परमाणु वैज्ञानिक आधार पर ये सबसे छोटी इकाई है इससे भी इसके छोटे छोटे और घटक हैं परमाणु संरचना मे देखे तो बाहरी कक्षा मे घूम रहे electrons ऋण आवेशित होतें है निगेटिव होते हैं और दूसरे से क्रिया करके नया सृजन करते हैं प्रोटान + ve आवेशित होता है और केंद्र मे रहता है उसके पास electron को नियंत्रित करने की शक्ति भी होती है
न्यूट्रॉन भी केन्द्र के पास होते हैं विपक्ष की भूमिका मे इन पर कोई आवेश नही होता ये न्यूट्रल होतें हैं पर इनका भी रहना जरूरी है अगर बाहरी कक्षा मे घूम रहे ऋण आवेशित elctron न हो तो नया बदलाव संभव ही नही ऋणात्मकता का भी अपना वजूद है वो मरता मिटता रहेगा
नये बदलाव के लिए इसलिए लोकतांत्रिक ढाँचे मे बाहरी कक्षा को कुर्बानी देनी ही है आप प्रोटान और न्यूट्रान electron क्या हैं तय करिये वैसे वैज्ञानिक आधार पर परमाणु का केंद्र ही कुल वजन का 99 फीसदी होता है मतलब वजन दर हिस्सा बदलाव होने पर उसके वजूद पर कोई अंतर नही आता पर बदलाव भी चाहिए
परमाणु में जिस दिन इलेक्ट्रॉन की क्रियाशीलता खत्म हो जाएगी परमाणु का वजूद खत्म हो जाएगा उस संरचना का वजूद खत्म हो जाएगा जो सृष्टि की सबसे छोटी इकाई है क्रियाशीलता और ऋणत्मकता सृजन के लिए बदलाव के लिए कुछ नया बनाने के लिए कितना जरूरी है इसका एहसास कीजिए आपके जीवन उपयोगी जो भी रसायन प्राप्त हैं सब उसी ऋणात्मक इलेक्ट्रान की क्रियाशील शीलता का परिणाम है लोकतंत्र कमोबेश ऐसा ही है...