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राजधानी लखनऊ में : गणपति की जय जयकार

उत्तरप्रदेश में सर्वप्रथम बनारस में साल 1895 में गणेशोत्सव की शुरुआत हुई वहीं साल 1921 में लखनउ में मराठी समाज द्वारा इस उत्सव की नींव पड़ी. कटरा मकबूल गंज स्थित महाराष्ट्र समाज भवन में 1977-78 से गणेशोत्सव मनाया जा रहा है.

गणपति की जय जयकार
गणपति की जय जयकार

राजधानी लखनऊ में गणपति बप्पा मोरिया, एक दो तीन चार गणपति की जय जयकार जैसे उद्घोष के साथ गत बुधवार को सभी के प्रिय प्रथम आराध्य विघ्नहर्ता भगवान श्री गणेश का आगमन हुआ. एक ओर भक्तों ने बप्पा को अपने घरों में (डेढ, छः व दस दिनी) स्थापित कर सपरिवार उनकी आराधना की, वहीं दूसरी ओर लगभग 150 पूजा पांडालों में गणेश जी की प्रतिमा भी स्थापित हुई. 1893 में लोकनायक बाल गंगाधर तिलक ने लोगों में राष्ट्रीय चेतना जाग्रत करने के लिए गणेश उत्सव को सार्वजनिक रुप दिया था.

उत्तरप्रदेश में सर्वप्रथम बनारस में साल 1895 में गणेशोत्सव की शुरुआत हुई वहीं साल 1921 में लखनउ में मराठी समाज द्वारा इस उत्सव की नींव पड़ी. कटरा मकबूल गंज स्थित महाराष्ट्र समाज भवन में 1977-78 से गणेशोत्सव मनाया जा रहा है. इस साल गणेशोत्सव के बारे में महाराष्ट्र समाज के अध्यक्ष विवेक फड़के बताते हैं कि हमेशा की तरह इस साल भी मराठी रीति रिवाज व मंत्रोच्चारण के साथ श्री चीं की लगभग 4 फीट की प्रतिमा स्थापित की गई. विद्युत झालरों, फूलों व कृत्रिम सजावटी सामानों ने भवन हॉल की सुसज्जित किया गया है.

श्री फडके ने बताया कि देश आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है. यही वजह है कि हमारे यहां भी गणेशोत्सव के पहले दिन 1857 की स्वतंत्रता संग्राम के नायक तात्या तोपे के पड़पौत्र विनायक राव तोपे शामिल हुए. बिठूर से आये श्री राव ने प्रतिमा स्थापना के साथ साथ मराठी वेद मंत्रोच्चारण के साथ विधि पूर्वक आराधना की. नव विवाहित जोड़े में समाज के उत्सव कार्यवाह सुरेश विष्णु महादाणे के सुपुत्र अभिषेक महादाणे व उनकी संगिनी ने पूजा अर्चना की.

पहले दिन पूजा में दूर दूर से आये भक्तों व मराठी समाज के सदस्य शामिल हुए और सपरिवार बप्पा की पूजा अर्चना कर सभी के कल्याण, समृद्धि, स्वस्थ व सुखमय जीवन की मंगल कामना की. पूजा के बाद खिरापत, लड्डू, पेडा, बर्फी व बप्पा के प्रिय मोदक का प्रसाद वितरित किया गया. इसके अलावा समाज के वरिष्ठ नागरिकों को सम्मानित भी किया गया.

31 अगस्त से 9 सितम्बर तक चलने वाले 10 दिवसीय उत्सव में रोजाना सुबह शाम आरती व पूजा तो होती ही है. इसके अलावा विविध सांस्कृतिक कार्यक्रम भी होते हैं. इस साल भी संगीत संध्या, बहुरुपी एकल नाटक, हरिकीर्तन, रंगोली, चित्रकला, फेस पेंटिंग, मेंहदी, हल्दी कुमकुम, मोनो एक्टिंग, मराठी व हिन्दी देशभक्ति गीत जैसे विविध कार्यक्रम व प्रतियोगिताएं भी होगीं. 3 सितम्बर को महाप्रसाद होगा, जिसमें बप्पा को नाना प्रकार के मराठी व्यंजनों का भोग निवेदन किया जायेगा. मवैया अमीनाबाद, अहियागंज, चौक, नरही, आलगबाग, गोमतीनगर, आईटीचौराहा, नजीराबाद, लाटूशरोड, आशियाना आदि शहर के विविध स्थानों पर भी सार्वजनिक गणेशोत्सव की धूम देखी जा सकती है।

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Published: 02-09-2022

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