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पंजाब में जितना धान पैदा हुआ उससे ज्यादा खरीदी कैसे ?

सतीश मिश्र : लखनऊ : यूपी बिहार के किसानों के हज़ारों करोड़ रुपये हर साल लूटने वाले पंजाब के खतरनाक लुटेरे और डकैत अब किसान की नकाब पहन कर दिल्ली में कर रहे हैं दंगा फसाद बवाल. ये चौंकाने वाले आंकड़े खुद पंजाब सरकार के कृषि विभाग एवं कृषि वैज्ञानिको

पंजाब में जितना धान पैदा हुआ उससे ज्यादा खरीदी कैसे ?
पंजाब में जितना धान पैदा हुआ उससे ज्यादा खरीदी कैसे ?
सतीश मिश्र : लखनऊ : यूपी बिहार के किसानों के हज़ारों करोड़ रुपये हर साल लूटने वाले पंजाब के खतरनाक लुटेरे और डकैत अब किसान की नकाब पहन कर दिल्ली में कर रहे हैं दंगा फसाद बवाल. ये चौंकाने वाले आंकड़े खुद पंजाब सरकार के कृषि विभाग एवं कृषि वैज्ञानिकों ने पेश किये हैं. उनके अनुसार इस वर्ष 2019-20 में पंजाब में कुल 22.91 लाख हेक्टेयर में धान बोया गया था और धान की औसत उपज लगभग 6.6 टन प्रति हेक्टेयर रही थी. अर्थात्‌ पंजाब में कुल 15.2 मिलियन टन धान की पैदावार हुई थी. लेकिन आप यह जान कर चौंक जाएंगे कि वर्ष 2019-20 में पंजाब की सरकारी मंडियों में MSP पर कुल 16.38 मिलियन टन धान खरीदा गया. अब आप सोचिए जरा कि लगभग 12 लाख टन अतिरिक्त धान पंजाब की सरकारी मंडियों में MSP पर बिकने के लिए कहां से आया ? हालांकि यह 12 लाख टन की मात्रा भी सही नहीं है क्योंकि यह स्थिति तो तब होगी जब किसान धान का एक एक दाना सरकार को बेच दे. जबकि यह असम्भव है क्योंकि अपने खाने के लिए, साप्ताहिक ग्रामीण बाजारों में बिकने के लिए तथा राइस मिलों को भी किसान अपना धान सीधे बेच देता है. जाहिर सी बात है कि कम से कम, लगभग 20 से 25 लाख टन धान पंजाब के बाहर यूपी और बिहार के किसानों से बहुत सस्ते दामों पर लाकर पंजाब की सरकारी मंडियों में बेच दिया जाता है. यह कोई यह हवा हवाई बातेँ अनुमान या दावा नहीं है. इसी वर्ष 20 अक्टूबर को पंजाब के बाहर से लाए जा रहे 822 टन धान से लदे 32 ट्रक पुलिस द्वारा पटियाला में पकड़े गए थे. हालांकि यह कार्रवाई एक दिखावा मात्र ही थी ताकि सरकार पर उंगली ना उठ सके. जहां 20-25 लाख टन बाहर से लाकर पंजाब की सरकारी मंडियों में बेचा जा रहा हो वहां केवल 822 टन धान की धर पकड़ को दिखावा मात्र ही कहा जाएगा. यूपी बिहार से ट्रक पर लाद कर लाने का खर्च और फिर उसपर इन दलालों का मोटा मुनाफा अगर जोड़ लिया जाए तो आप खुद अनुमान लगा लीजिए कि यूपी बिहार के किसानों से ये दलाल कितने कम मूल्य पर धान और गेंहूं की खरीदारी करते रहे हैं. ध्यान रहे कि ये दलाल यही खेल गेंहूं के साथ भी करते हैं. यही कारण है कि सरकारी मंडियों में धान और गेंहूं की सरकारी खरीद का FCI का 60-65 % कोटा पंजाब से ही पूरा हो जाता है. शेष देश विशेषकर यूपी बिहार का किसान खाली बैठा रह जाता है. यह केवल इसी वर्ष की कहानी नहीं है. 2017-18 में पंजाब में 25.19 लाख हेक्टेयर में धान की खेती हुई थी और प्रति हेक्टेयर औसत उपज 6.5 टन दर्ज की गयी थी. अतः धान की औसत से पैदावार लगभग 16.4 मिलियन टन हुई थी. लेकिन पंजाब की सरकारी मंडियों में धान की खरीद हुई थी 17.95 मिलियन टन धान की. ये लगभग 15.5 लाख टन अतिरिक्त धान पंजाब में कहां से आ गया था ? वह भी तब जब यह मान लिया जाए कि पंजाब के किसानों ने धान की अपनी पैदावार का एक दाना भी ना अपने खाने के लिए रखा हो, ना बाहर कहीं बेचा हो. 2018-19 में इस लूट पर कुछ रोक लग पायी थी जब पंजाब में धान की पैदावार लगभग 16.86 मिलियन टन हुई थी और वहां की सरकारी मंडियों में कुल 17.05 लाख टन की खरीद हुई थी. लाखों टन धान की तस्करी कर के पंजाब में MSP के जरिए यूपी बिहार के किसानों के हिस्से के हज़ारों करोड़ रुपये की लूट करने वाले पंजाब के इन डकैतों दलालों की उस लूट और डकैती पर नया कृषि बिल पूर्ण विराम लगाने जा रहा है. इसीलिए ये डकैत और दलाल किसान के भेष में दिल्ली में बवाल और दंगा करने पर उतारू हो गए हैं.

Published: 20-12-2020

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