विश्व प्रसिद्ध सनातनी तीर्थ नैमिषारण्य, नैमिषारण्य तभी बनेगा जब यह सघन अरण्य से युक्त होगा। क्योंकि भारतीय संस्कृति की मूल आधार अरण्य संस्कृति है। प्राचीन काल में पौराणिक मान्यताओं के आधार पर अरण्य वह जगह होती थी जो जीव मंडल के लिए प्राकृतिक प्रवास होती थी। नैमिषारण्य पृथ्वी का सबसे प्राचीन और महत्वपूर्ण तीर्थ है। इसे फिर से घने अरण्यों से परिपूर्ण करना होगा।
यह बात आज नैमिषारण्य तीर्थ क्षेत्र स्थित श्री सत्यनारायण धाम आश्रम परिसर में आयोजित पर्यावरण संगोष्ठी में प्रख्यात पर्यावरणविद हरित ऋषि विजय पाल बघेल ने कही। वह भाग्योदय फाउंडेशन एवं अरण्य तीर्थ विकास ट्रस्ट के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित संगोष्ठी को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि 88 हजार सनकादिक ऋषियों ने घोर तपस्या इसी वन क्षेत्र में की थी। उन ऋषियों की आत्माओं को सजीव करने के लिए वृक्ष- वनस्पतियों के माध्यम से नैमिषारण्य के मूल स्वरूप को स्थापित करना आज की सबसे बड़ी आवश्यकता है। हरित ऋषि ने श्रीसत्यनारायण धाम आश्रम की संस्थापक व संचालक माता एम. रामानुज कुमारी तथा भाग्योदय फाउंडेशन के सक्रिय सहयोग की सराहना करते हुए कहा कि इस कार्य में नैमिषारण्य, मिश्रिख तथा सीतापुर व हरदोई जनपदों के आध्यात्मिक जगत, सांस्कृतिक जगत एवं सामाजिक क्षेत्रों को प्राणपण से लगना होगा।
माता एम. रामानुज कुमारी की अध्यक्षता में संपन्न हुई पर्यावरण संगोष्ठी में भाग्योदय फाउंडेशन दिल्ली व लखनऊ के अध्यक्ष व संस्थापक आचार्य राम महेश मिश्र ने नैमिषारण्य तीर्थ की प्राचीनता एवं वैश्विक आध्यात्मिक जगत में इस तीर्थ की महत्ता पर चर्चा की और हरित ऋषि विजय पाल बघेल की इस पहल का स्वागत किया। भाग्योदय फाउंडेशन के निदेशक मृगांक मोहन अग्निहोत्री के संचालन में संपन्न संगोष्ठी में निर्वाण अस्पताल लखनऊ के अध्यक्ष व प्रबंध निदेशक डॉ. हरीश अग्रवाल, वरिष्ठ समाजसेवी डॉ. शुभ्रा अग्रवाल, दुर्गा शक्ति साधना केन्द्र काशीपुरी के अध्यक्ष विजय बाबा शाहाबादी, गोमती आरती समिति के प्रमुख आचार्य कृष्ण कुमार दीक्षित, डॉ. भगवान दास, ऋषि चैतन्य ब्रह्मचारी, विवेक शास्त्री, शुभम बाजपेई, पवन सक्सेना कौशल किशोर दीक्षित आदि उपस्थित थे।
इसके पूर्व आश्रम प्रमुख माता एम. रामानुज कुमारी ने अतिथियों को अंगवस्त्र भेंट कर उनका सम्मान किया। कार्यक्रम में श्रीसत्यनारायण धाम आश्रम गुरुकुल के ऋषि कुमार एवं शिक्षक तथा दक्षिण भारत से आए तीर्थयात्री भारी संख्या में मौजूद रहे।