Media4Citizen Logo
खबर आज भी, कल भी - आपका अपना न्यूज़ पोर्टल
www.media4citizen.com

राजा महेंद्र प्रताप सिंह को भारत रत्न दिए जाने पर : कई संस्थाओ का हरपाल राण को मिला समर्थन

देश में फकीर से राजा तो अनेकों बने। लेकिन अकेले राजा से फकीर बने शिक्षाविद क्रांतिकारी समाजसेवी राजा महेंद्र प्रताप जो देश के इकलौते राजा थे। जिन्होंने अपनी अधिकतर भूमि संपत्ति शिक्षक संस्थानों किसानों को देकर स्वरोजगार और शिक्षा का उजियारा किया।वह इतने दूरदर्शी थे कि उन्होंने 1911 में वृंदावन के अपने महल में स्वरोजगार की शिक्षा के लिए आईटीआई की शुरुवात की थी। वह 1957 में मथुरा से लोकसभा के सांसद भी निर्वाचित हुए।

कई संस्थाओ का हरपाल राण को मिला समर्थन
कई संस्थाओ का हरपाल राण को मिला समर्थन

शनिवार 10 जून चंडीगढ़ के जाट सभा के अध्यक्ष डॉ महेंद्र सिंह मलिक सहित संस्थाओं के महत्वपूर्ण पदाधिकारियों को दिल्ली से आये राजा महेंद्र प्रताप अभियान के संयोजक चौधरी हरपाल सिंह राणा व उनकी धर्म पत्नी श्रीमती सीमा राणा को चंडीगढ़ जाट सभा पंचकूला जाट सभा और कटरा-जम्मू जाट सभा की ओर से महामहिम राष्ट्रपति के नाम राजा महेंद्र प्रताप को भारत रत्न दिए जाने के समर्थन में पत्र दिया।

इस अवसर पर हरपाल सिंह राणा द्वारा महेंद्र सिंह मलिक को राजा महेंद्र प्रताप ग्रंथ भी भेंट किया। बता दें कि डॉ महेंद्र सिंह मलिक भारतीय ओलंपिक संघ के अलग-अलग समय पर महासचिव और अध्यक्ष भी रहे हैं। हरियाणा के डीजीपी भी रहे हैं। उन्होंने अनेकों महत्वपूर्ण पदों को सुशोभित किया है। तो वही दिल्ली से आए सुरेंद्र काली रमन ने राजा महेंद्र प्रताप को भारत रत्न दिए जाने के लिए अलग-अलग राज्यों में जाकर अधिक से अधिक समर्थन पत्र हासिल करके, स्वतंत्रता दिवस पर भारत सरकार को दृढ़ता पूर्वक सौंपने की बात कही।

आपको बता दें कि देश में फकीर से राजा तो अनेकों बने। लेकिन अकेले राजा से फकीर बने शिक्षाविद क्रांतिकारी समाजसेवी राजा महेंद्र प्रताप जो देश के इकलौते राजा थे। जिन्होंने अपनी अधिकतर भूमि संपत्ति शिक्षक संस्थानों किसानों को देकर स्वरोजगार और शिक्षा का उजियारा किया।वह इतने दूरदर्शी थे कि उन्होंने 1911 में वृंदावन के अपने महल में स्वरोजगार की शिक्षा के लिए आईटीआई की शुरुवात की थी। वह 1957 में मथुरा से लोकसभा के सांसद भी निर्वाचित हुए।

निडर निर्भीक दूरदर्शी राजा महेंद्र प्रताप ने सर्वप्रथम 1915 में काबुल में आजाद हिंद सरकार का गठन भी किया था।देश को आज़ाद कराने के लिए 32 वर्ष तक वह विदेशों में रहकर ब्रिटिश हुकूमत को भारत छोड़ने को मजबूर करते रहे। वह महात्मा गांधी से पहले 1932 में नोबेल पुरस्कार के लिए नामित किए भी हुए तो, उनके नाम से स्वतंत्रता संग्राम के आंदोलन को गौरवान्वित करने वाली इतिहास मे अनेकों उपलब्धियां है। इसपर सभी संस्थाओ द्वारा राजा महेंद्र प्रताप भारत रत्न का हकदार कहा। इस अवसर पर संस्था के उपाध्यक्ष जयपाल पूनिया, सचिव बीएस गिल, वित्त सचिव राजेंद्र खराब, संयुक्त सचिव एमएस फोगाट, कार्यकारिणी सदस्य एलएस फोगाट सहित अनेकों गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे। 


Published: 10-06-2023

Media4Citizen Logo     www.media4citizen.com
खबर आज भी, कल भी - आपका अपना न्यूज़ पोर्टल