हारी और कमजोर सीटों का मल्लाह
यूपी भाजपा के रणनीतिकारों में एक नाम है सुनील बंसल। पहले श्री बंसल संघ के कोटे से यूपी भाजपा के महामंत्री संगठन हुआ करते थे। वे अपनी जिम्मदारियों को पूर्व में बखूबी निभा चुके है। आज वे भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री के पद पर आसीन है। लेकिन जब कभी यूपी चुनाव की बात आती है तो भाजपा को बंसल की याद जरूर आती है। साल 2024 में लोकसभा के आम चुनाव होने है। यूपी में लोकसभा की सबसे अधिक 80 सीटे है। यूपी की ये 80 लोकसभा सीटे किसी भी समीकरण मे उलट-फेर कर बाजी पलटने की क्षमता रखती है। केन्द्र की सियासत में सभी दलो के लिए यूपी काफी महत्वपूर्ण है। मौजूदा समय में आंतरिक रूप से भाजपा पहले के मुकाबले इस मर्तवा खुद को कुछ कमजोर मान रही है। उसी कमजोरी को दूर करने के लिए भाजपा ने अपने अनुभवी और पुराने योद्धा को मोर्चे पर लगाया है। इसलिए सुनील बंसल के केन्द्रीय राजनीति में जाने के बाद भी उन्हे यूपी की बागडोर सौपी गयी है। खासकर लोकसभा की उन हारी हुई 14 सीटो पर भगवा फहराने का बोझ उनके कंधो पर डाला गया है।
जैसा कि साल 2017 के पहले यूपी भाजपा संगठन की जिम्मेदारी सुनील बंसल को पार्टी के महामंत्री संगठन पर नामित करके संगठन के कील- कांटो को दुरुस्त करने का जिम्मा सौंपा गया था। भाजपा संगठन की कमजोर कड़ी, उसकी खामियों और संगठन में उपजे असंतोष का बखूबी मुकाबला करते हुए उन्होने यूपी भाजपा में नई उर्जा भर दी। नतीजन साल 2017 में हुए यूपी विधान सभा के चुनाव में भाजपा भारी बहुमत के साथ सत्तासीन हुई। बंसल की कामयाबी का सफर यही खत्म नही होता है अपितु उन्होने 2014 के लोकसभा चुनाव में भी यूपी की 80 लोकसभा सीटो में से 73 सीटे एनडीए की झोली में डालने में बड़ी भूमिका निभायी। बंसल लगातार चार चुनावो में भाजपा के लिए काफी मुफीद रहे है। उनकी उसी योग्यता को लेकर यूपी में भाजपा आज भी आषान्वित है।
यूपी भाजपा अपनी हारी हुई 14 सीटों को जीतने के लिए व्यूह रचना में मशगूल है। इन 14 सीटो के लावा भी कमजोर सीटो की कमान सीधे तौर पर सुनील बंसल के हाथों में है। इसके बावजूद भी संगठन द्वारा अमरपाल मौर्य को संयोजक और कलावती सिंह तथा विजय षिवहरे को सह संयोजक बनाया गया है। जिसे बंसल अपनी रणनीति को आसानी से क्रियान्वित कर सके। इसके अलावा 3-3 लोकसभा सीटो का कलस्टर बनाकर प्रभारी के जिम्मे इन सीटो पर जीत दर्ज करने की जिम्मेदारी सौपी गयी है। राष्ट्रीय स्तर पर सुनील बंसल को इसका प्रभार दिया गया है। पार्टी पदाधिकारियो को प्रभारी बनाते हुए राज्य मंत्री जसवंत सिेह, और मुकुट बिहारी वर्मा को जिम्मेदारी दी गयी है। भाजपा ने पहले से ही चार केन्द्रीय मंत्रियो नरेन्द्र सिंह तोमर, अष्विनी बैष्णव, जितेन्द्र सिंह और अन्नापूर्णा देवी को अलग-अलग सीटो का प्रभार दिया जा चुका है।