कोविड 19 में बेसहारा हुए बच्चों को मदद देने के लिए सरकार के द्वारा बड़ी-बड़ी योजनाओं की घोषणाएं की गई थी, जिससे लगता था कि बेसहारा बच्चों, परिवारों का सहारा सरकार बनेगी और उनका भी भविष्य उज्जवल हो सकेगा। लेकिन वर्तमान स्थिति में ऐसा नहीं दिखता है, अनाथ बेसहारा बच्चों पर लगभग 15 वर्षों से काम कर रहे चौधरी हरपाल सिंह राणा, कोविड 19 में और पहले अनाथ हुए बच्चों को उन परिवारों को जिनका कमाने वाला कोविड 19 में गुजर गया हो उन्हें आर्थिक सहायत और पेंशन दी जाय, इसके लिए राणा ने वर्ष 2019 में दिल्ली उच्च न्यायालय में जनहित याचिका लगाकर मांग की थी,
अनाथ बच्चों को पेंशन, आर्थिक सहायता दी जाए. हालाँकि इस याचिका के कुछ महीने के बाद ही दिल्ली उच्च न्यायालय के माननीय मुख्य न्यायाधीश के द्वारा दिल्ली सरकार को सिर्फ कोरोना में अनाथ हुए बच्चों को मदद देने का आदेश दिया था। जिसके बाद दिल्ली सरकार द्वारा आर्थिक सहायता और पेंशन के आवेदन आमंत्रित किये गए।
राणा बताते हैं कि ऐसे कई अनाथ बच्चे है, जिनके माता या पिता कोरोना के वक्त अस्पतालों में इलाज ना मिल पाने से उनकी मृत्यु हो गई थी, चुकी उनकी मृत्यु का कारण कोरोना नहीं था,
इसलिए ऐसे बच्चे आवेदन नहीं कर सकते। राणा के सूचना आवेदन में मिली जानकारी में बताया गया है कि मुख्यमंत्री कोविड 19 परिवार आर्थिक सहायता योजना में कुल 15705 आवेदन प्राप्त हुए, उनमें 11821 तो स्वीकार लिए गए लेकिन 2433 आवेदनों को निरस्त कर दिया गया।
राणा दावा करते हैं कि ऐसा नहीं होगा इन आवेदनकर्ताओं के परिवारों में मृत्यु न हुई हो और उन्होंने आवेदन किया हो। आवेदन में कमी रह गई हो, योजना में इतनी संख्या में आवेदन निरस्त होना चौकता है। कहा सरकार निरस्त आवेदनों की वास्तविक स्थिति का घर-घर जाकर सत्यापन कराये। जिससे वास्तविक आवेदनकर्ताओं तक आर्थिक सहायता पहुंच सके। और जरूरतमंद बच्चों का जीवनयापन आसन हो सके।