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एम पी में रामबाई का जलवा

विकल्प शर्मा : नयी दिल्ली : वह मध्यप्रदेश के बुंदेलखण्ड के बदनाम इलाकों से ताल्लुक रखती है. उनका परिवार कथित रूप से न केवल इस इलाके के मुनाफे वाले व्यवसायों को नियत्रित करता हैं बल्कि राज्य में अधिकारिक स्थानातंरण और पोस्टिंग पर उसका दबदबा हैं सत्ता

एम पी में रामबाई का जलवा
एम पी में रामबाई का जलवा
विकल्प शर्मा : नयी दिल्ली : वह मध्यप्रदेश के बुंदेलखण्ड के बदनाम इलाकों से ताल्लुक रखती है. उनका परिवार कथित रूप से न केवल इस इलाके के मुनाफे वाले व्यवसायों को नियत्रित करता हैं बल्कि राज्य में अधिकारिक स्थानातंरण और पोस्टिंग पर उसका दबदबा हैं सत्ता के चाहे कोई भी दल हों. पथरिया की विधायक रामबाई की कमलनाथ की अगुवाई वाली पिछले कांग्रेस सरकार में जो धमक हुआ करती थी भाजपा की नई नवेली सरकार में भी वह बदस्तूर जारी है. बहुजन समाज पार्टी की यह नेता राज्य में किसी भी सत्तारूढ़ सरकार के लिए इतनी महत्वपूर्ण क्यों है और हर सरकार उन्हें इतना महत्व क्यों देती हैं. 2018 के विधानसभा चुनाव में 114 विधायकों के साथ सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी कांग्रेस और उसने समाजवादी पार्टी के एक विधायक चार निर्दलीय और रामबाई सहित दो बसपा विधायक के समर्थन से सरकार बनाई. कमलनाथ सरकार को बचाए रखने के लिए अपनी अहमियत को भापते हुए रामबाई ने जल्द की मुखर होना शुरू कर दिया. अगर उनकी मांगें पूरी नहीं हुई तो अधिकारियों को अंजाम भुगतने को तैयार रहने की धमकी देते उनके विडियो सामने आए. कमलनाथ सरकार ने उन्हें एक बी टाईप बंगला आवंटित किया जो आमतौर पर मंत्रियों और अधिकारियों को आंवटित होता था लेकिन रामबाई के लिए सबसे बड़ा कलंक तो अभी आना बाकी था. 15 मार्च 2019 को आष्टा के व्यापारी और स्थानीय नेता देवेन्द्र चौरसिया की कस्बे के बाहरी इलाके में हत्या कर दी गई. दमोह जिला पंचायत सदस्य ने हत्या से तीन दिन पहले ही बसपा छोड़कर कांग्रेस का हाथ थामा था. हत्या से एक महीना पहले चौरसिया दमोह जिला पंचायत अध्यक्ष शिवचरण पटेल के खिलाफ अविस्वास प्रस्ताव लेकर आए थे. ये कथित रूप से स्थानीय राजनीति से प्रेरित था और कहा जाता हे एक केन्द्रीय मंत्री और क्षेत्र के एक सीनियर भाजपा नेता ने बहुत रूचि ली थी. रामबाई पहले पंचायत की उपाध्यक्ष थी ने पटेल का समर्थन किया था हालांकि अविस्वास प्रस्ताव तो गिर गया परन्तु माना जाता है कि इससे रामबाई का परिवार इनसे बहुत नाराज हो गया था. इस साल मार्च में मध्यप्रदेश की सत्ता कांगेस के हाथ से भाजपा के पास चली गई. विधानसभा में भाजपा ने अपने 107 विधायकों के साथ कांग्रेस के 25 विधायकों के इस्तीफा देने और दो विधायकों के निधन के कारण 27 सीटे खाली होने के चलते बहुमत की सरकार बना ली लेकिन इससे रामबाई का दबदबा कम नहीं हुआ क्योंकि वह भी उन विधायकों में शामिल थी जो मध्यप्रदेश में कमलनाथ सरकार के खिलाफ तख्ता पलट के हिस्सा थे. भाजपा भले ही विधानसभा में आरामदायक स्थिति में हैं फिर भी उसने उन्हें अपने साथ रखना जारी रखा, ऐसा क्यों है. हालोकि भाजपा के पास 107 सीटें हैं और कोग्रेस के विधायक लगातार इस्तीफा दे रहें है लेकिन भगवा पार्टी 27 विधानसभा सीटों के लिए होने वाले उपचुनाव के लिए बहुत संभलकर चल रही है. जून में चौरसिया हत्या के मामले में एक नया मोड़ आ गया. अनुसूचित जाति से आने वाले एक युवा कमल अहिरवार ने चौरसिया परिवार के सदस्यों पर आरोप लगाया कि दोनों परिवारों के बीच कथित सम्पत्ति विवाद के कारण उन्हें जान से मारने की कोशिश की। दिलचस्प बात है कि चौरसिया मामले में अहिरवार की माँ विधारानी गवाहों में से एक थी. शायद यह संकेत है कि राज्य में सरकार बदलने के बाद भी रामबाई के इलाके में वर्चस्व लगातार बढ़ता जा रहा है लेकिन रामबाई का दावा है कि यह सब राजनीतिक साजिश का हिस्सा है. वे कहती हैं कि चौरसिया मामला अदालत में विचाराधीन है इसलिए मैं इस पर कोई टिप्पणी करना नहीं चाहूंगी. वह कहती हैं मुझे पता हैं जो भी हो रहा है वह जयंत मलैया की शय पर हो रहा है. अदालत का फैसला आने दीजिए मलैया पूरी तरह नंगे हो जायेंगे.

Published: 27-08-2020

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