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यूपी का उप चुनाव : भाजपा-सपा की प्रतिष्ठा पर

लोकसभा के आम चुनाव के बाद यूपी में विधान सभा के उप चुनाव के लिए मैदान सजने लगा है। आगामी कुछ महीनों में उप चुनाव का ऐलान भी संभव है। सूबे में होने वाले इस चुनाव को राजनीतिक धरातल पर यूपी विधान सभा के आम चुनाव के पहले क्वार्टर फाइनल माना जा रहा है।

भाजपा-सपा की प्रतिष्ठा पर
भाजपा-सपा की प्रतिष्ठा पर

समाजवादी पार्टी से चार भाजपा से तीन तथा भाजपा के दो सहयोगी दलों के एक-एक विधायक सांसद चुने गये है। इस लिहाज से भाजपा और उसके सहयोगी दलों सहित समाजवादी पार्टी को अपनी-अपनी सीटो पर जीत दर्ज करने की चुनौती होगी। साथ ही एक दूसरे की कब्जे वाली सीटो में सेधमारी करने की कोशिश रहेगी।

लोकसभा चुनाव में करारी शिकस्त के बाद सूबे के सीएम योगी आदित्यनाथ उप चुनाव में बेहतर प्रदर्शन करके पार्टी के पक्ष में एक स्वस्थ माहौल विकसित करने के साथ ही लोकसभा चुनाव में लगे धब्बे को धोने की पूरी कोशिश करेंगे। दूसरी तरफ विपक्ष अर्थात सपा और कांग्रेस गठबंधन लोकसभा चुनाव में बने माहौल को बनाये रखने के लिए रणनीति तैयार करने में जुट गयी है।

सूबे के 9 विधासक सांसद चुने गये है। सांसद चुने जाने के बाद उन्हे विधायक पद से इस्तीफा देना पड़ा। अब चुनाव आयोग को छह महीने के भीतर उप चुनाव कराना अनिवार्य है। समाजवादी पार्टी से पार्टी से करहल से विधायक रहे पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव,अयोध्या की मिल्कीपुर से विधायक रहे अवधेष प्रसाद, अंबेडकर नगर की कटेहरी के विधायक लालजी वर्मा, मुरादाबाद की कुंदरकी से विधायक जियाउर्रहमान वर्क सांसद चुने जा चके है।

जबकि भाजपा से अलीगढ़ के खैर विधायक अनूप वाल्मीकि प्रधान, गाजियाबाद से विधायक अतुल गर्ग, फूलपुर से विधायक प्रवीण पटेल मीरापुर से रालोद विधायक चंदन चैहान, मिरजापुर की मंझवा से निषाद पार्टी के विधायक विनोद कुमार भी सांसद चुने गये है।

सांसद चुने जाने के बाद सभी विधायको ने अपने-अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। कुल मिलाकर 9 विधान सभा सीटो पर उप चुनाव होने है। इसके अलावा भी कुछ अन्य विधान सभा क्षेत्रों में उप चुनाव कराये जाने की संभावनाऐ पनप रही है।
बीते महीनो यूपी में राज्य सभा के लिए चुनाव हुए थे।

उस चुनाव में करीब सपा के सात विधायको ने पार्टी लाइन से हटकर भाजपा प्रत्याषी के पक्ष में मतदान किया था। जिसकी वजह से भाजपा के एक अतिरिक्त राज्य सभा प्रत्याषी को जीत हासिल हुई थी। ऐसी दषा में समाजवादी पार्टी ऐसे बागी विधायको की विधान सभा की सदस्यता को खत्म कराने के लिए विधान सभा अध्यक्ष के समक्ष आवेदन करने जा रही है।

समाजवादी पार्टी के आवेदन को अमल में लाया जाता है और सपा के बागी विधायको की सदस्यता रद्द होती है तो ऐसी सात और विधान सीटो पर उप चुनाव कराये जा सकते है। इस लिहाज से करीब डेढ़ दर्जन से अधिक विधान सभा सीटो पर उप चुनाव की स्थिति फिर से हो जायेगी। ये चुनाव सत्ता पक्ष और समाजवादी पार्टी दोनों के लिए काफी महत्वपूर्ण होंगे।

लोकसभा चुनाव के दौरान इंडिया गठबंधन अस्तित्व में आया था। यूपी में कांग्रेस और समाजवादी पार्टी प्रमुख घटक दल थे। दोनों घटक दलो के बीच विधान सभा के उप चुनाव में भी साकारात्मक रूख देखने को मिल रहा है। आपस में बातचीत के लिए कांग्रेस ने राहुल गांधी और पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खडगे को अधिकृत किया है। कांग्रेस और समाजवादी पार्टी दोनो आपस में मिलकर उप चुनाव लड़ते है तो भाजपा विरोधी मतों के बंटवारे की उम्मीद झटका लग सकता है।

दूसरी तरफ समाजवादी पार्टी इसी साल हरियाणा और महाराष्ट्र में विधान सभा के चुनाव होने है। गठबंधन धर्म के नाते समाजवादी पार्टी इन दोनेां राज्यों में विधान सभा की कुछ सीटे मांग रही है। बदले में यूपी में होने वाले उप चुनाव में सपा कांग्रेस को भी कुछ सीटे दे सकती है। आपस में सामंजस्य बना रहा तो दोनों के बीच गठबंधन की गांठ भी मजबूत बनी रहेगी। यूपी के आम विधान सभा चुनाव में भी दोनेां दलों को इसका फायदा मिलेगा।

लोकसभा चुनाव के नतीजो का विष्लेषण करने के बाद एक तथ्य उभर कर सामने आया है। यदि यूपी में आज विधान सभा के आम चुनाव हो जाये तो चैकाने वाले नतीजे सामने आ सकते है। विधान सभावार विश्लेषण के बाद जो तस्वीर उभरी है उसमें समाजवादी पार्टी और कांग्रेस गठबंधन के हिस्से में 224 सीटे, जाती दिख रही है। भाजपा और एनडीए गठबंधन के पक्ष में 174 तथा अन्य के हिस्से में पांच सीटे जाने की उम्मीद बनती है।

 

- जेपी गुप्ता

 




Published: 28-06-2024

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