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लम्पी से बचाव : मवेशियों को खुले में न छोड़ें

ऋषिकेश स्थित स्वर्गआश्रम क्षेत्र में शासन प्रशासन द्वारा लगातार अपील की जा रही है कि अपने मवेशियों को खुले में ना छोड़ा जाए जिससे लम्पी बीमारी का बढ़ने का काफी खतरा बढ़ रहा है. इसके पश्चात स्वर्गाश्रम क्षेत्र के लोग शासन व प्रशासन की बातें को अनदेखा कर खुले में अपने पशुओं को छोड़ रहे हैं

मवेशियों को खुले में न छोड़ें
मवेशियों को खुले में न छोड़ें

लंपी नामक बीमारी को स्किन डिजीज को गांठदार त्वचा रोग वायरस भी कहा जाता है. पशु चिकित्साधिकारी डा. शैलेंद्र वशिष्ट के मुताबिक यह एक संक्रामक बीमारी है, जोकि एक पशु से दूसरे में होती है. संक्रमित पशु के संपर्क में आने से इससे दूसरा पशु भी ग्रसित हो सकता है. इस वायरस का संबंध गोट फॉक्स और शीप पॉक्स से है. इससे मवेशियों को बुखार समेत कई तरह की दिक्कतें पैदा हो जाती हैं. ज्यादातर शरीर पर गांठे बन जाती है. बाहरी शरीर के साथ नाके भीतर और जननांग पर गांठे हो जाती है. गांठों का साइज दो से सात सेंटीमीटर तक हो सकता है. इससे पशु परेशान होता है और पैरों में है, तो चलने और उठने बैठने में दिक्कत होती है. दस्त और थनेला आदि भी हो सकता है. संक्रमण के चलते दुग्ध उत्पादन पर भी असर पड़ता है. खासकर मक्खी-मच्छर वाहक के रूप में संक्रमण को फैला सकते हैं. ऐसे में साफ-सफाई बेहद जरूरी है. संक्रमण लक्षण दिखने पर पशु चिकित्सक की सलाह जरूर लें.

ऋषिकेश स्थित स्वर्गआश्रम क्षेत्र में शासन प्रशासन द्वारा लगातार अपील की जा रही है कि अपने मवेशियों को खुले में ना छोड़ा जाए जिससे लम्पी बीमारी का बढ़ने का काफी खतरा बढ़ रहा है. इसके पश्चात स्वर्गाश्रम क्षेत्र के लोग शासन व प्रशासन की बातें को अनदेखा कर खुले में अपने पशुओं को छोड़ रहे हैं जिसके चलते मवेशियों के एकत्रित होने से संक्रमण का खतरा काफी तेजी से बढ़ रहा है.


Published: 22-09-2022

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