Media4Citizen Logo
खबर आज भी, कल भी - आपका अपना न्यूज़ पोर्टल
www.media4citizen.com

जाली चिकित्सीय प्रमाण पत्र बनाने वाला : टेक्नीसिएन सलाखों के पीछे

सैकड़ो निर्दोषो के खिलाफ जाली चिकित्सीय प्रमाण पत्र निर्गत करने वाला एक्सरे टेक्नीसिएन इस समय सलाखों के पीछे है। यहां तक उच्च न्यायालय की लखनऊ खंडपीठ द्वारा उनकी जमानत याचिका को खारिज कर दिया है।

टेक्नीसिएन  सलाखों के पीछे
टेक्नीसिएन सलाखों के पीछे

ऊंट खुद को धरती का सबसे ऊंचा समझता है। जब वह वहाड़ के नीचे आता है तो उसका यह भ्रम टूट जाता है। एक पुरातन किवदंती है कि बुरे कार्यो का नतीजा भी बुरा ही होता है। कर्मो का प्रतिफल भले ही देर से मिले। कहा जाता है कि ईष्वर के यहां देर है अंधेर नही। इन्ही किवदंतियों पर आधारित एक मामला बहराहच जिले के स्वास्थ्य महकमें से जुड़ा हुआ है।

जिला अस्पताल बहराइच में वर्ष 2006-07 और 2008 में राकेष प्रताप सिंह एक्सरे- टेक्नीसिएन के पद पर तैनात थे। इस कालखं डमें डा. ओपी सिंह से आंतरिक समझौता किया। इस समझौते के जरिए कूटरचित अभिलेखो में हेरफेर और क्रास एक्सरे रिपोर्ट तैयार करके तमाम निर्दोषो को जेल पहुंचाया।

यही नही उनकी कूटरचित रिपोर्टिंग की वजह से पीड़ितो का पूरा परिवार अंधकार के आगोष में समा चुका था।
गलत रिपोर्ट से पीड़ित सुन्दरलाल नामक व्यक्ति ने कोतवाली नगर बहराइच में राकेश प्रताप सिंह के खिलाफअपराध संख्या 299-20 के तहत दर्ज कराया था। इस मामले में वे बीते 23 मई से जिला जेल बहराइच में निरुद्ध है। हाईकोर्ट ने उनकी जमानत याचिका खारिज करते हुए दस दिनों में काउंटर दाखिल करने का आदेश दिया हे।

एक्सरे टेक्नीसिएन राकेश प्रताप सिंह की काली करतूतो का खुलासा जन सूचना अधिकार के तहत प्राप्त जानकारी से होती है। जन सूचना देने के पहले मुख्य चिकित्सा अधीक्षक ने तीन चिकित्सको की एक टीम का गठन कर मामले को सत्यापित करने की जिममेदारी सौंपी। जांच टीम ने डा. ओपी सिंह और एक्सरे टेक्नीसिएन की दुरभि संधि के साथ तमाम जाली और क्रास रिपोर्ट जारी करने का दोषी पाया।

मजेदार बात तो यह रही कि जिला अस्पताल में तैनात एक मात्र रेडियालाजिस्ट अरुण कुमार की मौजूदगी में भी डा. ओपी सिंह के हस्ताक्षर से रिपोर्टे जारी की गयी। जबकि नियम इसकी इजाजत नही देता है। गलत रिपोर्टिंग के कारण पीड़ितों के खिलाफ गंभीर धाराओं में अभियोग पंजीकृत कर लिया जाता था। जैसा कि डा. ओपी सिंह जिला अस्पताल में ही हड्डी रोग विषेषज्ञ के तौर पर तैनात थे। डा. अरुण कुमार रेडियोलाजिस्ट थे।

सुन्दर लाल और राम मूर्ति यादव के बीच विवाद हुआ था। उस विवाद में राम मूर्ति का पुलिस द्वारा जिला अस्पताल में दिनांक 29.10.2007 को चिकित्सीय परीक्षण कराया गया। जिसमें एक्सरे क्रमांक 3443 पर हुआ था। डा. अरुण कुमार ने रिपोर्ट में एन.ए. डी की पुष्टि की थी। राम मूर्ति की उसी दिन तिथि और उसी क्रमांक पर राकेश प्रताप सिंह और डा. ओपी सिंह के हस्तलिपि में दूसरी जाली रिपोर्ट तैयार की गयी।

जाली रिपोर्ट में राममूर्ति के सिर की हड्डी में फे्रक्चर होने की पुष्टि की गयी थी। इस क्रास और जाली रिपोर्ट के आधार पर पुलिस ने मामले में धारा 308 की वुद्धि करके सुन्दर लाल को जेल भेज दिया। जन सूचना से उजागर हुए मामले की प्रति प्राप्तकर सुन्दर लाल ने खुद को बचाने का भागीरथी प्रयास आरम्भ किया। नतीजन दूसरो को जेल पहुंचाने वाला एक्सरे टेक्नीसिएन आज खुद सलाखो के पीछे है।

 

- जेपी गुप्ता


Published: 28-06-2024

Media4Citizen Logo     www.media4citizen.com
खबर आज भी, कल भी - आपका अपना न्यूज़ पोर्टल