श्री निर्मल पंचायती अखाड़ा के महंत एवं षडदर्शन साधुसमाज के उपाध्यक्ष महंत गुरुभगत सिंह ने आज गीता जयंती महोत्सव पर श्रद्धालुओं को बताया कि इंसान प्रयास करें कि किसी भी काम को करवाने के लिए आपको क्रोध का आश्रय न लेना पड़े. जो काम धीरे बोलकर, मुस्कुराकर और प्रेम से बोलकर कराया जा सकता है उसे तेज आवाज में बोलकर और चिल्लाकर करवाना विवेक शून्यता का लक्षण है. जो काम केवल गुस्सा दिखाकर हो सकता है, उसके लिए वास्तव में गुस्सा करना यह भी मंदबुद्धि का लक्षण है.
महंत गुरुभगत सिंह ने बताया कि अपनी बात मनवाने के लिए अपने अधिकार या बल का प्रयोग करना यह पूरी तरह पागलपन होता है. प्रेम ही ऐसा हथियार है जिससे सारी दुनिया को जीता जा सकता है. प्रेम की विजय ही सच्ची विजय है. उन्होंने बताया कि आज प्रत्येक घर में परस्पर द्वेष, संघर्ष, दुःख और अशांति का जो वातावरण है उसका एक ही कारण है और वह है प्रेम का अभाव. आग को आग नहीं बुझाती पानी बुझाता है. पशु-पक्षी भी प्रेम की भाषा समझते हैं. तुम प्रेम बाटों, इसकी खुशबू कभी खत्म नहीं होती. आनंद दो, आनंद लो और आनंद में जियो यही बुद्धिमत्ता का लक्षण है, जो जीवन को तनावमुक्त तो रखता ही है साथ में आरोग्यता भी प्रदान करता है.