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संस्कृत और संस्कृति की रक्षा : तमाम मुद्दों पर हुई चर्चा

उत्तराखंड ज्योतिष रत्न डॉक्टर चंडी प्रसाद घिल्डियाल ने की पतंजलि योगपीठ में आचार्य बालकृष्ण से भेंट.

तमाम मुद्दों पर हुई चर्चा
तमाम मुद्दों पर हुई चर्चा

उत्तराखंड ज्योतिष रत्न आचार्य डॉक्टर चंडी प्रसाद घिल्डियाल आज अचानक हरिद्वार पतंजलि योगपीठ में पहुंचे और उन्होंने योग पीठ के संस्थापक सदस्य आचार्यकुलम के कुलपति आचार्य बालकृष्ण से शिष्टाचार भेंट की. दोनों उच्चस्तरीय हस्तियों के बीच देश एवं प्रदेश में संस्कृत और संस्कृति को बचाने के लिए तथा युवा पीढ़ी को नशा और चरित्रहीनता से बचाने के लिए गंभीर प्रयासों की आवश्यकता है और इस प्रकार के प्रयास शिक्षण संस्थाओं के द्वारा ही हो सकते हैं इस पर गंभीर चर्चा हुई.

इस संबंध में संपर्क करने पर डॉक्टर चंडी प्रसाद ने बताया कि आजकल देखने में आ रहा है कि युवा पीढ़ी नशे और चरित्रहीनता की तरफ बढ़ रही है. इसमें सुधार शिक्षण संस्थाओं के माध्यम से ही संभव हो सकता है. ज्ञान चारित्र्य और एकता की शिक्षा प्रदान करने से नवीन तकनीकी के ज्ञान के साथ नैतिक शिक्षा का समन्वय बिठाने से इस गंभीर समस्या से निजात मिल सकती है.

शिक्षा के सहायक निदेशक डॉ चंडी प्रसाद घिल्डियाल ने यह भी कहा कि प्राथमिक से लेकर उच्च शिक्षा तक संस्कृत शिक्षा विभाग द्वारा चारित्रिक एवं नैतिक शिक्षा दी जानी चाहिए क्योंकि शिक्षा में ज्ञान चरित्र और एकता के हिमायती प्राथमिक से उच्च शिक्षा तक के मंत्री डॉक्टर धन सिंह रावत इसके लिए लगातार प्रयास कर रहे हैं. उच्च स्तर पर उनके द्वारा किए जा रहे प्रयासों को हमें निचले स्तर तक पहुंचाना होगा.
इस अवसर पर पतंजलि योगपीठ पहुंचने पर आचार्य बालकृष्ण ने डॉक्टर चंडी प्रसाद घिल्डियाल का पुष्प गुच्छ देकर स्वागत किया और उन्हें पतंजलि रिसर्च सेंटर सहित संस्कृत और साहित्य पर जो पांडुलिपि एकत्रित की जा रही हैं को भी दिखाया. उन्होंने डॉक्टर घिल्डियाल को यह भी जानकारी दी कि वर्तमान में पतंजलि रिसर्च सेंटर में 60,000 औषधीय पादप उपलब्ध है जिसमें से 30000 पर पेंटिंग भी तैयार की गई है.

आचार्यकुलम की शोध छात्रा कुमारी स्वाति एवं कुमारी करुणा ने उत्तराखंड ज्योतिष रत्न को जानकारी दी कि पतंजलि रिसर्च सेंटर जिसका उद्घाटन वर्ष 2017 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया था उसमें वैदिक पादप वर्गिकी के तहत वनस्पति विज्ञानी लीनियस द्वारा जो पौधों का वर्गीकरण एवं नामकरण दिनाम पद्धति से किया गया है. उसे यहां पर संस्कृत में करने का प्रयास किया जा रहा है. उन्होंने कंप्यूटर में डॉक्टर घिल्डियाल को इसके प्रमाण भी दिखाए. यह निश्चित रूप से कहा जा सकता है कि संस्कृत जैसे महत्वपूर्ण विभाग के सहायक निदेशक डॉ चंडी प्रसाद घिल्डियाल एवं आचार्य बालकृष्ण की मुलाकात प्राथमिक से लेकर उच्च शिक्षा में ज्ञान एवं चरित्र का समावेश तथा नशाखोरी के विरुद्ध एक अभियान को लेकर दूरगामी परिणाम देगी.


Published: 12-07-2022

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