प्रदेश सरकार जनकल्याणकारी नीतियों के माध्यम से किसानों के कल्याण और उनकी आय बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है। मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ के दूरदर्शी नेतृत्व में प्रदेश सरकार वर्ष 2027 तक यूपी को एक ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने के लिए पूरी तरह तैयार है। यह बात उत्तर प्रदेश के कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने शुक्रवार को इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान लखनऊ में भारतीय कृषि एवं खाद्य परिषद् आईसीएफए द्वारा आयोजित एफपीओ उद्योग भागीदारी कार्यक्रम का उद्घाटन करते हुए कही।
कृषि मंत्री ने कहा कि वर्तमान में राज्य में 2000 से अधिक किसान उत्पादक संगठन (एफपीओ) कार्यरत हैं और वर्तमान संख्या में 528 और जोड़ने का लक्ष्य रखा गया है। इसके अलावा पोर्टल पर 3000 से अधिक एफपीओ पंजीकृत हैं। एफपीओ के महत्व पर विस्तार से बताते हुए उन्होंने कहा कि वे किसानों को वित्तीय सुरक्षा प्रदान करते हैं। इसके माध्यम से वे एक समुदाय के रूप में खेती कर सकते हैं और विभिन्न लाभ उठा सकते हैं। उन्होंने एफपीओ की सहायता के लिए मेंटर्स को आगे आने की जरूरत बताई ताकि किसानों को ड्रोन मुहैया कराया जा सके, बीज प्रसंस्करण और कृषि उपज के विपणन में उनकी मदद की जा सके ताकि किसानों और उपभोक्ताओं के बीच बिचौलियों की भूमिका खत्म हो सके।
यह राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा के संबंध में एक प्रमुख भूमिका निभाता है। पहले के विपरीत आज किसानों को खाद और बीज आसानी से उपलब्ध है, जो मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अथक प्रयासों का परिणाम है।
मंच पर अपने विचार साझा करते हुए इंडियन चैंबर ऑफ फूड एंड कॉमर्स (आईसीएफए) के अध्यक्ष डॉ. एमजे खान ने कहा कि भारत में कृषि विकास तेज गति से जारी है। इनोवेशन बहुत तेजी से चल रहा है। सरकार की किसान हितैषी नीतियों से प्रेरित यह गति किसानों को सशक्त बनाने में काफी मददगार साबित होगी। इसके अलावा कृषि उद्योग नए उपकरणों के साथ खेती को उन्नत बनाने में आक्रामक भूमि का निभा रहे हैं।
उत्तर प्रदेश देश के कुल खाद्य उत्पादन में 20 प्रतिशत तक योगदान कर सकता है। उद्योगों को एफपीओ से और एफपीओ को किसानों से जोड़ने की जरूरत है। उन्होंने नासिक में सह्याद्रि फार्म का उदाहरण दिया जो प्रतिवर्ष 700 करोड़ से अधिक निर्यात के साथ देश का सबसे बड़ा एफपीओ है। डॉ. खान ने बताया कि एफपीओ इंडस्ट्री पार्टनरशिप प्रोग्राम लखनऊ में शुरू हो चुका है और देशभर के 20 राज्यों में आयोजित किया जाएगा।
कार्यक्रम के दौरान नाबार्ड के मुख्य महाप्रबंधक एसके डोगरा ने एफपीओ में किसानों के लिए प्रशिक्षण मॉड्यूल की आवश्यकता जताई। उन्होंने विचार किया कि डेयरी और मत्स्य पालन में भी एफपीओ की संभावना तलाशी जा सकती है। एफपीओ के माध्यम से बुनियादी ढांचे को मजबूत किया जा सकता है और किसानों की उपज सीधे उनसे खरीदी जा सकती है। इस तरह आपूर्ति श्रृंखला कुशल हो जाएगी।
कृषि सचिव राजशेखर ने कहा कि एफपीओ किसानों को समय पर कृषि इनपुट उपलब्ध कराने में काफी मददगार साबित होंगे। कृषि उत्पाद समय पर बाजार में पहुंचेंगे और बिचौलियों की भूमिका खत्म होगी। जब किसान एकजुट होंगे तो उनकी सौदेबाजी की शक्ति भी बढ़ेगी जिससे आय भी अधिक होगी। आज सात लाख से ज्यादा किसान एफपीओ से जुड़ चुके हैं। किसानों को आसान ऋण उपलब्ध कराने की आवश्यकता थी।
कार्यक्रम के दौरान पूर्व कृषि उत्पादन आयुक्त अनीस अंसारी ने इस बात पर जोर दिया कि किसानों को उनकी उपज के बाजारों और निर्यात तक आसान पहुंच प्रदान करने की जरूरत है। एफपीओ छोटे पैमाने के किसानों को उनकी उपज का अच्छा मूल्य दिलाने में सहायता करने में काफी मदद करेंगे। इसके अलावा, समय-समय पर प्रकृति की मार झेलने वाले किसानों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की गारंटी जरूरी है।
इस अवसर पर उपस्थित अन्य सम्मानितगण मान्य व्यक्ति थे, हरियाणा के पद्मश्री पुरस्कार विजेता किसान कमल सिंह, अध्यक्ष – इंडो अमेरिकन चैंबर ऑफ कॉमर्स मुकेश सिंह और निदेशक – आईसीएआर बारा पानी वीके मिश्रा। उन्होंने कार्यक्रम में भाग लेने के लिए उत्तर प्रदेश के कोने-कोने से आए किसानों और कृषि उद्यमियों को वर्तमान परिस्थितियों में एफपीओ के महत्व के बारे में समझाया।