अमीनाबाद हनुमान मंदिर यों तो प्रत्येक मंगलवार के लिए विख्यात है परंतु ज्येष्ठ मास के बड़े मंगल में भी इस मंदिर का अपना एक विशिष्ट स्थान है। कहा जाता है कि 1862 के आस पास यहां बाग ही बाग थे (जहां अब हनुमान मंदिर है) उसे गुलाब बाड़ी कहा जाता था परिसर में एक बड़ा कुआं था (जो अभी भी है ) कहा जाता है उसी कूंए के पानी से गुलाब बाड़ी की सिंचाई होती थी उस समय ये अनेक लोगों के रोज़गार का साधन था।
1902 में अमीनाबाद बाज़ार बनाने की योजना बनाई गई और 18 मई 1910 को मिनिस्प्लिटी बोर्ड कमिटी द्वारा प्रस्ताव पारित किया गया, जिसमें मंदिर क्षेत्र और पुजारी आवास को प्रस्ताव के माध्यम से अलग करके मंदिर क्षेत्रफल को अलग कर दिया। कहा जाता है मंदिर परिसर में छोटे हनुमान जी पहले ही थे, कहां, कैसे और कौन लाया इसका कोई प्रमाण नहीं है।
वर्तमान समय में मन्दिर में स्थापित प्रतिमा की स्थापना साल 1945 के आज पास हुई, लगभग 5 फीट की सिंदूर की हनुमान जी की प्रतिमा के ऊपर चांडी का छत्र है, हनुमान जी के पीछे चांदी धातु की ही श्री राम , माता सीता और भ्राता लक्ष्मण की भी प्रतिमा है, प्राचीन छोटे हनुमान जी और शिव लिंग आज भी उसी मंदिर में है।
माता दुर्गा, राम दरबार और लक्ष्मी नारायण जी की प्रतिमा भी मंदिर भवन में है। दूर दूर से भक्त यहां आते है और अपनी मनौती की कामना करते हैं। प्रभु भी अपने भक्तों को उनका मनचाहा वरbदेकर उनकी मनोकामना को पूर्ण करते हैं।
मंदिर की परिक्रमा का भी यहां विशेष महत्व है सभी धर्म संप्रदाय के लोग यहां आते है और अपने आराध्य के दर्शन कर स्वयं को धन्य मानते हैं। मंदिर खुला हो या बंद भक्त मंदिर परिक्रमा करना नहीं भूलते। अमीनाबाद हनुमान मंदिर बड़े मंगल मेले के लिए खास तौर से जाना जाता है।
जगह जगह भंडारे, प्याउ और प्रसाद की सेवा भक्तों , व्यापारियों और स्थानीय लोगों द्वारा की जाती है। श्रीराम रोड से लेकर झंडे वाला पार्क तक नाना प्रकार के खिलौने और दैनिक जीवन में काम आने वाली वस्तुएं मेले की शोभा को दोगुना कर देती हैं ।
इस पावन माह में स्थानीय लोगों ही नहीं आस पास के भक्त भी आते हैं। सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए मंदिर में महिला और पुरुष अलग अलग पंक्ति में मंदिर में प्रवेश कर प्रभु के दर्शन करते है, इस अवसर पर मंदिर के चारों द्वार खोल दिए जाते हैं ताकि भक्तों को किसी प्रकार से कोई असुविधा न हो, प्रशासन द्वारा सुरक्षा की समुचित व्यवस्था रहती है।
मंदिर सोमवार रात 12 बजे से मंगलवार रात 12 बजे तक खुला रहता है।
बबिता बसाक,
लखनऊ