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लोकसभा चुनाव 2024 : राजपथ पर पिछड़ रहा भाजपा का विजय रथ

लोकसभा चुनाव 2024 के सत्ता संघर्ष में अचानक यूपी के मिजाज में बदलाव देखने को मिला है। जनवरी 2024 में अयोध्या में श्री राम मंदिर में राम लला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद भाजपा के प्रति जबरदस्त ज्वार उमड़ा था। हिन्दुत्व की प्रचंड लहर उमड़ी थी। लेकिन चुनाव का षंखनाद होने और पांच चरणों के मतदान के बाद जो परिदृष्य उभरा उसमें यूपी की सियासत में एक बड़े बदलाव की आहट सुनायी पड़ी।

राजपथ पर पिछड़ रहा भाजपा का विजय रथ
राजपथ पर पिछड़ रहा भाजपा का विजय रथ

लोकसभा चुनाव 2024 के सत्ता संघर्ष में अचानक यूपी के मिजाज में बदलाव देखने को मिला है। जनवरी 2024 में अयोध्या में श्री राम मंदिर में राम लला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद भाजपा के प्रति जबरदस्त ज्वार उमड़ा था। हिन्दुत्व की प्रचंड लहर उमड़ी थी। लेकिन चुनाव का षंखनाद होने और पांच चरणों के मतदान के बाद जो परिदृष्य उभरा उसमें यूपी की सियासत में एक बड़े बदलाव की आहट सुनायी पड़ी।

इस आहट ने पीएम मोदी सहित भाजपा के रणनीतिकार तक के पसीने छुड़ा दिये। भाजपा के विजय रथ को रोकने के लिए जहां विपक्षी निरन्तर होम वर्क करते रहे, वहीं भाजपा अति आत्म विष्वास के मोहपॉष में बंधी रही। विपक्ष के होमवर्क में सत्ताधारी पार्टी के चाणक्य और उनके नेताओं का भी बड़ा योगदान माना जा रहा है। यहां कहा जा सकता है कि इस बार कमंडल पर मंडल भारी पड़ रहा है।

भाजपा के चाणक्य अमितशाह से दो बड़ी चूक मानी जा रही है। पहला विपक्षी कांग्रेस और सपा के आरक्षण, पिछड़े दलित अति पिछड़े अल्पसंख्यक और जातीय जनगणना के मुद्दे को बहुत हल्के में लिया। विपक्ष की इस रणनीति को तवज्जों नही दिया। चाणक्य का अनुमान था कि अयोध्या के राम मंदिर निर्माण और प्राण-प्रतिष्ठा के जरिए उमड़े हिन्दुत्व के ज्वार से विपक्ष के इन मुद्दों को निस्तेज कर देंगे। पिछले दो लोकसभा चुनावों की तर्ज पर हिन्दुत्व का ध्रुवीकरण करा लेंगे। अति आत्म विष्वास से लगरेज षाह की पारखी नजरें यहां धोखा खा गयी। दलितों को लेकर भाजपा के भीतर बैठा भ्रम भी संभवतः दूर हो चुका होगा। संविधान और बाबा साहब भीमराव आंबेडकर को लेकर करीब दो साल से दलितो के बीच लगातार गोष्ठियां आयोजित हो रही थी।

भाजपा इन गोष्ठियों को भी कोई तरजीह नही दे रही थी। भीतर ही भीतर पिछड़ो और दलितों में असंतोष सुलग रहा था। आहिस्ता-आहिस्ता उठने वाले इस असंतोष के धुंए को भी भजपा नही देख पायी।
चुनाव के दौरान पिछड़ा, अल्पसंख्यक और यहां तक दलित मतदाता के साथ ही अति पिछड़े तबके के मतदाता भी कांग्रेस-सपा गठबंधन के पक्ष में लामबंद होते गये। इन रूझानों का आभास भाजपा को चौथे चरण के मतदान के बाद हुआ। तब तक बहुत देर हो चुकी थी। सबसे बड़ी चूक भाजपा प्रत्याषियो की ओर से हुई। भाजपा की ओर से नारा दिया गया था कि इस बार, चार सौ पार।

चार सौ पार पर जब मीडिया की ओर से सवाल किया गया कि इस बार 400 पार क्यो। भाजपा के प्रत्याषियों की ओर से जवाब आया था कि संविधान बदलना है। जिसकी विपक्षी आषंका जता रहे थे। इस बार भाजपा की ओर से उस आषंका की पुष्टि कर दी गयी।

संविधान बदलने और आरक्षण खत्म होने की आषंका के बीच पिछड़े, अति पिछड़े और दलित मतदाताओं के बीच एक डर पैदा हुआ। इस डर से भयभीत पिछड़े, दलित, यहां तक कि अति पिछड़े वर्ग के मतदाता एक- एक करके भाजपा के रथ से उतर गये। उन्हे यह पता ही नहीं चला कि 2014 और 2019 में उनके विजय रथ के संवाहक रहे मतदाता कब और कहां उतर लिये।

भाजपा के चाणक्य अमितषाह आरक्षण, पिछड़ों, अति पिछड़ों और दलितो को लेकर विपक्ष रणनीति को हिन्दुत्व के लहरों वाली चादर से ढकने का मसूबा संजो रखा था। भाजपा की ध्रुवीकरण कराने वाली रणनीति इस मर्तवा कामयाब नही हुई। अपितु संविधान बदलने, आरक्षण खत्म करने की साजिष, जैसे मुद्दे भाजपा के गले का फॉस बन गया।

चार चरणों के मतदान के बाद जो रूझान सामने आये उसने भाजपा की नींद हराम कर दी। नतीजन पीएम मोदी को एक दिन में तीन से लेकर चार-चार जन सभाऐं करने को मजबूर कर दिया। चार चरणें के बाद 41 लोकसभा सीटो पर चुनाव होने थे। जिनमें 26 सीटो पर इंडिया गठबंधन के प्रत्याषी की स्थित मजबूत दिखायी दे रही है। पांचवे चरण में यूपी की 14 लोकसभा सीटो पर मतदान के बाद 27 सीटो पर दो चरणो का मतदान अवषंष बचेगा। मतदान में अब 10-11 दिन ही बचे है। इन बवे हुए दिनों में भाजपा को अपनी बिगड़ती सियासी सेहत को सुधारने की चुनौती है।

 

- जेपी गुप्ता


Published: 20-05-2024

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