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दिमाग को रिमोट से कंट्रोल करके : बुजुर्गों को दिया जा सकता है नया जीवन : डा. अनुपम जिंदल

दवाइयों से बेअसर, लड़खड़ाते, कांपते बुजुर्ग चलने फिरने में असमर्थ का इलाज अब फोर्टीज अस्पताल में संभव। पार्किंसंस रोगियों के लिए डीप ब्रेन सिटमुलेशन तकनीक वरदान की तरह,फोर्टिस के माहिर डाक्टर हर शनिवार मूवमेंट डिसआर्डर क्लिनिक में करते हैं पार्किंसंस रोगियों की पहचान

बुजुर्गों  को दिया जा सकता है नया जीवन : डा. अनुपम जिंदल
बुजुर्गों को दिया जा सकता है नया जीवन : डा. अनुपम जिंदल

बुढ़ापे में कंपन, चलने- फिरने में असमर्थ, हाथ- बाजू व सिर का कांपना, बोलने में कठिनाई व अंगों की जकडऩ जैसे लक्ष्णों से ग्रस्त बुजुर्ग जो लंबे समय से बिस्तर पर पड़े रहने को मजबूर हों, ऐसे पार्किंसंस बीमारी से पीडि़त बुजुर्ग मरीजों को पूरी तरह से स्वस्थ किया जा सकता है। यह बात जाने-माने न्यूरो सर्जन डा. अनुपम जिंदल ने कुरुक्षेत्र में आयोजित एक पत्रकारवार्ता को संबोधित करते हुए कही, जो कि उपरोक्त लक्ष्णों से ग्रस्त ऐसे पार्किंसंस के मरीजों की पहचान के लिए मोहाली के फोर्टिस अस्पताल में हर शनिवार आयोजित की जाती ‘मूवमेंट डिसआर्डर क्लिनिक’ संबंधी अवगत करवाने के लिए शहर में पहुंचे थे।

फोर्टिस अस्पताल में न्यूरो सर्जरी विभाग के एडिशनल डायरेक्टर डा. अनुपम जिंदल ने कहा कि चिकित्सा जगत में आई क्रांति से ऐसे बुजुर्ग जो पार्किंसंस रोग के कारण स्वयं व अपने घरवालों पर एक भार की तरह बन जाते हैं, बुजुर्गों की इन समस्याओं को उनके मस्तिष्क में डीप ब्रेन सिटमुलेशन (डीबीएस) तकनीक से पूरी तरह कंट्रोल (यानि पूरी तरह से स्वस्थ) किया जा सकता है। डा. अनुपम जिंदल ने पिछले 5 वर्षों से पार्किसंस रोग से पीडि़त एक 64 वर्षीय बुजुर्ग मरीज के उपचार में प्रयोग की गई डीप ब्रेन स्टिमुलेशन तकनीक संबंधी अवगत करवाते हुए बताया कि रोगी के दिमाग को इलेक्ट्रिकल तंत्र से चलाने के लिए एक इलेक्ट्रोड (वायर/स्विचर की तरह दिखने वाली इलेक्ट्रिकल वस्तु) को संबंधित मरीज के मस्तिष्क में डाला जाता है, जिससे उसके मस्तिष्क में प्रभावित कोशिकाओं व कैमिकल्स का उपचार डाक्टर द्वारा रिमोट से किया जाता है। हरियाणा के एक अन्य 65 वर्षीय बुजुर्ग की डीबीएस से हुई सर्जरी संबंधी डा. जिंदल ने बताया कि मरीज आठ वर्षों से पार्किंसंस रोग के कारण अपने पैरों को घसीटकर चलने में मजबूर था। डा. जिंदल ने बताया कि उपरोक्त मरीजों पर दवाएं बेअसर होने के कारण समस्या बढ़ रही थी, जिसने उनके स्वास्थ्य व दैनिक जीवन पर गंभीर प्रभाव डाल दिया था। ऐसे में डीप बे्रन स्टिमुलेशन तकनीक से उनका इलाज संभव हो पाया। उन्होंने बताया कि अच्छी देखभाल के बाद उक्त मरीज की सेहत में सुधार हुआ और लक्षण कम होने लगे। धीरे-धीरे उनकी जिंदगी पटरी पर लौट आई और आज वह सामान्य जीवन जी रहे हैं।

डॉ. अनुपम जिंदल ने बताया कि डीबीएस ने पार्किंसंस रोग से पीडि़त रोगियों के उपचार में क्रांति ला दी है। डीप ब्रेन स्टिमुलेशन पार्किंसंस रोग के रोगियों में बड़ी जटिलताओं में सुधार करता है। हाथ, बाजू, सिर का कांपना और चलने में कठिनाई जैसे लक्षण सर्जरी के बाद कम हो जाते हैं। उन्होंने बताया कि मूवमेंट डिसऑर्डर क्लिनिक हर शनिवार मोहाली स्थित फोर्टिस अस्पताल में सुबह 11 से 2 बजे तक चलती है, जहां उनके अलावा न्यूरो मॉडयूलेशन टीम में शामिल न्यूरोलॉजी कंस्लटेंट डा. निशित सावल, न्यूरो इंटरवेंशन व इंटरवेंशनल रेडियोलॉजी कंस्लटेंट डा. विवेक अग्रवाल, न्यूरो रेडयोलॉजी कंस्लटेंट डा. अभिषेक मिलकर ऐसे मरीजों की पहचान कर उन्हें सही इलाज करवाने की सलाह देते हैं। उन्होंने बताया कि अस्पताल में फूड एंड ड्रग डिपार्टमेंट से मंजूरशुदा वैगल नर्व स्टिमुलेशन (वीएनएस) से मिर्गी व डिप्रेशन के मरीजों का इलाज किया जाता है।


Published: 28-04-2023

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