फक्कड़, अलमस्त, हँसमुख, मुंहफट, परिश्रमी पत्रकार। बड़ा आनन्ददायी व्यक्तित्व था उनका। बाहर से दिखने में सरल, लेकिन भीतर से बेहद गहरे व्यक्तित्व और धारदार कलम के धनी। हमारी भावपूर्ण श्रद्धांजलि भाई को।
श्रीयुत रिछारिया जी से हमारी पहली भेंट देवनगरी ऋषिकेश में परमार्थ निकेतन आश्रम में वर्ष 2009 में हुई थी। हम देव संस्कृति विश्वविद्यालय हरिद्वार से एक गंगा संगोष्ठी में वहां पहुंचे थे। पहली भेंट में ही उनके व्यक्तित्व ने हमें खासा प्रभावित किया था। बाद में वह नियमित सम्पर्क में बने रहे। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली उनका मुख्यालय था, लेकिन गंगाप्रेमी होने के कारण उनका उत्तराखण्ड आना अक्सर हो जाता था। वह नई दिल्ली के आनन्दधाम में भी हमसे आकर मिले थे। बड़ा प्रेमी स्वभाव था उनका।
भाई श्री टिल्लन रिछारिया जी को भावांजलि आत्मार्पित करता हूँ। हमारे श्रद्धा सुमन। ओम शांति:।