नवयुग कन्या महाविद्यालय, लखनऊ में कजरी पर कार्यशाला का आरम्भ दीप प्रज्वलन से हुआ. मुख्य गायिका श्रीमती विमल पंत ने गणेश वंदना से प्रारंभ किया. उसके बाद देवी गीत मैया चलो दियना बार हमारे अंगना, पिया मेंहदी ले आदा मोतीझील से, बदरी बाबुल के अंगना जैयो जैसे सुमधुर गीत भी उन्होंने प्रस्तुत किये. कालेज प्राचार्या प्रो.मंजुला उपाध्याय ने श्रीमती विमल पंत को पुष्प भेंट कर उनका स्वागत किया.
अतिथि का परिचय देते हुये डा0 अमिता रानी सिंह ने बताया कि लोक गायिका विमल पंत आज लखनऊ की धरोहर हैं. कजरी विषय पर डा0 अपूर्वा अवस्थी ने प्रकाश डालते हुए बताया कि कजरी की उत्पत्ति मिर्जापुर जिले से हुई है. महिलाओं द्वारा सामूहिक रूप से गायी जाने वाली कजरी ढुनमुनिया कजरी कही जाती है.
एक कजरी गीत घेरि घेरि आई सावन की बदरिया ना भारतीय भाषा कला और संस्कृति विभाग के सदस्यों द्वारा प्रस्तुत किया ग़या. समापन पर प्राचार्या ने धन्यवाद ज्ञापित करते हुए कहा कि आधुनिकता की दौड़ में हम अपनी संस्कृति को अपनी लोक संगीत को भूलते जा रहे हैं. ऐसे कार्यक्रमों से हम अपनी संस्कृति और लोक से जुड़ते हैं. कार्यक्रम का संचालन डा सीमा सरकार ने किया. कार्यशाला में कालेज की छात्राओं और अध्यापिकाओं ने सम्मलित होकर कार्यक्रम को सफल बनाया.