Media4Citizen Logo
खबर आज भी, कल भी - आपका अपना न्यूज़ पोर्टल
www.media4citizen.com

नेपाल में चुनाव आयोग ने : 20 नवंबर को मतदान मुकर्रर कर दिया

भारत के पड़ोसी मित्र मुल्क नेपाल में चुनावी आहट का शंख नाद हो चुका है. नेपाल की विभिन्न राजनीतिक पार्टियों ने जिताऊ सूरमाओं का चयन कर चुनावी समर मे उतारने का सिलसिला तेज कर दिया है.

20 नवंबर को मतदान मुकर्रर कर दिया
20 नवंबर को मतदान मुकर्रर कर दिया

भारत के पड़ोसी मित्र मुल्क नेपाल में चुनावी आहट का शंख नाद हो चुका है. नेपाल की विभिन्न राजनीतिक पार्टियों ने जिताऊ सूरमाओं का चयन कर चुनावी समर मे उतारने का सिलसिला तेज कर दिया है.

नेपाली राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी नें लुम्बिनी प्रदेश के कपिल वस्तु जनपद के क्षेत्र संख्या दो क से पूर्व पुलिस अधिकारी विक्रमसिंह थापा को विधायक पद का अधिकृत उम्मीदवार घोषित किया है. विक्रम थापा के मैदान मे आने से अन्य पार्टियों का गणित गड़बड़ा गया है,सब हतप्रभ हैं. विक्रम थापा एक ऐसे प्रतिभावान, प्रभाव शाली शख्शियत हैं जो भारत नेपाल सरहद के जिलों में वतौर एस.पी तैनात रहे है. वे अपने निष्पक्ष, निडर, बेबाक, दबाव रहित कार्य शैली के कारण मद्धेसी वर्ग के आँखों के तारे रहे हैं. इस वर्ग के हर समुदाय की इनके प्रति गहरी आस्था है.

पुलिस सेवा से जुड़े रहने के साथ साथ इन्होंने कई समाज सेवी संगठनों, संस्थाओं में महती भूमिकाओं का निर्वहन किया है.अपनी अलग कार्यशैली, सामाजिक समरसता, निष्पक्षता के कारण विक्रम थापा मधेसी समुदाय मे काफी लोकप्रिय है. यही कारण है कि विक्रम थापा के चुनावी मैदान में उतरने की खबर से मधेसी वर्ग में खासा उत्साह है. मधेसी बाहुल्य इलाकों में विक्रम थापा ने कांग्रेस पार्टी में असीमित ऊर्जा का संचयन कर दिया है. मृदुभाषिता, अपनत्व और स्नेहिल व्यवहार के कारण विक्रम मधेसियों के सरताज बन गये हैं. विक्रम का बचपन भारत के बनारस में बीता. यू.पी. के काशी के एक प्रतिष्ठित कालेज से इन्होने शिक्षा प्राप्त की. नेपाल में इंसपेक्टर(कमीशन) पद पर नियुक्त होकर डी.एस.पी,एस. पी पद पर कार्य किया. तत्पश्चात नेपाल की राजधानी काठमांडो मे पुलिस चीफ के पद से रिटायर हुये. विक्रम ने 32 वर्षों तक निरंतर उतार चढाव के मध्य बेदाग धवि के साथ सतत् सेवायें दी हैं. रिटायरमेंट के बाद तत्काल नेपाल कांग्रेस पार्टी ज्वाइन किया. विक्रम की पसंद हमेशा से कांग्रेस ही रही. प्रारंभिक छात्र जीवन में ही वे कांग्रेस पार्टी से जुड़े रहे. इसके पीछे विक्रम का तर्क है कि कांग्रेस उदारवादी, और अहिंसक विचार धारा वाली पार्टी है.

हिंदू, मुस्लिम, सिक्ख, विक्रम सबके प्यारे
पुलिस सेवा मे रह कोई हर दिल अजीज बन सके ऐसा मुमकिन नहीं है,लेकिन विक्रम थापा के साथ ऐसा नहीं था. विक्रम जाति-पाँति, ऊँच-नीच मे विश्वास नहीं रखते थे. वे सभी धर्मो को समान रूप से सम्मान देते थे. गरीब से गरीब व्यक्ति बिना किसी हिचक के उनसे सीधे उनको फोन कर सकता था, उनसे मिलने के लिये किसी रसूख की आवश्यकता नहीं थी. वे किसी भी समय पीड़ित व्यक्ति की फरियाद सुनते और तत्काल उस पर निर्णय और कार्यवाही करते थे. आपसी रंजिश, पारिवारिक झंझटों को आपसी सहमति से निपटाना उनका स्वभाव था। उन्हें बस ऐसे लोगों से घृणा थी स्वस्थ समाज के लिये घातक थे. हिंदू,मुस्लिम, सिक्ख सभी के समाजिक सगंठनों के मंच पर उनका समान आदर था. ऐसे मंचो द्वारा उन्हे बार बार सम्मानित किया गया है.आज जब वो विधायकी का चुनाव लड़ रहे है त़ो सभी वर्ग तहे दिल से उनके पाले में खड़ा नजर आ रहा है.

70 हजार मतदाता बनेगे भाग्य विधाता

कपिलवस्तु के क्षेत्र संख्या दो क मे तकरीबन 70 हजार मतदाता हैं. क्षेत्र मे दो नगर पालिका क्षेत्र भी हैं, जहाँ अनुमानतः 50 से70 प्रतिशत मतदाता मुस्लिम समुदाय के  मधेसी है. मधेसी वर्ग विक्रम थापा के लिए एक तरह से परम्परागत मतदाता साबित हो सकते हैं. ऐसा माना जा रहा है कि विक्रम को मधेसियों का खुला समर्थन प्राप्त है. कपिलवस्तु का मधेसी मतदाता गेम चेंजर होगा इसमें दो मत नहीं हैं. मधेसी मतदाताओं का रुझान तो यह चुगली करता है कि विक्रम के सिर जीत का सेहरा बँधना तय है.

माओवादी पार्टी से जनमानस का मोहभंग

राज सत्ता के विरुद्ध विगुल बजाकर सत्ता में आये माओवादी नेताओं से नेपाली जनमानस का मोह भंग हो चुका है. माओवादी नेताओं ने राजशाही सत्ता को जड़ से उखाड़ने के लिए, आम जनमानस को सुखी,सम्पन्न, विकसित नेपाल बनाने का आस्वासन दे जनयुद्ध में झोंक दिया. जनता ने अपने प्राणो पर खेल प्रचंड को मुख्य मंत्री का ताज पहनाया। लेकिन सत्ता के मद में प्रचंड अपने वादों को भूल गये और वही सब किया जो बहुधा नेता अपने स्वार्थ सिद्धि के लिये करते है।वक्त का रुख बदला प्रचंड इस्तीफा देकर अर्श सज फर्श पर आ गये। के. पी ओली भी जनता के मानदंडों पर खरे नहीं उतर पाये. कम्युनिस्टों की सरकारों नें मधेशियों के साथ हमेशा सौतेला व्यवहार किया. इन्हे भारत के दोगले नागरिक की संज्ञा से विभूषित किया जिसका दंश आज भी मधेशियों को चुभ रहा है. जब कि जनयुद्ध में मधेशियों ने भी बढ चढ कर हिस्सा लिया था. इन्हीं सब कारणों से कम्युनिस्ट और माओवादी पार्टियों के लिए सत्ता की राह अब आसान नहीं है जिसका सीधा फायदा कांग्रेस को मिलना तय है.

भारत के विरुद्ध रहे प्रचंड और ओली

जगजाहिर है कि नेपाल में जनयुद्ध शुरू होते ही,अधिकांश माओवादी नेताओ ने भारत को पनाह गार बनाया लेकिन सत्ता में आते ही गिरगिट की तरह रंग बदल लिया. प्रचंड हो या ओली दोनों चीन के पाले में खड़े दिखाई दिये और चीन के हाथों की कठपुतली बन गये. जबकि भारत नेपाल का हमेशा से मददगार रहा है. भारत अपनी जनता के हिस्से का खाद्यान्न और औषधि आदि नेपाल को आपूर्ति करता रहा है. परन्तु जब ये अपनी जनता के न हुये तो भारत की क्या बात. वहीं नेपाली कांग्रेस के रिश्ते भारत से हमेशा मधुर रहे हैं. इसलिए भारतीय मूल का हो या मधेसी सभी को कांग्रेस की सत्ता का मौसम ही सुहावना लग रहा है.


Published: 31-10-2022

Media4Citizen Logo     www.media4citizen.com
खबर आज भी, कल भी - आपका अपना न्यूज़ पोर्टल

पूर्व पुलिस अधिकारी विक्रम सिंह थापा
पूर्व पुलिस अधिकारी विक्रम सिंह थापा