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चंडीगढ़ एयरपोर्ट का नाम भगत सिंह करवाने में :  हरपाल राणा का संघर्ष याद किया जायगा

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा रविवार 25 सितंबर को अपने मन की बात कार्यक्रम में चंडीगढ़ एयरपोर्ट का नाम शहीद भगत सिंह के नाम पर रखने का एलान डेढ़ दशक में दोनों राज्यों की सहमति बनने के बाद किया था। पीएम मोदी ने कहा कि शहीद-ए-आजम की जयंती पर 28 सितंबर को चंडीगढ़ एयरपोर्ट का नाम उनके नाम पर रखा जाएगा।

 हरपाल राणा का संघर्ष याद किया जायगा
 हरपाल राणा का संघर्ष याद किया जायगा

शहीद भगत सिंह की जयंती के अवसर पर चंडीगढ़ इंटरनेशनल एयरपोर्ट का नाम बदल गया है। अब इसे शहीद भगत सिंह इंटरनेशनल एयरपोर्ट के नाम से जाना जाएगा। इसमें पंचकूला और मोहाली का नाम नहीं जोड़ा गया है। बुधवार को केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमन ने नामबदली का उद्घाटन किया।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा रविवार 25 सितंबर को अपने मन की बात कार्यक्रम में चंडीगढ़ एयरपोर्ट का नाम शहीद भगत सिंह के नाम पर रखने का एलान डेढ़ दशक में दोनों राज्यों की सहमति बनने के बाद किया था। पीएम मोदी ने कहा कि शहीद-ए-आजम की जयंती पर 28 सितंबर को चंडीगढ़ एयरपोर्ट का नाम उनके नाम पर रखा जाएगा। आपको बतादें कि अगस्त में ही पंजाब के सीएम भगवंत मान व हरियाणा के डिप्टी सीएम के बीच हुई बैठक में एयरपोर्ट का नाम भगत सिंह के नाम पर रखने पर सहमति बनी। लेकिन यह सब इतना आसान नही था। इसके पीछे भी एक संघर्ष चलता रहा। जिसने 15 वर्षो से विचाराधीन इस मामले को सुलझाने में अपनी पूरी ताकत झोंक दी। हम बात कर रहे है कादीपुर गांव के रहने वाले समाजसेवी एवं शहीद सम्मान अभियान के संयोजक हरपाल सिंह राणा की, जिनका इसपर लंबा संघर्ष रहा है। जिसे इस अवसर पर शहीद जानना भी जरुरी है। 

संघर्ष का सार --

15 वर्षो से अधिक समय से चंडीगढ़ एयरपोर्ट का नाम शहीद-ए-आजम भगत सिंह के नाम पर किए जाने का मसला चंडीगढ़ और मोहाली की राजनीति में फंसा हुआ था। हरपाल सिंह राणा शहीदों को लेकर बेहद भावुक है। यही भावना को लेकर लगभग एक दशक से इसपर काम कर रहे थे। जिसमे उन्होंने सरकारों, विभागों और जनप्रतिनिधियों को सौकड़ो पत्र और सुचना अधिकार किए और कई साइकिल यात्राएं निकाली और देश भर में इसे लेकर प्रचार आदि किया।

क्या था मामला --

अन्तर्राष्ट्रीय सिविल एयर टर्मिनल, चंडीगढ़ का नाम शहीद सरदार भगत सिंह अन्तर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा, मोहाली करने का प्रस्ताव पंजाब विधानसभा से वर्ष 2009 में केंद्रीय नागर विमानन मंत्रालय का प्राप्त हुआ था। इसके उपरांत हरियाणा के मुख्यमंत्री ने भी 28 जून 2010 एवं 16 सितंबर 2010 के माध्यम से अन्तर्राष्ट्रीय सिविल एयर टर्मिनल, चंडीगढ़ का नामकरण सरदार भगत सिंह अन्तर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा, चंडीगढ़ करने का प्रस्ताव दिया था। दोनों राज्य सरकारें सरदार भगत सिंह के नाम पर हवाई अड्डे का नाम रखे जाने पर तो सहमत थी। पंजाब सरकार मोहाली के नाम पर बल दे रही थी और हरियाणा सरकार इसे चंडीगढ़ के नाम से चाहती थी। मंत्रालय ने दोनों राज्य सरकारों के बीच मत भिन्नता को ध्यान में रखते हुए इस मामले का समाधान करने का प्रयास किया। लेकिन सफलता नहीं मिली। इसके पश्चात दोनों राज्य सरकारों ने करीब आधा-आधा दर्जन पत्रों के माध्यम से वर्ष 2010 से वर्ष 2015 के बीच अपने इस अनुरोध को दोहराया। इसके बाद पांच जून 2015 में हरियाणा के मुख्यमंत्री ने हवाई अड्डा टर्मिनल का नाम डॉ. मंगलसेन अन्तर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा, चंडीगढ़ करने का अनुरोध किया था। संबंधित मंत्रालयों तथा हरियाणा और पंजाब सरकारों के परामर्श से प्रस्ताव की जांच की गई। इस संदर्भ में केंद्रीय नागर विमानन राज्यमंत्री ने पंजाब एवं हरियाणा सरकारों से 18 मार्च 2016 को पत्र के माध्यम से आग्रह किया था कि चंडीगढ़ एयरपोर्ट के नए सिविल एयर टर्मिनल का नाम शहीद भगत सिंह एयरपोर्ट, चंडीगढ़ के नाम पर रखने के प्रस्ताव पर दोबारा विचार किया जाए। इस मामले में मंत्री ने दोनों राज्य की विधानसभा में एक नया संकल्प पारित करने का अनुरोध भी किया था। हरियाणा के मुख्यमंत्री ने 8 अप्रैल 2016 को इस बाबत केंद्रीय नागर विमानन मंत्रालय को पत्र लिखकर फिर से आग्रह किया कि नए सिविल एयर टर्मिनल का नाम शहीद भगत सिंह इंटरनेशनल एयरपोर्ट, चंडीगढ़ के नाम पर ही रखा जाए। पंजाब के मुख्यमंत्री ने भी पुराने स्टैण्ड पर कायम रहते हुए शहीद भगत सिंह इंटरनेशनल एयरपोर्ट, मोहाली करने का आग्रह दोहराया। इन दोनों राज्य सरकारों की सहमति के बाद ही केंद्रीय मंत्रिमंडल में नामकरण के लिए प्रस्ताव रखा जाना था। अधिकारियों से लेकर मंत्री स्तर तक भी प्रयास हुए, लेकिन दोनों राज्य सरकारों के रवैये के कारण एयरपोर्ट का नामकरण शहीद भगत सिंह के नाम पर नहीं हो पा रहा था। चंडीगढ़ इंटरनेशनल एयरपोर्ट में अथारिटी आफ इंडिया की 51 फीसद हिस्सेदारी है। पंजाब व हरियाणा की इसमें 24.5-24.5 फीसद हिस्सेदारी है।पंजाब सरकार का तर्क था कि एयरपोर्ट का टर्मिनल भवन मोहाली की राजस्व भूमि पर है, इसलिए एयरपोर्ट का नाम मोहाली एयरपोर्ट पर होना चाहिए। वहीं, चंडीगढ़ की दलील थी कि इस एयरपोर्ट पर 75 फीसद से ज्यादा जमीन चंडीगढ़ की है, इसलिए एयरपोर्ट का नाम चंडीगढ़ एयरपोर्ट पर होना चाहिए। इसपर केंद्रीय नागर विमानन मंत्रालय ने उचित रास्ता निकालने के लिए अधिकारियों की कमेटी तो बनाई, लेकिन कोई भी अंतिम निर्णय से पहले मंत्रालय दोनों राज्य सरकारों के बीच आम सहमति चाहता था। 

हरपाल सिंह राणा की भूमिका --
नागर विमानन मंत्रालय में अवर सचिव और जन सूचना अधिकारी द्वारा हरपाल राणा को 27 सितंबर 2017 के पत्र के माध्यम से सूचना के अधिकार के तहत दी गई जानकारी में माना था कि पंजाब सरकार जहां नाम के साथ मोहाली लगवाना चाहती थी, वहीं हरियाणा सरकार चंडीगढ़ लगवाना चाहती थी। इसके बाद राणा ने केंद्र, हरियाणा और पंजाब सरकार समेत राजनीतिक पार्टियों से पत्राचार करके व्यक्तिगत मुलाकात कर प्रयास करते रहे। 24 अप्रैल 2019 के एक जवाब में नागर विमानन मंत्रालय द्वारा राणा से अनुरोध किया कि दोनों राज्यों से बात करना फलदाय हो सकता है। जिसके बाद राज्यों के राज्यपालों, मुख्यमंत्रियों और केंद्रीय उड़ियन मंत्री से मुलाकात करने का प्रयास किया गया। जिसके बाद 7 जनवरी 2020 को पंजाब के तत्कालीन राज्यपाल से मुलाकात करके समस्या के समाधान करने का अनुरोध किया भी था। उनके लगातार पत्राचार के बाद  19 अगस्त 2020 को पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह द्वारा प्राप्त पत्र में नागर विमानन विभाग के मुख्य सचिव को कार्रवाई करने के लिए निर्देश दिया था। लेकिन राजनैतिक जोर को बढ़ाने के मकसद से राणा द्वारा कई कार्यक्रमों और सामाजिक और राजनीतिक विचार विमर्श के बाद सभी जनप्रतिनिधियों और व्यक्तियों को केंद्र और दोनों राज्यों को पत्र लिखने पर जोर दिया। इसके लिए 19 मार्च 2021 को शहीद दिवस के अवसर  पर राणा द्वारा दिल्ली से चंडीगढ़ तक 250 कि.मी तक की साइकल यात्रा निकली गई। यह यात्रा दिल्ली, हरियाणा होती हुई तीन दिन में चंडीगढ़ तक पहुंची। जिसमे जगह जगह लोगो से चर्चा करते हुए, सभी सरकारों का ध्यान इस विषय पर आकर्षित करते गए। इससे पहले और बाद में भी शहीद भगत सिंह की जयंती और पुर्णतिथि पर कई बार वह इण्डिया गेट, अलीपुर शहीद स्मारक या फिर दिल्ली के गांव गांव तक इसके समर्थन में साइकिल यात्रा निकल चुके थे।

हरपाल राणा का सन्देश--
मन की बात में प्रधानमंत्री द्वारा चंडीगढ़ एयरपोर्ट का नाम शहीद भगत सिंह के नाम पर रखने का एलान पर राणा का कहा कि इसमें बहुत देरी हुई इसमें किसी को क्या आपत्ति हो सकती थी। लेकिन देर आए दुरुस्त आए, यह शहीदों को सच्ची श्रद्धांजलि है। उनका कहना है कि शहीदों के कई विषयों में अभी भी सरकारों को काम करने की जरुरत है। जिसमे शहीदों को शहीद का दर्जा, देश में उनके स्मारक संग्रालय, प्रेरणा के लिए उन्हें पाठ्यक्रम में शशामिल करना, उनके नाम से स्थानों का नामकरण करना आदि प्रमुख है। इस अवसर पर उन्होंने सभी साथियों सहित प्रधानमंत्री और दोनों राज्य सरकारों को आभार व्यक्त किया।


Published: 02-10-2022

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