भारत में कथा कल्चर हमेशा जिंदा हो
आजाद़ी के 75 वें अमृत महोत्सव के अवसर पर परमार्थ निकेेतन गंगा तट पर पर्यावरण और नदियों को समर्पित मानस कथा के दिव्य मंच से परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी, साध्वी भगवती सरस्वती जी, विख्यात ड्रम वादक शिवमणि, सूफी गायिका रूणा रिजविक, साध्वी आत्मप्रीत जी, सिस्टर बिन्नी सरीन जी, अध्यक्ष, अखिल भारतीय हरिजन सेवक संघ श्री शंकर कुमार सान्याल जी, उपाध्यक्ष श्री नरेश यादव जी और अन्य विशिष्ट अतिथियों ने सहभाग किया.
परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि भारत देश में कथा कल्चर हमेशा जिंदा होना चाहिये इसलिये अपने बच्चों को संस्कार अवश्य दें. हमारे मन्दिर म्यूजियम न बनें बल्कि वे जाग्रत ऊर्जा और संस्कृति के जीवंत केन्द्र बने रहें. हमें अपने धर्म, संस्कृति, मूल्यों और जड़ों को सुदृढ़ बनाये रखना होगा ताकि भावी पीढ़ियों का भी संस्कारों की छांव में पोषण हो सके. स्वामी जी ने कहा कि महात्मा गांधीजी ने ऐसे रामराज्य का स्वप्न देखा था, जहाँ पूर्ण सुशासन और पारदर्शिता हो. वर्तमान समय में माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के शासनकाल में हम सभी गांधीजी के विचारों को चरितार्थ होते देख रहे हैं. अब समय आ गया है कि हम सद्भाव और करुणा का वातावरण बनाए रखने और ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ (विश्व एक परिवार है) के विचार को साकार करने के लिये योगदान प्रदान करें. गांधीजी ने हमारे पारिस्थितिकीय तंत्रों को संरक्षित करने, जैविक और पर्यावरण हितैषी वस्तुओं का उपयोग करने तथा पर्यावरण पर किसी भी तरह का दबाव न पैदा करने के लिये संतुलित उपभोग पर बहुत जोर दिया परन्तु आज हम एक ऐसे चरण में पहुँच गए हैं जहाँ हम प्रकृति पर ही बोझ बनते जा रहे हैं इसलिये हमें ग्रीड कल्चर से नीड कल्चर की ओर बढ़ना होगा.
स्वामी जी ने कहा कि 7 जून को पूरा विश्व ‘‘विश्व खाद्य सुरक्षा दिवस’’ मनाता है क्योंकि सुरक्षित और पौष्टिक भोजन सभी के लिये सुनिश्चित करना अत्यंत आवश्यक है. कृषि और खाद्य उत्पादन में जैविक प्रथाओं का उपयोग करने के साथ ही सभी को सुरक्षित, स्वस्थ और पौष्टिक भोजन प्राप्त करने का अधिकार है. खाद्य सुरक्षा हम सभी की साझा जिम्मेदारी है और इससे सभी को ‘सुरक्षित, पौष्टिक और पर्याप्त भोजन’ प्राप्त होने के साथ ही उत्तम स्वास्थ्य व भूख जैसी समस्या को भी समाप्त कर सकते हैं.
स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी और मानस कथाकार संत श्री मुरलीधर जी ने विख्यात ड्रम वादक शिवमणि जी और उनके पूरे परिवार को अंगवस्त्र और रूद्राक्ष का पौधा भेंट कर उनका अभिनन्दन किया.