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हिमालय एशिया के 18 देशों के लिए : एक जलवायु रक्षक - एक जलवायु गवर्नर

हिमालय एशिया के 18 देशों के लिए एक जलवायु रक्षक - एक जलवायु गवर्नर- के रूप में कार्य करता है. उनके अथक प्रयासों की बदौलत, इन पहाड़ों ने इस क्षेत्र को जलवायु परिवर्तन के सबसे दुष्वार समय में बचाया है, लेकिन फिर भी, हिमालय के ग्लेशियरों ने 1975 के बाद से अपने द्रव्यमान का 18 प्रतिशत खो दिया है - और इन जल बैंकों के पिघलने की दर में हाल ही में अप्रत्याशित रूप से वृद्धि हुई है.

एक जलवायु रक्षक - एक जलवायु गवर्नर
एक जलवायु रक्षक - एक जलवायु गवर्नर

हिमालय दिवस के अवसर पर ऋषिकेश के परमार्थ निकेतन में हिमालय शिखर सम्मेलन का उद्घाटन मुख्यमंत्री, उत्तराखंड, पुष्कर सिंह धामी, परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती, बाल विकास और पोषण मंत्री उत्तरप्रदेश सरकार श्रीमती बेबी रानी मौर्य, वन और तकनीकी मंत्री श्री सुबोध उनियाल,  हेस्को के संस्थापक डॉ. अनिल प्रकाश जोशी, विधायक यमकेश्वर श्रीमती रेणू बिष्ट, विधायक थराली भूपाल राम टम्टा, यूकोस्ट के महानिदेशक (उत्तराखंड विज्ञान और प्रौद्योगिकी परिषद), प्रो डॉ. दुर्गेश पंत जी और विभिन्न विभूतियों ने सहभाग किया.

यह कार्यक्रम उत्तराखंड सरकार, परमार्थ निकेतन, गंगा एक्शन परिवार, हैस्को, यूकास्ट के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित किया गया. कार्यक्रम दो सत्रों में विभाजित किया गया. प्रथम सत्र में विशिष्ट विभूतियों ने उद्घाटन कर उद्बोधन दिया और दूसरे सत्र में देश भर से आये पर्यावरणविद, मंत्रियों, विशेषज्ञों, हितधारकों और वैज्ञानिक ने सहभाग कर हिमालय के संरक्षण हेतु विशेष विचार विमर्श किया तथा भावी योजनायें बनायी.

हिमालय एशिया के 18 देशों के लिए एक जलवायु रक्षक - एक जलवायु गवर्नर- के रूप में कार्य करता है. उनके अथक प्रयासों की बदौलत, इन पहाड़ों ने इस क्षेत्र को जलवायु परिवर्तन के सबसे दुष्वार समय में बचाया है, लेकिन फिर भी, हिमालय के ग्लेशियरों ने 1975 के बाद से अपने द्रव्यमान का 18 प्रतिशत खो दिया है - और इन जल बैंकों के पिघलने की दर में हाल ही में अप्रत्याशित रूप से वृद्धि हुई है.

मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि हम सभी को मिलकर हिमालय के संवर्द्धन और संरक्षण के साथ ही अनवरत विकास के लिये कार्य करना होगा. विकास और आर्थिकी, पर्यावरण और पारिस्थितिकी, ईकोनामी और ईकोलाजी के लिये एकजुट होना होगा. हमारे देश की वायु, जल, मिट्टी और जंगलों को प्रदूषण मुक्त रखने के लिये हिमालय को स्वच्छ और प्रदूषण मुक्त करना होगा. इस अवसर पर उन्होंने मोदी जी द्वारा दिये मंत्र जय जवान-जय किसान, जय विज्ञान-जय अनुसंधान को दोहराया.

मुख्यमंत्री ने बताया कि उत्तराखंड में हरेला पर्व के अवसर पर एक माह तक पौधारोपण कर प्रकृति और पर्यावरण संरक्षण का संदेश दिया जाता है. उन्होंने कहा कि हम आज जीवित रहने के लिये जो आक्सीजन ले रहे हैं वह हमारे पूर्वजों द्वारा रोपित पौधों का ही परिणाम है. इसलिये हमें भी अपनी भावी पीढ़ियों के लिये पौधारोपण करना होगा.
मुख्यमंत्री ने सभी प्रतिभागियों को हिमालय के हरित संवर्द्धन हेतु शपथ दिलवायी तथा आगामी दिनों में सभी हिमालय राज्यों की गोष्ठी के विषय में भी जानकारी प्रदान की.

स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने अलास्का, आइसलैंड और हिमालय के पिघलते ग्लेशियरों पर चिंता व्यक्त करते हुये कहा कि प्रत्येक व्यक्ति को हिमालय का प्रहरी और पहरेदार बनना होगा क्योंकि हिमालय है तो हम है और हिमालय है तो गंगा है. दुनिया की किसी भी पर्वत श्रृंखला में समाज को जीवन, साहस और समृद्धि प्रदान करने की शक्ति नहीं है, जितनी हिमालय के पास है. हिमालय ने जनसमुदाय के जीवन को सकारात्मक रूप से प्रभावित किया है. भारत को आकार देने में हिमालय का महत्वपूर्ण योगदान है. हिमालय भारत की भौतिक समृद्धि, दिव्यता, प्राकृतिक भव्यता, सांस्कृतिक सौंदर्य और आध्यात्मिकता की एक पवित्र विरासत है जिसने भारतीय मूल्यों को अपने में सहेज कर रखा है.

स्वामी जी ने कहा कि उत्तर भारत की अधिकांश नदियां हिमालय से ही निकलती हैं. बर्फ की सफेद चादरों से ढ़के हिमालय की गोद में भारत की आत्मा बसती है. हिमालय हमारी प्राणवायु का स्रोत ही नहीं बल्कि भारत की बड़ी आबादी की प्यास भी बुझाता है इसलिए तो उसे ’पृथ्वी का जल मीनार’ भी कहा जाता है. हम सभी को मिलकर पीस टूरिज्म, आक्सीजन टूरिज्म, योग और ध्यान टूरिज्म को बढ़ावा देना होगा. हमें हिमालय के प्राकृतिक सौन्दर्य एवं सांस्कृतिक विरासत को संजो कर रखना होगा.

वन और तकनीकी मंत्री सुबोध उनियाल ने आज हिमालय दिवस के अवसर पर सभी को पौधारोपण के लिये प्रोत्साहित करते हुये कहा कि एक वृक्ष सौ पुत्रों के समान है. इस अवसर पर उन्होंने परमार्थ जलाशयों और परमार्थ द्वारा रोपित रूद्राक्ष वन और वाटिका के विषय में जानकारी प्रदान की. बाल विकास और पोषण मंत्री उत्तरप्रदेश सरकार श्रीमती बेबी रानी मौर्य जी ने कहा कि परमार्थ निकेतन और उत्तराखंड अद्भुत आध्यात्मिक ऊर्जा के स्रोत हैं. मेरा मन नहीं होता कि इस पवित्र और शान्तप्रिय स्थान को छोड़कर कहीं और जायें. परमार्थ निकेतन आकर मुझे ऐसे लगता है जैसे माँ गंगा मुझे अपने आप में समाहित कर रही है।

हेस्को के संस्थापक डॉ. अनिल प्रकाश जोशी ने कहा कि हिमालय के संरक्षण के लिये जन आन्दोलन तथा सरकार की भागीदारी अत्यंत आवश्यक है. हमें विकास के आदर्श माॅडल को तैयार करना होगा. देश में विकास और परिस्थितिकी विकास साथ-साथ हो इस हेतु समाज और सरकार दोनों को चितंन करना होगा. हिमालय के संवर्द्धन के लिये सभी तंत्रों को एक मंच पर लाना होगा जो कार्य परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी जी कर रहे हैं, वे हिमालय जैसा व्यक्तित्व लिये और हिमालय जैसे विचारों के साथ हम सभी का मार्गदर्शन कर रहे हैं.

इस अवसर पर वैज्ञानिक और वन अनुसंधान संस्थान में वनस्पति विज्ञान विभाग के पूर्व प्रमुख डॉ. सुभाष नौटियाल जी, विवेकानन्द यूथ कनेक्ट फाउंडेशन के अध्यक्ष श्री डा राजेश सर्वज्ञ जी, डीन सीमा डेंटल काॅलेज डा हिमाशु एरण जी, श्री अजेन्द्र अजय, अध्यक्ष बद्री केदार समिति, श्री साकेत बडोला, निदेशक, डॉ योगेश्वरी, डॉ रीमा पंत, निदेशक, यूकोस्ट, डॉ किरण नेगी, हेस्को, डीडीयूएन, डॉ. डी.पी उनियाल, संयुक्त निदेशक, यूकोस्ट और अन्य आमंत्रित वक्ता और गणमान्य व्यक्ति और अन्य विशिष्ट अतिथियों ने सहभाग किया. जैव विविधता का एक बड़ा भंडार है. वे न केवल भारत के लिए बल्कि ग्रह के लिए पारिस्थितिक संतुलन के महत्वपूर्ण संरक्षक हैं. हिमालय के बिना गंगा नहीं है, और जब हिमालय स्वस्थ है तभी भारत मस्त हो सकता है.


Published: 10-09-2022

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