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चिराग का हौसला

विकल्प शर्मा : नयी दिल्ली : पटना में पिछले दिनों सीटों के बटवारें को लेकर बिहार के मुख्यमंत्री नितीश कुमार के साथ भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा की मुलाकात हुई. इसके तीन दिन बाद लोजपा के प्रमुख चिराग पासवान भी नड्डा के साथ देर रात बैठक के लिए नई दिल्ली में

चिराग का हौसला
चिराग का हौसला
विकल्प शर्मा : नयी दिल्ली : पटना में पिछले दिनों सीटों के बटवारें को लेकर बिहार के मुख्यमंत्री नितीश कुमार के साथ भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा की मुलाकात हुई. इसके तीन दिन बाद लोजपा के प्रमुख चिराग पासवान भी नड्डा के साथ देर रात बैठक के लिए नई दिल्ली में मिले चिराग ने भाजपा अध्यक्ष से कहा कि लोजपा को उन सभी 42 सीटों पर चुनाव लड़ने दिया जाए जिन पर उसने 2015 में एनडीए के तहत चुनाव लड़ा था लेकिन नितीश कुमार का जेडीयू 2017 में राजग के पाले में लौट आया था. ऐसे में चिराग यह पक्का करना चाहते है कि 243 सदस्य बिहार विधानसभा के आगामी चुनाव में जेडीयू को जगह देने के लिए उनकी पार्टी की सीटों में छे़डछाड़ न की जाए. चिराग यही नहीं थमे और 20 सितंबर को उन्होनें लोजपा के कार्यकर्ताओं को एक चिट्ठी लिखी इससे दो दिन पहले 18 सिंतबर को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बिहार में कई रेल परियोजनाओं का उदधाटन करते वक्त नितीश का अनुमोदन करते हुए कहा कि नीतीशजी जैसा सहयोगी हो तो क्या कुछ संभव नहीं है. चिराग ने कार्यकर्ताओं को लिखा कि बिहार को जेडीयू के उस सात निश्चय कार्यक्रम के अनुसार चलाया जा रहा है जो 2015 में लालू प्रसाद यादव के राजद और कांग्रेस के साथ महागठबंधन के तहत विकसित किया गया था यह भी कि चिराग राज में विकास के बिहार प्रथम बिहारी प्रथम मॅाडल पर काम कर रहे हैं. ऐसे वक्त में जब उनके पिता और राज्य के सबसे बड़े दलित नेता राम विलास पासवान दिल्ली के अस्पताल में आईसीयू में थे वैसे कहा यही गया कि वह रूटीन चैकअप के लिए भर्ती है. साफ है कि युवा पासवान अपने राज्य के विधानसभा चुनाव में छाप छोड़ने को इच्छुक हैं. जमूई से दो बार के सांसद चिराग का पूरा ध्यान बिहार के अपने गृह राज्य पर है और वे राजद के तेजस्वी यादव की तरह अपने को उभारने की कोशिश में लगे हैं. बल्कि हाल में उनका स्वर काफी तल्ख़ हो गया है लेकिन युवा पासवान में क्या वह गर्मी है जिसके बल पर वह अपने नामवर पिता की छाया से बाहर आ सकें और अपने दम पर अहम नेता बन सके ? राजनिति में उनका स्थान अब तक अपने पिता और राज्य के मतदाताओं में 4.5 प्रतिशत की हिस्सेदारी रखने वाले पासवान समुदाय की बदौलत हुआ है. भले ही लोकसभा में लोजपा के छ सांसद और उनके पिता केन्द्रीय मंत्री हो पर बिहार में पार्टी के महज दो विधायक हैं. अपने हिस्से के लिए तोलमोल करते हुए क्या व अपनी ताकत से बढ़कर हाथ पैर मार रहे हैं. जेडीयू के एक बड़े नेता कहते हैं कि फरवरी 2005 के चुनाव में त्रिशंकु नतीजा देने के बाद बिहार के मतदाताओं ने विधानसभा और लोकसभा चुनाव में हमेशा निर्णायक फैसला दिया है. लोकसभा चुनाव में लोजपा को जो कामयाबी मिली वे मोदी लहर पर सवार होने पर मिली साल 2009 में पार्टी ने लालू के साथ गठबंधन किया था और लोकसभा की एक भी सीट नहीं जीत सकी थी. वहीं विधानसभा चुनाव में लोजपा इसलिए कभी नहीं जीत सकी क्योंकि वहां हमेशा नितीश विरोधी खेमे के साथ रही जबकि 2005 से ही राज्य के चुनावी अफसाने में नितीश कुमार का बोलबाला रहा है. अगर वे नितीश के साथ होते तो विधानसभा चुनाव में उनकी स्थिति शायद दूसरी होती. बिहार में मतदाताओं में अनुसूचित जातियों का हिस्सा 16 प्रतिशत है. ये राज्य के सबसे बड़े जाति समूह यादवों से ज्यादा है. जो 14 फीसद है. जैसा कि बिहार में जाति और चुनावी राजनीति पर राजनीति की पुस्तक लिखने वाले विरेन्द्र यादव बताते है कि राज्य में अनुसूचित जातियों में आने वाली 22 उपजातियां एकजुट होकर वोट नहीं डालती हैं. रामविलास पासवान को राज्य का सबसे बड़ा दलित नेता माना जाता है पर उनका प्रभाव केवल पासवान समुदाय तक ही सीमित है. नितीश ने बीते सालों में अति पिछ़ड़ा वर्ग और महादलितों के बीच अपना अहम आधार तैयार किया है उन्होने लालू के दबदबे वाले मंडल आधार से महादलितों को तोड़ा. आवास, लोककार्य, खादय शिक्षा और वित्तीय सहायता की योजनाएं शुरू करने के लिए 2007 में दलित आयोग का गठन किया. महादलित में शुरुआत में केवल 8 जातियां शामिल की गई थी. बाद में नितीश ने इसका दायरा बढ़ा दिया. पासवान सहित सभी 22 जातियों को शामिल कर लिया. ये कोशिश रंग लाई और आज 30 प्रतिशत अति पिछड़ा वर्ग और 16 प्रतिशत महादलितों को जेडीयू अपनी ताकत का मूल केन्द मानती है. अब जब चिराग अपनी ताकत जता रहे हैं तो जेडीयू ने ज्यादा देर नहीं की और दलित नेता जीतन राम माझी और उनकी पार्टी को अपने पाले में ले आई. चिराग के इस दावे को कोई गंभीरता से नहीं ले रहा है कि अपनी पार्टी ने 143 उम्मीदवारों की सूची तैयार कर ली है. इसके जरिये वे अकेले अपने दम पर चुनाव लड़ने का संकेत दे रहे थे. बिहार सरकार राजग की है और भाजपा के सुशील मोदी उप मुख्यमंत्री हैं. चिराग ने हमले के लिए नितीश को ही क्यों चुना और भाजपा की तारीफ भी करते हैं. केन्द या राज्य का कोई भाजपा नेता चिराग के हमलों के खिलाफ नितीश के बचाव में नहीं आया. इससे सियासी हल्कों में इस बात को बल मिला कि भाजपा का एक तबका गठबंधन में जेडीयू को ताकतवर हिस्सेदार बनने से रोकने के लिए चिराग को आगे बढ़ा रहा है. इससे चीजे साफ हो जाती है कि भाजपा और नितीश के बीच कुछ तो ऐसा है जिसको कुछ खास लोग हवा दे रहे हैं.

Published: 10-07-2020

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