ऋषिकेश में राज्य सरकार के आदेश अनुसार महीने के दूसरे मंगलवार को तहसील परिसर में तहसील दिवस का आयोजन किया गया जिसमें भारी मात्रा में लोग फरियाद लेकर तहसील दिवस पर पहुंचे. तहसील दिवस पर उपजिलाधिकारी ऋषिकेश शैलेंद्र सिंह नेगी, समाज कल्याण अधिकारी पुलिस के अधिकारी ,आरटीओ के अधिकारी, तमाम सरकारी विभाग के अधिकारी मौजूद थे.
उप जिलाधिकारी ऋषिकेश शैलेंद्र सिंह नेगी ने जानकारी देते हुए बताया कि आज तहसील दिवस पर 19 प्रार्थना पत्र अलग-अलग प्रकरण को लेकर आए थे. मौके पर ही संबंधित अधिकारियों को दिशा निर्देश दिए गए हैं कि सभी प्रार्थना पत्रों की जांच करें और इनका जल्द से जल्द निस्तारण करें. वही पेंशन के संबंध में 35 प्रार्थना पत्र आए थे जिसमें वृद्धा पेंशन, विकलांग पेंशन, की शिकायतें लेकर लोग तहसील प्रशासन पहुंचे.
तहसील परिसर में ज्यादातर मौजूद लोग समाज कल्याण अधिकारी के खिलाफ रोष प्रकट करते हुए दिखाई दिए. लोगों का कहना है कि समाज कल्याण अधिकारी द्वारा उन सब के आवेदन रद्द कर दिए गए हैं. जब इस बाबत समाज कल्याण अधिकारी से पूछा गया तो उन्होंने बताया कि भारत सरकार के आदेश अनुसार उन्हीं लोगों को पेंशन दी जाएगी जिनकी संतान 20 साल से कम उम्र की है. जिनकी मासिक आय ₹4000 महीना है और जो बीपीएल कार्ड धारक हैं. उन्हीं को पेंशन मिलेगी, अन्य लोगों को नहीं मिलेगी.
वही एक विकलांग राजू वर्मा भी तहसील परिसर में पहुंचा ,समाज कल्याण अधिकारी ने उनके द्वारा दिए गए प्रार्थना पत्र को रिजेक्ट कर दिया. समाज कल्याण अधिकारी द्वारा बताया गया कि विकलांग व्यक्ति के दो बेटे हैं जिनकी उम्र 20 वर्ष से अधिक है इसलिए सरकार के आदेशानुसार इनको पेंशन नहीं दी जा सकती. राजू वर्मा ने बताया कि मेरे बेटे अलग रहते हैं. मुझे खर्चा नहीं देते हैं. मैं विकलांग हूं. मेरा पैर 2018 में कट गया था. मेरी पत्नी बर्तन मांज के घर का गुजारा चला रही है. ।इसलिए मेरी पेंशन लगा दी जाए लेकिन अधिकारियों ने एक ना सुनी और वह मायूस होकर लौट आया.
वही एक वृद्ध व्यक्ति कुंवर सिंह भी तहसील परिसर में उप जिलाधिकारी महोदय को प्रार्थना पत्र देते हुए दिखाई दिया. वृद्ध व्यक्ति का कहना है कि सन 1994 में परिवार कल्याण योजना के तहत उन्होंने नसबंदी कराई थी जिस पर सरकार द्वारा उनको जमीन के लिए पट्टा दिया गया था. पट्टा मिलने के बाद उनको जमीन दे दी गई थी लेकिन बाद में वन विभाग द्वारा उनसे वह जमीन खाली करा ली गई और वह पिछले 28 सालों से तहसील के चक्कर काट रहे हैं और अधिकारियों के चक्कर काट रहे हैं लेकिन अभी तक उनको जमीन नहीं मिल पा रही है जिससे वह काफी परेशान हैं. तहसील परिसर में ज्यादातर लोग मायूस होकर ही लौटे. उनकी समस्याओं का समाधान नहीं हो पाया.