक तेरी रजा रहे और तू ही तू रहे बाकी,
न मैं रहूं न मेरी आरजू रहे.
फांसी से पहले क्रांतिकारी रामप्रसाद बिस्मिल के मुंह से निकले इस शेर ने आजादी के दीवानों के सीने में जोश ही नहीं भरा बल्कि यह अंग्रेजों की ताबूत की अंतिम कील साबित हुई. कहा जाता है कि रामप्रसाद बिस्मिल्लाह फांसी से पहले जेल की कालकोठरी की दीवारों पर अपने नाखूनों से इस शेर को लिखा था और यह शेर आज भी लोगों के दिलों में आजादी का जज्बा जगा देता है.
सोमवार यानी 19/12/2022 को शहीद बलिदान दिवस के अवसर पर आजादी के लिए हँसते-हँसते अपने प्राणों को बलिदान कर देने वाले तथा शाहजहांपुर की वीरभूमि पर जन्म लेने वाले अमर शहीद अश्फाक उल्ला खां, पं.रामप्रसाद विस्मिल तथा ठा.रोशन सिंह की प्रतिमाओं पर माल्यार्पण व कैंडल जलाकर श्रध्दांजलि दी. साथ ही सभी अधिकारियों ने भी कारागार में स्थित शहीद पार्क में शहीद स्मारक पर माल्यार्पण कर पुष्पांजलि अर्पित की. इसके बाद सभी अधिकारियों, कर्मचारियों व बंदियों ने पूरे कारागार परिसर में तिरंगा यात्रा निकली और देशभक्ति व अमर शहीदों के तमाम नारे भी लगाये.
इसके बाद बंदियों द्वारा काकोरी काण्ड व अमर शहीद पं.रामप्रसाद विस्मिल, अश्फाक उल्ला खां व ठाकुर रोशन सिंह को सजा सुनाये जाने व फांसी पर लटकाये जाने से सम्बंधित घटना को नुक्कड नाटक के रूप में प्रस्तुत कर सबको भावुक होने पर मजबूर कर दिया. किशोर बंदियों ने देशभक्ति से ओतप्रोत नाटिका 'जय हो' का मंचन किया, जिसने सभी को देशभक्ति व जोश से ओतप्रोत कर दिया. वहीं बंदी अमित व उसकी टीम ने विभिन्न सांस्कृतिक भजन प्रस्तुत किए-
"सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है,
देखना है जोर कितना बाजुए कातिल में है."
गौरतलब है कि काकोरी ट्रेन एक्शन को हमेशा रामप्रसाद बिस्मिल, अशफाक उल्ला खां, राजेंद्र प्रसाद लाहिड़ी व अन्य कई क्रांतिकारियों के लिए जाना जाता है. तब हिंदुस्तान रिपब्लिक एसोसिएशन से जुड़े क्रांतिकारियों ने इस एक्शन को अंजाम दिया था. यह एक ट्रेन लूट से जुड़ा मामला है, जोकि काकोरी से चली थी. आंदोलनकारियों ने इस ट्रेन को लूटने का प्लान बनाया था. जब ट्रेन लखनऊ से करीब 8 मील की दूरी पर थी, तब उसमें बैठे तीन क्रांतिकारियों ने गाड़ी को रुकवाया और सरकारी खजाने को लूट लिया.