भारत की सशस्त्र सेनाओं में शॉर्ट टर्म कांट्रेक्ट पर नयी भरतियों का दरवाजा खुल सकता है. टूर ऑफ ड्यूटी की थोड़े समय के लिये रोजगार की सोच को साकार करने के लिये डिफेंस सर्विसेज में इस योजना को लागू किया जायेगा. इससे न केवल युवाओं को रोजगार की एक नयी दिशा मिलेगी बल्कि सरकारी खजाने पर खर्च का बोझ भी कम किया जा सकता है. इस अनोखे आइडिया पर सरकार दो साल से विचार कर रही थी। इसमें तीन साल के कांट्रेक्ट पर फौज में अफसरों और जवानों की भर्ती की जायेगी। प्रशिक्षण के बाद ऐसे जवानों को काउंटर इनसर्जेंसी ऑपरेशनों, जासूसी, या इनफॉर्मेशन टेकनॉलाजी जैसे विविध क्षेत्रों में तैनात किया जायेगा.
कोविड महामारी के कारण दो सालों से सेना में भर्ती का काम कच्छप गति से चला है. सरकारी रिकॉर्ड बताते हैं कि इस समय थल, जल और वायु सेना में सवा लाख से ऊपर रिक्तियों का पहाड़ खड़ा हो गया है. बताया जा रहा है कि टूर ऑफ ड्यूटी के कंसेप्ट पर विचार विमर्श रक्षा मंत्रालय में हाल में शुरू हुआ है. इस उम्मीद से कि टॉप लीडरशिप से हरी झंडी मिल जायेगी. देश के थल सेनाध्यक्ष एम एम नरवडे ने 2020 में इस योजना पर प्रेजेंटेशन सामने रखा था. उसी दिशा में रक्षा मंत्रालय में हुई ताज़ा हलचल को देखा जा रहा है.
इस योजना का सही ब्यौरा क्या होगा इसकी जानकारी तो बाद में मिल जायेगी. पर इस योजना का मूल विचार सेना के जनरल और स्पेशल कामों के लिये तीन साल की अवधि के लिये सिपाहियों की भरती करना था. जबकि अब तक सेना में एक निश्चित अवधि के लिये परमानेंट रिक्रूटमेंट करने की परम्परा रही है. अब प्रस्तावित नयी योजना से भर्ती जो देश में कुछ चुने हुए स्थानों में होती रही है उसे विस्तार देना है. नौजवान को तीन साल की सेवा के बाद अधिकांश सैनिकों को अवमुक्त कर दिया जायेगा. पर सशस्त्र सेना उसके बाद भी युवक को रोजगार प्राप्त कराने के लिये सहयोग करती रहेगी. कॉरपोरेट इंडिया भी आज ऐसे प्रशिक्षित युवाओं के लिये अपने यहां नौकरियां आरक्षित करना चाहेंगी, जो अनुशासित हों और देश की सेवा कर चुके हैं.
देश की सशस्त्र सेनाओं ने अभी इसका ठीक ठीक आकलन नहीं किया है कि इस योजना से कितने हजार करोड़ रुपये तनख्वाह, भत्तों और पेंशन के मद में बचेंगे. पर टूर ऑफ ड्यूटी योजना से जो बड़े पैमाने पर भर्तियां होंगी उनमें से कुछ को रेगुलर सेना में खाली जगह होने पर प्रमोट भी किया जा सकता है.
इसका मूल उद्देश्य सरकारी खजाने में बचत के साथ ही ऐसे प्रतिबद्ध युवाओं को तैयार करना है जो किसी भी क्षेत्र में निष्ठा के साथ काम कर सकें और नियोक्ता कंपनियां उन्हें लेना चाहें. सशस्त्र सेनाओं में विशेष सेवा के लिये देश के आई आई टी कालेजों के मेधावी युवाओं को भी सेना की शॉर्ट सेवा में आने के लिये प्रेरित किया जायेगा जो सेना में तकनीकी तरक्की में तीन साल के लिये योगदान देने के बाद कहीं भी बाहर सेवा के लिये स्वतंत्र होंगे.सेना