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पत्रकारों से समाज को बहुत उम्मीद : कसौटी पर भी खरा उतरना है

इंडियन फेडरेशन आफ वर्किंग जर्नलिस्ट (IFWJ) एवं यूपी वर्किंग जर्नलिस्ट यूनियन (UPWJU) ने यूपी प्रेस क्लब में विश्व मजदूर दिवस के अवसर पर एक विचार गोष्ठी का आयोजन किया. आजादी के अमृत महोत्सव अवसर पर हमें आत्मावलोकन करना चाहिए.पत्रकारों को अन्दर और बाहर हर मोर्चे पर संघर्ष करना पड़ता है. हम पत्रकारों को अपने जायज हक के लिए एकजुट होकर आवाज उठानी होगी.

कसौटी पर भी खरा उतरना है
कसौटी पर भी खरा उतरना है

इंडियन फेडरेशन आफ वर्किंग जर्नलिस्ट (IFWJ) एवं यूपी वर्किंग जर्नलिस्ट यूनियन (UPWJU) ने यूपी प्रेस क्लब में विश्व मजदूर दिवस के अवसर पर एक विचार गोष्ठी का आयोजन किया. इस अवसर पर पत्रकार प्रदीप उपाध्याय ने कहा कि मजदूर दिवस की शुरुआत अपने संघर्षो में शहादत देने वाले श्रमिकों की याद में मनाया जाता है. पत्रकार विजय मिश्र ने कहा कि समय के साथ-साथ पत्रकारों की चुनौतियां बढ़ी हैं, हमें एकजुट होकर प्रयास करना होगा. कार्यक्रम में वरिष्ठ पत्रकार एवं पूर्व सदस्य प्रेस परिषद सुमन गुप्ता ने कहा कि मई दिवस हमें एकजुट होकर संघर्ष की प्रेरणा देता है लेकिन वर्तमान समय में हम अलग-अलग होकर संघर्ष कर रहे हैं इसका परिणाम यह है कि पत्रकारों को  उत्पीड़न का सामना करना पड़ रहा है. खबरें लिखने पर एफआईआर दर्ज हो रही है. उन्होंने कहा की वरिष्ठ पत्रकार एवं IFWJ के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री के विक्रम राव ने पत्रकरों के हितों के लिए बड़ा संघर्ष किया है. जबकि प्रेस काउंसिल अब पत्रकार हितों के लिए उतना सक्रिय नहीं है. सरकारी स्तर पर तमाम तरह की बाधाएं खड़ी की जा रही हैं. पत्रकारों को अपने हितों की रक्षा के लिए एकजुट होना होगा. उन्होंने एक मीडिया काउंसिल के गठन का प्रस्ताव भी दिया.

इस अवसर पर पत्रकार राघवेन्द्र सिंह ने कहा कि पत्रकारों को कार्य स्थल पर अनुकूल वातावरण मिले,कार्य के घंटे तय हों और वेतन के रुप में मिलने वाले पारिश्रमिक की गारंटी हो. पत्रकार रजा रिजवी ने कहा कि एक समय था कि श्रमिक दिवस के अवसर पर सरकार के श्रम मंत्री बुलाने पर तुरंत चले आते थे लेकिन अब कितना दुर्भाग्यपूर्ण समय है कि अब मंत्रियों के पास पत्रकारों को सम्मान देने के लिए आने का समय नहीं बचा. उन्होंने कहा की प्रेस काउंसिल में भी मीडिया काउंसिल के गठन का मुद्दा उठा था लेकिन आपस के विरोध के चलते मीडिया काउंसिल का गठन नहीं हो सका.

कार्यक्रम में यूपी वर्किंग जर्नलिस्ट यूनियन के लखनऊ मंडल के अध्यक्ष शिवशरण सिंह ने कहा कि यूपी में पत्रकारों के संगठन बहुत कमजोर हो गए हैं. पत्रकारों के हितों के लिए लड़ने वाले संगठनों में अब वह सक्रियता नहीं रही. हम अपने-अपने हितों में बंटे रहेंगे तो पत्रकारों के हितो की लड़ाई कमजोर होगी. टुकड़े-टुकड़े गैंग की मानसिकता छोड़नी होगी. नौकरशाही पत्रकारों के हितों के लिए बनायी गयी योजनाओं को लटकाए रखती है. इसलिए आज के दिन हमारा यही संकल्प है कि हमको एकजुट होना पड़ेगा.

इस अवसर पर वरिष्ठ पत्रकार मनोज मिश्र ने कहा कि भारत में मई दिवस की शुरुआत 1923 में हुई थी. धाराएं-रास्ते भले ही कई हों लेकिन लक्ष्य एक ही रहना चाहिए. उन्होंने ने बताया कि श्री के विक्रम राव जी ने पत्रकारों के हितों में लंबी लड़ाई लड़ी है. हमारे बीच वह मजबूत आधार के रुप में हमें ताकत देते हैं. समाज के हर क्षेत्र में गिरावट है लेकिन पत्रकारों के आचरण पर ही सबकी निगाहें होती है. पत्रकार भी इसी समाज का अंग हैं. यहा भी कुछ जरूर गिरावट हुई है हमें इसे ठीक करने कोशिश करनी होगी.

कार्यक्रम में UPWJU अध्यक्ष हसीब सिद्दीकि ने कहा कि 52 साल हो गए पत्रकारिता करते और संगठन के लिए संघर्ष करते। पहले मजदूर दिवस पर अखबारों में पहले पेज पर कालम छपते थे इस दिवस के लिए। अब तो श्रमिक दिवस पर अधिकांश अखबारों ने इस दिवस पर मुख्यमंत्री का शुभकामना संदेश भी नहीं छापा। इस अवसर पर जो ज्ञापन दिया जाता था उसकी मांगे सरकार गंभीरता से लेकर उन्हे पूरा करती। उन्होंने मुख्यमंत्री को दिए जाने वाले ज्ञापन को पढ़ा। यह ज्ञापन सीएम को दिया जाएगा।

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए IFWJ के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री के . विक्रम राव ने कहा कि इंडियन फेडरेशन आफ वर्किंग जर्नलिस्ट प्रेस काउंसिल का खात्मा चाहता है। इसकी जगह मीडिया काउंसिल का गठन किया जाना चाहिये। इस काउंसिल से ही सभी पत्रकारों के हितों का संरक्षण हो सकेगा। पत्रकार बुद्धिकर्मी है। आई०एफ०डब्लू०जे० की मांग है कि वेज बोर्ड हर पांच साल में लाया जाये। रात्रि ड्यूटी प्राकृतिक न्याय सिद्धांत के खिलाफ है। केरल और तमिलनाडु मे मजदूरों को भी कुर्सी दिए जाने की व्यवस्था की गयी है। पर उत्तर भारत में इस विषय पर कभी सोचा भी नहीं गया | गुजरात मे तीन दिन पहले हड़ताल में तीन साल तक प्रतिबन्ध लगा दिया गया है। यह उचित नहीं। भारतीय मजदूर संघ ने भी कहा कि लेबर कोर्ट मजदूरों के हितों का दुश्मन है। इसमे सुधार किया जाना चाहिए। आज पत्रकारों की दुर्गति क्यों है। इस पर गंभीरता से विचार हो हमारी मांग है कि पत्रकारिता से जुड़ी संस्थाओं और फर्जी पत्रकारों की जांच हो। उनके फर्जीवाड़े का खुलासा हो तभी इस नोबल कार्य में लगे लोगों का सम्मान बचेगा।

कार्यक्रम में बड़ी संख्या में पत्रकारों और साथी यूनियनों ने प्रतिभागिता कर मई दिवस मनाया |

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Published: 01-05-2022

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