नैनी का प्रमुख धार्मिक पर्यटन स्थल
नवरात्र के अवसर पर नैनी के निवासियों के लिए एक बहुत अच्छा शुभ समाचार यह है कि त्रेतायुग से प्रचलित नैनी के प्रसिद्ध पौराणिक स्थल रामसागर तालाब का जीर्णोद्धार होगा ! उत्तर प्रदेश, प्रयागराज संगम तट से लगभग 15 किलोमीटर दूर नैनी चाका गांव स्थित रामसागर तालाब और श्री राम जानकी मंदिर का विशेष ऐतिहासिक महत्व है. राम वनगमन के समय संगम स्नान के पश्चात भगवान श्री राम ,सीता जी और लक्ष्मण के साथ चित्रकूट जाते समय नैनी स्थित चाका गांव में यहां रुके थे. रात्रि शयन करने के कारण यहां सैनी का मेला भी लगता है. त्रेता युग से ही यह कथा प्रचलित है कि सीता जी के स्नान के लिए इस स्थान पर लक्ष्मण जी ने अपने वाण से तालाब का निर्माण किया था. राम, सीता और लक्ष्मण जी के इस तालाब में स्नान करने के कारण इस तालाब का नाम रामसागर पड़ गया.
तालाब का नाम सागर इसलिए पड़ गया है कि आज तक इस तालाब की गहराई का कोई अंदाज ही नहीं लगा पाया. यह तालाब कितना गहरा है कोई नहीं जानता ? गांव वालों का कहना है कि तालाब की गहराई मापने की कई बार कोशिश की गई लेकिन कोई सफल नहीं हुआ. इस वजह से इसे रामसागर कहा जाता है. इस तालाब में स्नान करने के पश्चात सीता जी ने यहां पूजा अर्चना की थी. उनके इस पूजन कार्य की वजह से यहां राम जानकी मंदिर की गांव वालों ने स्थापना की. सीता जी की चरण पादुका के चिन्ह यहां रखे गए हैं. बाहर एक हनुमान जी का मंदिर भी बना है. श्री राम जानकी मंदिर के भीतर गर्भ गृह में भगवान श्री राम सीता जी और लक्ष्मण का विग्रह विराजमान है.
त्रेतायुग से लेकर आज तक यह तालाब आज भी अपने पुराने स्वरूप में विद्यमान है. भगवान श्री राम और त्रेतायुग से जुड़ा होने के कारण इस तालाब का विशेष महत्व है. पुरानी मान्यता है कि सुहागिन स्त्रियों द्वारा इस तालाब में स्नान करने और मंदिर में पूजा अर्चना करने पर मां सीता द्वारा अखंड सौभाग्यवती होने का आशीर्वाद मिलता है. नवविवाहित युगल इस तालाब और मंदिर में पूजा अर्चना करने के लिए आते हैं. अफसोस जनक तथ्य यह है कि इतना महत्वपूर्ण स्थान होने के बावजूद प्रदेश के पर्यटन मानचित्र पर इस मंदिर को जो स्थान मिलना चाहिए. वह नहीं मिला.
पर्यटन विभाग और जिला प्रशासन की उपेक्षा के चलते यह मंदिर भयंकर दुर्दशा की चपेट में है. मंदिर की गौशाला बहुत ही खराब दशा में है. दशकों पूर्व बनाए गए कमरे ढहने के कगार पर हैं. तालाब में पानी भरने के लिए नलकूप की कोई व्यवस्था नहीं है. गांव का पूरा गंदा पानी इस तालाब में आकर गिर रहा है. पूरे गांव का गंदा पानी तालाब में आने के कारण तालाब का जल प्रदूषित हो गया है. इस तालाब में कछुओं के अलावा अन्य कई प्रजाति के दुर्लभ जलीय जीव जंतु पाए जाते हैं. हजारों वर्ष से इस तालाब में रह रहे जलीय जीव जंतुओं के लिए प्रदूषित जल विनाश का कारण बन सकता है. पूरे गांव का गंदा पानी इस तालाब में गिराया जा रहा है. तालाब में पाए जाने वाले जलीय जंतुओं का धड़ल्ले से शिकार भी हो रहा है. बताया जाता है कि इस तालाब में कई कई सौ वर्ष पुराने कछुओं की पूरी बस्ती यहां स्थित है. इस तालाब में सैकड़ों कछुए रहते हैं.
नैनी एफसीआई रोड, सीओडी गेट मुख्य मार्ग से चकराना चाका गांव स्थित राम सागर तालाब और मंदिर तक जाने के लिए कोई सुगम रास्ता नहीं है. बाहर मुख्य मार्ग पर मंदिर तक जाने के लिए कोई बोर्ड या दिशा सूचक पट भी नहीं लगा है. मंदिर की दशा बहुत ही दयनीय है. किसी भी तरह का कोई भी आर्थिक सहयोग सरकार या प्रशासन द्वारा आज तक इस मंदिर को नहीं दिया गया. जो दिया गया, वह सब कागजों तक सीमित रहा. मंदिर के चारों और पक्की दीवार नहीं होने के कारण मिट्टी के टीले तालाब में ढह रहे हैं. लोगों का कहना है कि ऐतिहासिक महत्व के इस तालाब के रखरखाव तथा संरक्षण हेतु प्रभावी उपाय नहीं किए गए तो तालाब का अस्तित्व खतरे में पड़ जाएगा. यह तालाब और मंदिर लगभग 20 बीघा भूमि पर स्थित है. तालाब और तालाब से जुड़ी मंदिर की जमीन का संरक्षण किया जाए तो इसे एक महत्वपूर्ण पर्यटक स्थल के रूप में विकसित किया जा सकता है. नैनी का यह सबसे प्राचीन और पौराणिक महत्व का धार्मिक स्थल है. प्रतिवर्ष यहां मेला भी लगता है. आवागमन का कोई सुलभ मार्ग नहीं होने के कारण मंदिर तक पहुंचने में लोगों को बहुत कठिनाइयां उठानी पड़ती हैं.
प्रयागराज विद्वत परिषद ने प्रयागराज के ऐतिहासिक और पौराणिक स्थलों के जीर्णोद्धार एवं रखरखाव पर नवीन शोध करने की दिशा में सराहनीय पहल की है. प्रयागराज के वरिष्ठ पत्रकार विद्वत परिषद के संयोजक श्री वीरेंद्र पाठक जी आजकल प्रयागराज के सभी प्राचीन धार्मिक पौराणिक महत्व के पर्यटन स्थलों और धार्मिक स्थलों के बारे में विशेष रिपोर्ट तैयार करने के साथ ही शोध कार्य में लगे हैं. महर्षि भारद्वाज की प्रतिमा और शहीद वाल के प्रणेता वरिष्ठ पत्रकार श्री वीरेंद्र कुमार पाठक जी ने रामसागर तालाब की दशा को बदलने के लिए ठोस कार्य किए जाने हेतु सकारात्मक पहल की है.
श्री वीरेंद्र पाठक जी ने आज नैनी चाका गांव इस स्थित रामसागर तालाब और श्री राम जानकी मंदिर परिसर का भ्रमण किया. तालाब और मंदिर के बारे में उन्होंने विस्तृत जानकारी प्राप्त की. श्री पाठक जी का कहना है कि मंदिर की व्यवस्था में सुधार लाने के लिए मंदिर प्रशासन और पर्यटन विभाग, जिला प्रशासन से संयुक्त वार्ता करके इसका जीर्णोद्धार कराया जाएगा. श्री पाठक जी का कहना है कि प्रयागराज के पर्यटन स्थल के नक्शे में इसे स्थान मिलेगा और इस तालाब और मंदिर के सौंदर्यीकरण के लिए पर्यटन विभाग से विशेष आग्रह करके इसे नैनी का प्रमुख पर्यटन केंद्र बनाने की दिशा में आवश्यक कार्यवाही की जाएगी. श्री वीरेंद्र पाठक जी ने मंदिर परिसर का भ्रमण करने के पश्चात मंदिर की देखरेख कर रहे नवयुवकों को आश्वस्त किया कि इस मंदिर का शीघ्र ही कायाकल्प होगा.