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उत्तर प्रदेश में बनेगी : अवधी अकादमी

प्रदेश में उर्दू अकादमी और सिंधी अकादमी बरसों से है परंतु अब सरकार ने अवधी के महत्व को रेखांकित करने के लिये अवधी अकादमी के गठन का निश्चय कर लिया है. यह एक सुखद निर्णय है.

अवधी अकादमी
अवधी अकादमी

अवधी संस्कृति और बोली को मान्यता दिलाने के लिये कई दशकों से भगीरथ प्रयास कर रहे मनीषी रामबहादुर मिश्र की तपस्या आखिर रंग लायी और उत्तर प्रदेश में अवधी अकादमी की स्थापना के लिये मंजूरी मिल गयी है.

राजधानी लखनऊ के सेन्ट्रम होटल में रविवार को आयोजित अवधी की शाम, अवधी के नाम कार्यक्रम में यह जानकारी देते हुए मिश्र जी ने बताया कि अवधी भारत के प्राचीन 16 जनपदों से सबसे समृद्ध माने जाने वाले कोसल जनपद की बोली थी जो आज अवध क्षेत्र है. तब इसे कोसली कहा जाता था, आज अवधी कहा जाता है. प्रदेश में उर्दू अकादमी और सिंधी अकादमी बरसों से है परंतु अब सरकार ने अवधी के महत्व को रेखांकित करने के लिये अवधी अकादमी के गठन का निश्चय कर लिया है. यह एक सुखद निर्णय है.

कथा रंग फाउंडेशन की संस्थापक नूतन वशिष्ठ से साक्षात्कार के दौरान रामबहादुर जी ने कहा कि अवधी का विस्तार उत्तर प्रदेश के चालीस जिलों में तो है ही डेढ़ सौ बरस पहले यहां से रामायण का गुटका लेकर गये गिरमिटिया मजदूरों के सहारे अवधी दक्षिण अमेरिका के द्वीपीय देशों के साथ विश्व भर में फैल चुकी है. पड़ोसी देश नेपाल में तो इसे राष्ट्रीय भाषा का दर्जा तक हासिल है. उन्होंने कहा कि तुलसीदास की रामायण ने अवधी को वैश्विक पहचान दिला रखी है. इसके बावजूद अपेक्षाकृत न्यून साहित्य के दम पर पड़ोसी भोजपुरी का जैसा विकास हुआ है वैसा अवधी का नहीं हो पाया है. गूगल पर खोजने से भोजपुरी, बुंदेली तो मिल जाती है पर अवधी नदारद है. इसलिये अवधी बोली के साथ अवधी संस्कृति को बचाना बहुत जरूरी है क्योंकि ग्रामीण परिवेश में आज भी आम बोलचाल, रहन सहन, खानपान में अवधी संस्कृति के दर्शन होते हैं.

उन्होंने बताया कि ब्रजभाषा, बुंदेली, बघेली, छत्तीसगढ़ी भाषाएं अवधी की सहोदरी हैं क्योंकि अवधी के बहुत सारे शब्द इन भाषाओं का हिस्सा हैं और इन भाषाओं के तमाम शब्द और आचार विचार अवधी ने गोद ले रखे हैं. अवधी साहित्य की दृष्टि से ही समृद्ध नहीं है आयुष की दृष्टि से अवधी संस्कृति ने आयुर्वेद के सूत्रों को अवधी बोली में ढाल करके ऋतुओं के आधार पर हमारे दैनंदिन खानपान का अद्भुत डाइट चार्ट दे दिया है. इसलिये हमें अपनी अवधी पर गर्व होना चाहिये.

परदे के पीछे सुरम्य और संस्कृति की ओनर और समाजसेवी डिंपल त्रिवेदी की पहल पर हुए इस आयोजन में शहर के अवधी प्रेमियों ने हिस्सा लिया. सुश्री डिंपल ने इस अवसर पर कहा कि जैसे राजस्थान में हर जगह राजस्थानी बोली के गीत केसरिया से आगंतुकों का स्वागत किया जाता है या बंगाल में बाउल गायन एक स्वागत गां की तरह किया जाता है. वैसे ही राजधानी लखनऊ में पर्यटकों के स्वागत में अवधी लोकगीतों को सिग्नेचर वेलकम सोंग क्यों नहीं बनाया जा सकता.

इस कार्यक्रम के सञ्चालन की बागडोर संभाली कथा रंग की सचिव अनुपमा शरद ने जिसे उन्होंने बड़ी कुशलता से निभाया. कार्यक्रम के विषय अवधी में ऋतु परंपरा और बारहमासा के अनुसार कथा रंग की सदस्य अमिता पाण्डेय ने श्रृंगार रस में मधुर अवधी लोकगीत कजरी की प्रस्तुति दी. इस कार्यक्रम में सब अवधी के रंग में ऐसे पगे नज़र आये कि कथा रंग सदस्य और नामचीन रंग कर्मी और फिल्म कलाकार पुनीता अवस्थी ने भाषा पर पूर्ण अधिकार न होते हुए धन्यवाद ज्ञापन भी अवधी में ही किया. और तो और प्रतिष्ठित हिंदी अखबार दैनिक जागरण की रिपोर्टर दुर्गा शर्मा ने अवधी में ही पूरी खबर लिख डाली.

इस अवसर पर कथा रंग ने साहित्य और कला के क्षेत्र में उदीयमान पांच युवाओं को प्रशस्ति पत्र और शहर के गणमान्य लोगों ने पुरस्कार राशि भेंट की. ये पांच युवा शिवार्घ भट्टाचार्य ( तबला वादक) , फ़िल्मकार शुभम तिवारी, कवि और पटकथा लेखक द्वारिका नाथ पांडेय, रंग कर्मी नितीश पांडेय, कवि जय सिंह कौन्तेय रहे. इन युवाओं ने कला, साहित्य, मनोरंजन के विविध आयामों में बहुत कम आयु में ही अपनी अलग छाप छोड़ी है. कथा रंग की सचिव अनुपमा शरद ने बताया कि हमारी संस्था कथा रंग लखनऊ नवोदित साहित्यकारो को प्रोत्साहित करती आई है उसी क्रम में यह एक नई शुरुआत है.

कथा रंग लखनऊ कहानी वाचन की परंपरा में नित नये आयाम जोड़ता रहा है. इसी श्रंखला में अब हर माह कथा रंग लखनऊ द्वारा एक नयी पहल की गयी है. हर माह एक कार्यक्रम हिंदी, अवधी और उर्दू पर आयोजित किया जाएगा जिसमें साक्षात्कार, कहानी वाचन, लोक गीत, लोक कथाएँ, काव्य पाठ, आदि साहित्य की विविध विधाएं सम्मिलित होंगी.

इस कार्यक्रम को आयोजित करने में विशेष सहयोग सेंट्रम होटल ने दिया. सुशांत गोल्फ सिटी में बना यह होटल अपनी भारतीय संस्कृति और सभ्यता को लिए एक अलग पहचान रखता है. इस होटल में प्रयोग की गयी सभी सामग्री स्वदेशी है. कार्यक्रम का मीडिया पार्टनर बिग एफ एम लखनऊ आज स्वस्थ मनोरंजन और जानकारी की दुनिया में अपनी भाषा शैली , कार्यक्रमों और अपनी सुरुचि पूर्ण गीतों के चयन से अलग पहचान बना चुका है. हर आयु वर्ग के लोग Big fm से जुड़ते हैं. हिंदी न्यूज़ पोर्टल MEDIA4CITIZEN ने भी इस कार्यक्रम में अपनी सहभागिता की.

कार्यक्रम का प्रारंभ दीप प्रज्वलन और अतिथियों के सम्मान से हुआ. इस अवसर पर दिल्ली से पधारे अवधीवेत्ता डा. राकेश पांडे, प्रो मंजुला उपाध्याय एवं कथा रंग के सदस्य पुनीता अवस्थी, कनिका, अपूर्वा अवस्थी, पूजा विमल, गरिमा मिश्रा, सत्य प्रकाश, सोम गांगुली आदि उपस्थित रहे.

 


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