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दिग्विजय सिंह मिशन पर

विकल्प शर्मा : नयी दिल्ली : भारतीय राजनीति में कुछ लोग ऐसे होते हैं जो थकते नहीं हैं. बल्कि राजनीति उनके साथ कदमताल करते हुए चलती रहती है. एक ऐसा ही नाम है दिग्गी राजा यानी मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह का. 15 साल से सत्ता से बाहर र

दिग्विजय सिंह मिशन पर
दिग्विजय सिंह मिशन पर
विकल्प शर्मा : नयी दिल्ली : भारतीय राजनीति में कुछ लोग ऐसे होते हैं जो थकते नहीं हैं. बल्कि राजनीति उनके साथ कदमताल करते हुए चलती रहती है. एक ऐसा ही नाम है दिग्गी राजा यानी मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह का. 15 साल से सत्ता से बाहर रहने के बावजूद दिग्गी राजा लगातार चर्चा में बने रहे हैं. कांग्रेस का आलाकमान भी उन्हें खाली बैठने नहीं देता. लेकिन अब उनके सामने एक बड़ा लक्ष्य है बेटे को मुख्यमंत्री बनते देखने का. इसके लिये राजा किसी भी हद तक जा सकते हैं. पिछले दिनों एक बड़ी खबर आयी कि बड़ी उठापटक के बीच दिग्गी राजा की मुलाकात मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से हुई. कहने को तो यह एक शिष्टाचार और अनौपचारिक मुलाकात मानी जा रही है लेकिन इस शिष्टाचार मुलाकात में कुछ ऐसी खिचड़ी पकी है जिसका स्वाद 2023 के आसपास लिया जा सकता है. दिग्विजय ने अपने मोहरे लगभग बिठा दिये हैं और ऐसा पहली बार हो रहा है जब वो किसी भाजपाई मुख्यमंत्री से मदद मांग रहे हैं. वैसे भाजपा में दिग्गी राजा के दोस्तों की कमी नहीं है. फिर भी सवाल यह है कि दिग्गी राजा ने भाजपा से ही मदद क्यों मांगी ? भाजपा के एक रणनीतिकार जो शिवराज सिंह से भी जुड़े हुए हैं, उनका कहना है कि शिवराज जी हर उस कदम की कीमत वसूल लेते हैं जिसके ऐवज में वो दूसरों को फायदा पहुचाते हैं. फिर ये तो एक बड़े कांग्रेसी नेता के बेटे की ब्रांडिंग का मामला है. वहीं दूसरे एक आलोचक बहुत सधे अंदाज में कहते हैं कि राजनीति में सारे विकल्प खुले रहते हैं. दिग्गी राजा की महारत ये है कि वो दांये हाथ से जो दांव चलते हैं तो बांये हाथ को भी नहीं पता चलता है. हालांकि दिग्विजय सिंह ने यह कदम बहुत सोच समझ कर उठाया है और इसकी धमक गांधी परिवार तक जाने वाली है. भाजपा भी जानती है कि शिवराज के लिये प्रदेश में यह अंतिम अवसर होगा. इसलिये उसे ऐसा कांग्रेसी नेता चाहिये जो कांग्रेस ही नहीं गांधी परिवार के ताबूत मे आखिरी कील ठोंक सके. उधर गांधी परिवार में भाई बहन के बीच छिड़ी वर्चस्व की जंग में राजा राहुल गाधी के साथ मजबूत दीवार बन कर खड़े रहना चाहते हैं. जबकि सोनिया गांधी इस बात पर आमादा हैं कि इस बार तो वह प्रियंका को कांग्रेस की बागडोर सौंप कर राजनीति की मुख्य धारा में लाकर रहेंगी. तो क्या यह तय हो चुका है कि दिग्गी राजा की निष्ठा कहां जाकर टिकने वाली है और वो इसकी बड़ी कीमत वसूलना भी अच्छी तरह जानते हैं. दिग्गी राजा का एक स्वभाव रहा है कि पहले वो लोगों को बनाते हैं और फिर उसे निपटाते हैं. अगर उनकी बारीक रणनीति पर ध्यान दिया जाये तो उनका अगला शिकार हैं पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह के बेटे अजय सिंह उर्फ राहुल जिन्हें उन्होंने कमलनाथ से भिड़ा दिया है. राजा अपने मोहरे चलेंगे और अजय सिंह को पहले प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बनवायेंगे फिर उन्हें निपटायेंगे. वह इस तरह अपने बेटे के सारे पत्थर साफ करते हुए एक सुगम मार्ग बनाने की तैयारी कर चुके हैं. अब इसे अमली जामा पहनाने के लिये उचित अवसर और वक्त की तलाश में हैं.

Published: 26-05-2020

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