स्वास्थ्य से जुड़ी सीखें लेकर आगे बढ़ें
पहली सीख ; कोई भी बीमारी, व्यक्तिगत जीवन, परिवार, समाज, और देश के विभिन्न पहलुओं को प्रभावित करती है। हम अपने बड़े-बूढ़ों से सुनते आये हैं -''पहला सुख निरोगी काया'' | कोविड महामारी से सीख लेकर हर व्यक्ति को अपने स्वास्थ्य का ख्याल रखना चाहिए। अपने शारीरिक और मानसिक सेहत का ख्याल रखना स्वार्थ नहीं बल्कि सही व्यवहार है। याद रखने वाली बात है, यदि हम स्वस्थ्य रहेंगे तब तो परिवार में लोगों का ख्याल रख पाएंगे न।
दूसरी सीख ; शारीरिक और मानसिक बीमारियां एक दूसरे से जुड़ी होती हैं। कोविड-19 ने लोगों और परिवारों के मानसिक स्वास्थ्य को बहुत ज्यादा प्रभावित किया है। उसी तरह, अधिक चिंता और तनाव- मधुमेह, उच्च रक्तचाप और अन्य गंभीर शारीरिक बीमारियां दे सकता है। कई लोग मानसिक बीमारियों को हेय की दृष्टि से देखते हैं और इनको छुपाते हैं। अब समय आ गया है कि बीमारी चाहे मानसिक हो के शारीरिक, समय पर डॉक्टर की सलाह लें और अपना पूरा इलाज करवाएं।
तीसरी सीख ; सेहत से जुड़े कुछ व्यवहार हमें कई गंभीर बीमारियों से बचा सकते हैं। नियमित व्यायाम, योग, प्राणायाम और प्रातः काल भ्रमण स्वास्थ्य पर चमत्कारी असर डालता है। साथ ही समय पर सोना और उठना, कम से कम आठ घंटे की नींद, शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए जरुरी है।
चौथी सीख : हमें लोगों और समाज को स्वस्थ रखने की अपनी नैतिक जिम्मेदारी उठानी होगी। कुछ महीने पहले आये राष्ट्रीय फैमिली
हेल्थ सर्वेक्षण में पाया गया कि देश में एनीमिया अर्थात खून की कमी और कुपोषण लगभग सभी आयु वर्ग में चुनौती है। बच्चों और महिलाओं में यह समस्या विकराल है और वर्षों से इसमें बहुत कम सुधार हुआ है। अपनी सामाजिक जिम्मेदारी स्वीकार करते हुए, हमें अपने गांव और कॉलोनी में स्कूल और आंगनवाड़ी में बच्चों को पोषण शिक्षा और आहार वितरण में सक्रिय भागीदारी देनी चाहिए।
पांचवी सीख : कोविड-19 की महामारी में बच्चे तुलनात्मक रूप से सुरक्षित रहे हैं,लेकिन वास्तविकता यह है कि इस दौरान स्कूलों के बंद रहने से सबसे अधिक नुकसान देश के 25 करोड़ बच्चों की शिक्षा पर हुआ है। बच्चों की शिक्षा पर देश की प्रगति निर्भर करती है। पिछले दो साल में हुए शिक्षा के नुकसान की भरपाई तो कभी नहीं होपायेगी लेकिन कुछ कदम उठाये जा सकते हैं। अगर आप युवा हैं, और कुछ समय निकाल सकते हैं, तो आसपास के स्कूल खासतौर पर ऐसे स्कूल जिसमें गरीब बच्चे पढ़ते हैं. वहां सम्पर्क कर के गरीब बच्चों को पढ़ाने में कुछ समय दीजिये। उनके अच्छे स्वास्थ्य और शिक्षा में आपका योगदान दूर तक जाएगा। साथ ही, इस चुनौती को अवसर में बदलते हुए हमें स्कूल स्वास्थ्य सुविधाओं को सुदृढ़ करने के प्रयास करने चाहिए।
हम आने वाले साल में इस वर्ष की सिर्फ बुरी यादें रखेंगे या कुछ सीखों को लेकर आगे बढ़ेंगे, ये हमारे हाथ में है।
एक बात पूरी तरह सुनिश्चित है कि महामारी जल्द ही खत्म होगी। आने वाले वर्ष के लिए आपके अच्छे सेहत की कामनायें।