आवासीय कल्याण समिति वीरभद्र ने तहसील में प्रदर्शन कर आईडीपीएलवासियों को नगर निगम में शामिल किए जाने को लेकर जिलाधिकारी के माध्यम से प्रदेश के मुख्यमंत्री को ज्ञापन दिया.
आवासीय कल्याण समिति की अध्यक्ष रामेश्वरी चौहान और सचिव सुनील कुटलैहडिया के नेतृत्व में दिए गए ज्ञापन में कहा गया कि ऋषिकेश वीरभद्र स्थित जीवन दवाइयों का कारखाना 1962 में सोवियत रूस की मदद से आमजन को सस्ती दवाइयां उपलब्ध कराने के उद्देश्य से स्थापित किया गया था लेकिन नवंबर 1997 से क्षेत्र में संस्थान के बंद होने के कारण उत्पादन नहीं हो रहा है. जिस में कार्यरत निवास कर रहे पूर्व कर्मचारियों को जोकि बूढ़े हो चुके हैं. अब उनके ऊपर आवासों को खाली किए जाने का खतरा मंडरा रहा है.
इतना ही नहीं यहां रह रहे लोगों को सरकार द्वारा चलाई जा रही किसी भी सुविधा का लाभ भी नहीं मिल पा रहा है। जिसमें जन्म ,मृत्यु प्रमाण पत्र वृद्धा ,विधवा पेंशन परिवार रजिस्टर में नाम ना होना आदि मुख्य हैं ।
उन्होंने मांग की है कि आईडीपीएल के चारों ओर से निगम क्षेत्र के मालवीय नगर, गीता नगर ,गुमानीवाला, मनसा देवी ,सुमन बिहार, 20 बीघा ,शिवाजी नगर ,मीरा नगर जिससे यह क्षेत्र पूरा घिरा हुआ है। जबकि नगर निगम क्षेत्र में उपयोगी है। यह पूरा क्षेत्र 899 .5 एकड़ था, जिसमें से कुछ भाग 65 .28 एकड़ यू पी एस ई बी 1978 में स्थापित किये जाने के बाद वर्तमान समय में इस भूमि को आईडीपीएल को तीन हिस्सों में बांट दिया गया है। उन्होंने मांग की है, कि मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने घोषणा की थी, कि इस क्षेत्र को नगर निगम क्षेत्र में शामिल किया जाएगा ,परंतु अभी तक नहीं किया गया है। उन्होंने मांग की है कि इस क्षेत्र को नगर निगम में शामिल किया जाए।
ज्ञापन देने वालों में समिति की अध्यक्ष रामेश्वरी चौहान,पंकज साहनी, उषा देवी, एन एन सक्सेना, संजीव शर्मा, सुंदर सिंह बिष्ट ,महेंद्र बिष्ट ,आशीष कुमार ,वाई एस चौहान, के सी जोशी ,शत्रुघ्न शर्मा ,सुशीला देवी जोशी ,रिशिपाल, ब्रह्मदत्त शर्मा, सहित अन्य लोग शामिल थे।।