देश को शिक्षित करने का लें संकल्प
आज पूरा विश्व 8 सितम्बर को 58वां साक्षरता दिवस मना रहा है. भारत में भी अलग-अलग आयोजन हो रहे हैं. साक्षरता दुनिया भर में सबसे महत्वपूर्ण सपत्ति है. साक्षरता किसी भी देश के विकास के लिए बहुत जरूरी है. देश के जितने ज्यादा नागरिक साक्षर होंगे, देश उतनी ही उन्नति कर सकता है. साक्षरता के इसी महत्व के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए हर साल अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस मनाया जाता है. विश्व भर में यह दिन मनाया जाता है. 8 सितंबर को अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस मनाया जाता है.
साक्षरता दिवस समाज में शिक्षा के प्रचार प्रसार के उद्देश्य से दुनिया भर में मनाया जाता है. भारत में भी विश्व साक्षरता दिवस को महत्वपूर्ण दिन के तौर पर मनाते हैं. सर्व शिक्षा अभियान के जरिए साक्षरता की दिशा में भारत सराहनीय कार्य कर रहा है. किसी भी देश के काबिल होने के पीछे उसकी उच्च साक्षरता दर ही होती है. पिछले साल आए राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एन एस ओ) के सर्वेक्षण के अनुसार, देश की साक्षरता दर 77.7 प्रतिशत है. जिसमें ग्रामीण इलाकों की साक्षरता दर 73.5 प्रतिशत और शहरी इलाकों की साक्षरता दर 87.7 प्रतिशत है. भारत में साक्षरता के मामले में 96.2% साक्षरता दर के साथ केरल पहले पायदान पर रहा है. नेशनल लेवल पर पुरुषों की साक्षरता दर 84.7 प्रतिशत जबकि महिलाओं की साक्षरता दर 70.3 प्रतिशत है.
कैसे शुरू हुआ अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस?
साक्षरता दिवस की चर्चा सबसे पहले 1965 में ईरान द्वारा आयोजित विश्व शिक्षा मंत्रियों के सम्मेलन के दौरान हुई थी. इसके बाद सम्मेलन के अगले साल, यूनेस्को ने 8 सितंबर को अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस के रूप में स्थापित किया था. इसके बाद से ही हर साल यह दिन मनाया जाता है जिसका मुख्य लक्ष्य "अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को व्यक्तियों, समुदायों और समाजों के लिए साक्षरता के महत्व की याद दिलाने, और अधिक साक्षर समाजों की दिशा में गहन प्रयासों की जरूरत पर जोर देना है.' वर्ल्ड कम्युनिटी ने एक साल बाद पहले अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस में भाग लेकर निरक्षरता को मिटाने का लक्ष्य रखा. तभी से हर साल 08 सितंबर को इंटरनेशनल लिटरेसी डे मनाने की शुरुआत हुई थी.