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मूल्यपरक पत्रकारिता पर : वैश्विक संकट

मूल्यपरक शिक्षा से लम्बे समय से जुड़े डॉ. सुरेन्द्र पाठक को उनके अवदान के लिए जीनेट की ओर से सम्मानित किया गया. अपने उद्बबोधन में डॉ. पाठक ने कहा कि बहुत सारी धाराओं से दुनिया चलती है. उन्होंने भारत के संदर्भ में कहा कि भारत में विचारधारा को लेकर बंटवारा है. संविधान में उल्लेखित नियमों के इतर राज्य का शासन चलता है जिसके कारण भी कई विसंगति उत्पन्न होती है.

वैश्विक संकट
वैश्विक संकट

मीडिया एथिक्स एवं डिसइनफारमेंशन विषय पर जीनेट के मंच पर एक दिवसीय सेमीनार की 70वीं कड़ी में मूल्यपरक पत्रकारिता और मूल्यपरक पत्रकारिता शिक्षा पर नए संदर्भों में विद्वतजनों की टीम ने चर्चा की. यह आयोजन स्वाधीनता संग्राम के अमृत महोत्सव के अवसर पर किया गया. निश्चिय के अनुरूप 75 एपिसोड किया जाना है. आज वेबीनार में मुख्य अतिथि की आसंदी से भोज ओपन विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. जयंत सोनवलकर ने कहा कि जब हम विद्यार्थियों से मूल्यपरक पत्रकारिता की चर्चा करते हैं तो वह कहते हैं कि यह किताबों की बातें हैं, किताबों में ही रहने दें. उन्होंने मूल्यपरक पत्रकारिता के वैश्विक संकट पर चर्चा करते हुए कहा कि संवादहीनता के कारण डिसइनफारमेंस को बढ़ावा मिल रहा है. मुख्य अतिथि डॉ. सोनवलकर ने इस चुनौती से निपटने के लिए शिक्षा पद्धति पर विचार करने की हिमायत करते हुए नयी शिक्षा नीति में इसकी संभावनाओं पर चर्चा की.

मूल्यपरक शिक्षा से लम्बे समय से जुड़े डॉ. सुरेन्द्र पाठक को उनके अवदान के लिए जीनेट की ओर से सम्मानित किया गया. अपने उद्बबोधन में डॉ. पाठक ने कहा कि बहुत सारी धाराओं से दुनिया चलती है. उन्होंने भारत के संदर्भ में कहा कि भारत में विचारधारा को लेकर बंटवारा है. संविधान में उल्लेखित नियमों के इतर राज्य का शासन चलता है जिसके कारण भी कई विसंगति उत्पन्न होती है. वेल्यू सिस्टम की चर्चा करते हुए डॉ. पाठक ने कहा कि ज्ञान, व्यवहार और विज्ञान के आपसी तालमेल जरूरी है. डॉ. पाठक ने कहा कि भारतीय समाज की आवश्यकता के अनुरूप नयी शिक्षा नीति तैयार है लेकिन इसे व्यवहार में लाने में संसाधनों और प्रशिक्षण एक बड़ी कठिनाई के रूप में हमारे समक्ष मौजूद है.

कॉर्पोरेट स्पीकर डॉ. प्रदीप करमकेले ने कहा कि दस-बीस साल बाद हम डेटा की बाढ़ से जूझ रहे होंगे. उन्होंने विश्वास जताया कि नॉन एथिकल कम्पनियां देर तक समाज में कार्य नहीं कर सकती हैं. उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है कि जिम्मेदारी सुनिश्चित की जाए. कीनोट स्पीकर डॉ. लक्ष्मण पंत ने वैश्विक परिदृश्य में मूल्यपरक पत्रकारिता की चुनौतियों का विस्तार से उल्लेख किया और साउथ एशिया के संदर्भ का उल्लेख किया. उन्होंंने कोड ऑफ कंडक्ट की बात कही.

सेशन चेयर कर रहे वरिष्ठ पत्रकार एवं सुप्रतिष्ठित शोध पत्रिका ‘समागम’ के संपादक श्री मनोज कुमार ने इस बात पर चिंता व्यक्त की कि जर्नलिज्म के विश्वविद्यालय इस बात पर प्रसन्न होते हैं कि उनके स्टूडेंट यूजीसी नेट की परीक्षा पास कर रहे हैं. सवाल यह है कि जर्नलिज्म के विश्वविद्यालय या संस्थायें उन्हें जर्नलिस्ट बनाना चाहती हैं अथवा शिक्षक. उन्होंने कहा कि शिक्षक बनने पर भी कोई ऐतराज नहीं है लेकिन जमीनी अनुभव के बाद उन्हें यह दायित्व सम्हालना चाहिए. श्री मनोज कुमार ने कहा कि अखबार और टेलीविजन को मूल्यहीन पत्रकारिता के लिए पाठक-दर्शक भी दोषी हैं. इस ओर भी ध्यान दिया जाना चाहिए.वेबीनार के मॉडरेटर डॉ. संजीव भनावत ने वेबीनार के उद्देश्यों पर प्रकाश डाला. संयोजक डॉ. अविनाश वाजपेयी ने अतिथियों का परिचय दिया एवं आभार माना. जीनेट के चेयर पर्सन एमसीयू के कुलपति प्रो. केजी सुरेश एवं डॉ. उज्जवल चौधरी का विशेष रूप से आभार व्यक्त किया गया.


Published: 29-04-2022

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