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ज्योतिष : लगे तो तीर नहीं तो तुक्का

 लगे तो तीर नहीं तो तुक्का
लगे तो तीर नहीं तो तुक्का

जैसे प्रेम का रंग लाल होता है,और शांति का सफेद माना जाता है उसी तरह ज्योतिष का पसंदीदा रंग काला होता है इसीलिए हर ज्योतिषी अंधेरे में तीर चलाने का प्रयास करता है। या यूं कहें कि जिस ज्योतिषी की जुबान जितनी काली होती है वह उतना ही बड़ा ज्योतिषी समझा जाता है ।

ज्योतिष शास्त्र की समाज शास्त्र में तगड़ी घुसपैठ होती हैसाथ ही मनोविज्ञान में भी दखल रखता है क्योंकि आदमी को आज से ज्यादा कल की परवाह होती है।हर आदमी अपना कल सुरक्षित रखना चाहता है। इसके लिए अपना भविष्य जानना चाहता है और ज्योतिषी के पास जाता है क्योंकि ज्योतिषी ही उसका शंका समाधान कर सकता है औरअपनी गणना के आधार पर भविष्य की घोषणा कर सकता है ।

दरअसल ज्योतिष कोई चमत्कार नहीं है वह एक ऐसी विद्या है जो आकाशीय चमत्कारों से प्रेरित होती है और चतुर ज्योतिषी मानवी कमजोरियों का लाभ उठाता है। यूँ ज्योतिष न केवल मनुष्य के निजी जीवन के बारे में बल्कि सूर्योदय ,सूर्यास्त, सूर्यग्रहण-चन्द्र ग्रहण ,ग्रहों की स्थिति और मौसम की सही सही जानकारी तो देने में पूरे तौर पर समर्थ होता है लेकिन मनुष्य की लालसा उसे धंधा करने की ज़मीन दे देता है इस हद तक कि वह अंधेरे में जुगनू पकड़ने का दावा करने लगता हैं ।

समस्या इस बात की है कि ज्योतिष के नाम पर ढोंग,पाखंड इतना व्यापक हो गया कि कुछ ज्योतिषी पैसा कमाने के नाम पर तरह तरह के हथकंडे अपनाने लगते हैं जबकि योग, ध्यान,मन्त्र,जाप और प्रार्थना से मनुष्य अपनी देह में ही ऐसी शक्तियों का आभास करने लगता हैजो उसके हर बिगड़े काम को बना देता है । बुद्धि की इसी विलक्षणता में उसकी तार्किक शक्ति इतनी प्रबल हो जाती है कि उसके कदम सही दिशा में स्वतः मुड़ जाते हैं । लेकिन इस देश मे जाने कितने ज्योतिषी ज्ञानी या अल्पज्ञानी हैं पर धंधा वही कर पाते है जो व्यावसायिक चालाकियों में माहिर होते हैं।
ज्योतिष का बाजार बहुत बड़ा है।

ज्योतिषियों की दुकानें भी गली गली हैं। व्यवस्थित और अव्यवस्थित भी । नारायण दत्त श्रीमाली से लेकर चंद्रास्वामी, पदमेश से लेकर एस्ट्रो अंकल तक कि दुकानें चर्चा में रही है पर दूसरों का भाग्य बताने वाले अपना ही भाग्य नहीं बांच पाते है यह तब सामने आया जब श्रीमाली जी का तंत्र शास्त्र नाकाम हो गया जबसी बी आई के अधिकारियो के आगे उन्होंने अपना चरण आगे कर दिए तब उनसे उस अधिकारी ने बोला अपना हाथ आगे करें हम आपको हथकड़ी लगाने आये हैं । और कुछ ही दिनों बाद चंद्रास्वामी अंदर भी हो गए ।

इसीतरह चंद्रास्वामी ने गीतकार नीरज के बारे में कुछ भविष्वाणी की तो नीरज जी ने उनसे कहा आप अपनी फिकर करें तो कुछ ही दिनों में सलाखों के अंदर होने वाले हैं। वैसे नीरज जी और पूर्व प्रधानमन्त्री अटल बिहारी बाजपेई और नीरज जी की कुंडली मे काफी साम्य है जोदोनों को लोकप्रियता के शिखर तक ले गयी ।

यहीं एक प्रकरण और भी है-एक बार एक राजा ने विद्वान ज्योतिषियों और ज्योतिष प्रेमियों को बुलाकर प्रश्न किया कि मेरी जन्म पत्रिका के अनुसार मेरे राजा बनने का योग था किंतु उसी मुहूर्त में अनेक लोगों ने जन्म लिया पर उनमे से कोई राजा नहीं बन सके? ज्योतिष शास्त्र तो जन्म के समय,स्थान, मुहूर्त,लक्षण के आधार पर गण ना करता है पर मेरे ज न योग के साथ जन्मे औरों में फर्क क्यो है ?

राजाका प्रश्न ऐसा था कि सभी निरूत्तर रहे । क्या सचमुच ज्योतिष शास्त्र तीर तुक्के और फजीहत से जुड़ा हुआ है। लग गया तो तीर नहीं तो तुक्का ।चल गया तो चांद तक नहीं तो शाम तक । ज्योतिष में रिस्क मुख्य तत्व है और बिना रिस्क लिये कोई ज्योतिषी फलादेश नहीं कर सकता ।

ज्योतिष की तथाकथित भविष्य वाणियों को लेकर इसी के चलते बहुत सारे विवाद हैं कभी भी दो ज्योतिषी एकमत नहीं होते। कितनी अजीब बात है मंगल ग्रह को ज्योतिष में बहुत भारी माना जाता है।मंगली लड़के या लड़की की शादी में यही समस्या मानी जाती है लेकिन व्यवहार में मंगल को शुभ मानते हुए कहा जाता है मंगल हो,आपका मंगल हो। मंगलमय हो ।

ज्योतिष के चमत्कार कैसे होते है यह भी एक नमूना है-

एक बार एक ज्योतिषी को हुल्लड़ मुरादाबादी ने अपनी कुंडली दिखाई पांच मिनट बाद वह बोला नोट करलो भाई ! प्रथम यह कि जब शुक्र तुला का होकर तुम्हारी कुंडली के सप्तम भाव में आएगा तो तुम्हारा विवाह हो जाएगा दूसरा यह कि जब बृहस्पति और पंचम घर का स्वामी अपने उच्च वंश में जायेगा तो तुमको पुत्र लाभ कराएगा ।

तीसरा और अतिंम तुम्हारी कुंडली मे चंद्र मंगल योग है।चन्द्रमा की दृष्टि जब बृहस्पति से मिलेगी तो तुम्हारी दस लाख की लॉटरी खुलेगी। जैसा ज्योतिषी ने कहा ठीक वैसा ही हुआ ।ज्योतिष के चमत्कार ने मन को छुआ ।पत्नी बोली-" विवाह हुआ तो ज्योतिषी की कृपा से और अब दस लाख की लॉटरी खुली है । क्या किस्मत मिली है ।आप तुरन्त ज्योतिषी के पास जाइये । और आगे क्या होगा पूछ कर आइये "

हुल्लड़ जी ने ज्योतिषी का दरवाजा खटखटाया तो अंदर से उनका नौकर रसिकबिहारी बाहर आया वो बोला- आज ज्योतिषी जी किसी से नहीं मिल सकते सुबह से भांग छान कर अपनी ही कुंडली का फलित निकाल रहे हैं इसीलिए हम फालतू मिलने वालों को टाल रहे हैं फिर वह ज्योतिषी जी को बुलाकर लाया। हुल्लड़ जी ने कहा - प्रभु !आप सिद्ध पुरुष हैं । आपकी तीनो भविष्यवाणी सत्य निकली अब आगे क्या होगा यह बतलाइए ? वो बोला दस लाख मिले हैं न पांच लाख इधर लाइये सुनकर हुल्लड़ हिचकिचाएं इतनी बड़ी रकम अब कहाँ दे पाऊँगा

ज्योतिषी बोला नहीं दे पाएगा तो इसका फल पायेगा ।तेरी किस्मत फूट जाएगी। और इस महीने की तीस तारीख को तेरी एक टांग टूट जाएगी। पन्द्रह दिन बाद ज्योतिषी का फोन आया - हेलो मै ज्योतिषी बोल रहा हूं टांग टूटी? हुल्लड़ जी नेकहा - जी नहीं । वो बोला ऐसा नही हो सकता ज्योतिषी की भविष्यवाणी अटल है, इस समय क्या कर रहे हो ? पान खाने जा रहाहूँ । ज्योतिषी बोला पान की दूकान पर मिलना अपन स्कूटर लेकर आ रहा हूँ ।

ज्योतिषी ने स्कूटर हुल्लड़ की ओर मारा तभी बीच में आ गया एक खटारा । खटारे से किस्मत फूट गई और उल्टे ज्योतिषी जी की ही एक टांग टूट गयी। अस्पताल में लेटे लेटे ज्योतिषी ने कहा - उस दिन मैं भांग इतनी चढा गया कि कुंडली अपनी देखी और भविष्य तुम्हारा बता गया ।


Published: 20-06-2023

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