कार्यक्रम में प्राचार्या प्रो० मंजुला उपाध्याय, मुख्य अतिथि प्रो० ऊषा सिन्हा , अध्यक्ष प्रो० मंजुला यादव, प्रो0 अमिता रानी सिंह,अंकिता पांडेय, डा0 अपूर्वा अवस्थी, मेघना यादव , डा० रश्मि शील , अंजू सिंह और हर्षराज अग्निहोत्री उपस्थित हुए।
सुभारंभ दीप प्रज्वलन और सरस्वती मां के चित्र पर माल्यार्पण से हुआ।
सरस्वती वंदना और अतिथियों का स्वागत और माल्यार्पण के पश्चात् प्राचार्या प्रो0 मंजुला उपाध्याय ने कहा अंग्रेजी और हिंदी के बीच ताल मेल बैठाना आवश्यक है, उन्होंने छात्राओ को प्रेरित करते हुए कहा कि वे अधिक से अधिक पुस्तकों की ओर ध्यान दें क्यों कि जब वे अच्छा पढ़ेंगी तभी अच्छा लिखेंगी।
डा0 रश्मि शील ने कहा कि बोल हिंदी एक गुलदस्ता है जो बोली रूपी पुष्पों से सुसज्जित है, स्थानीय भाषाएं ही हिंदी को संपुष्ट करती है।
अंकिता पांडेय ने विषय प्रवर्तन करते हुए कहा हिंदी तथा अन्य भाषाओ का स्त्रोत संस्कृत है। भाषा की विशेषता है की वो समय के साथ विकसित होती है, हिंदी साहित्य को संपन्न बनाने में बोलियों का योगदान अतुलनीय है।
मुख्य वक्ता अतिथि प्रो0 ऊषा सिन्हा ने कहा कि लोकगीत, लोककथा और कहावतों ने हिंदी और उसकी बोलियों को समृद्ध किया है।
हमें अपनी मातृभाषा को बोलने में संकोच नहीं होना चाहिए। गया प्रसाद शुक्ल सनेही, चंद्र भूषण त्रिवेदी,रमयी काका, वंशीधर शुक्ल और जगदीश पीयूष के योगदान के साथ उन्होंने रसाल जी, श्रीकांत वर्मा,केदार तिवारी, श्याम सुंदर मिश्र के योगदान के बारे में भी चर्चा की ।
उन्होंने बताया कि हिन्दी में बैसवारी का बहुत बड़ा योगदान है। सुमित्रा कुमारी सिन्हा ,बताशा बुआ और लक्ष्मी शंकर मिश्र निशंक के योगदान को भी याद किया गया।
संचालन डा0 अपूर्वा अवस्थी ने किया इस अवसर पर डा0 अवस्थी ने कन्नौजी कहानी तोतले भाई भी सुनाई।
कार्यक्रम में महाविद्यालय की सभी प्रवक्ताएं, गण मान्य श्रोता और छात्राएं सम्मलित हुई।