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अनुसंधान संस्थान : देहदान

पुत्र द्वारा पिता कि अन्तिम इच्छा अनुसार आयुर्वेद अध्ययन एवं अनुसंधान संस्थान में किया गया देहदान।

देहदान
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श्रीकृष्ण आयुष विश्वविद्यालय के आयुर्वेद अध्ययन एवं अनुसंधान संस्थान के रचना शरीर विभाग में शुक्रवार को पंजाब के बरनाला निवासी रंजीत सिंह द्वारा अपने पिता के देहावसान बाद देहदान किया गया।

रंजित सिंह ने कहा कि उनके पिता जगराज सिंह की यह अंतिम इच्छा थी, कि मृत्यु उपरांत भी उनका शरीर समाज कार्य में लगना चाहिए। इसलिए उनकी इच्छा का सम्मान करते हुए अनुसंधान कार्यों हेतु महाविद्यालय को बॉडी डोनेट की गई है। स्नातकोत्तर रचना शरीर विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. सतीश वत्स एवं देहदान सेल के नोडल अधिकारी डॉ. आशीष नांदल की उपस्थिति में देहदान की प्रक्रिया को पूर्ण किया गया।

डॉ. सतीश वत्स ने इस पुनीत कार्ये हेतु रंजीत सिंह एवं पुत्र लवप्रीत सिंह का धन्यवाद किया और कहा कि देहदान और अंगदान की संकल्पना कोई नई नहीं है भारत जैसे देश में यह सदियों से रही है। देहदान के सबसे बड़े प्रणेता थे महर्षि दधीचि, जिन्होंने लोकहित के लिए अपनी अस्थियों का भी दान कर दिया था।

समाज के हर नागरिक को देहदान के साथ-साथ अंगदान भी करना चाहिए जिसके द्वारा जरूरतमंद मनुष्य की जान बचाई जा सकती है। इस अवसर पर विभाग के सभी अध्यापकगण डॉ. रजनीश सिंह, डॉ. सचिन शर्मा एवं सभी स्नातकोत्तर छात्र एवं छात्राएं उपस्थित रहे।


Published: 20-09-2024

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