देश बर्दाश्त करने के मूड में नहीं
लुटियन दिल्ली के मोदी विरोधी मीडिया गिरोह का बहुत चर्चित नाम है विनोद कापड़ी. रजत शर्मा के टीवी का सर्वेसर्वा बनकर यही धूर्त खबरों के नाम पर बरसों तक नाग नागिन की शादी, उड़ने वाली महिला, हवा में तैरती साइकिल सरीखी अजीबोगरीब अफवाहों को परोसता रहा. पूरा देश इसकी उन करतूतों से परिचित है. कल नेहरू के जन्मदिन पर इसने नेहरू को श्रद्धांजलि के नाम पर झूठ परोसने का वही गोरखधंधा किया और लिखा कि... "50 के दशक में जब भारत बैलगाड़ी पर था , तब नेहरू अंतरिक्ष और चाँद की बात करते थे. काश आधुनिक भारत के निर्माता पंडित नेहरू जैसे राजनेता देश को और मिले" अपने इस ट्वीट में काश जोड़कर उसने किस के खिलाफ जहर उगला यह अनुमान लगाना बहुत सरल था. अतः लुटियन मीडिया के इस कुख्यात धूर्त को आइना दिखाना, उसे यह बताना आवश्यक समझा कि... देश अब उस जैसे झूठों और उनके सफेद झूठ को बर्दाश्त करने के मूड में नहीं है.
एक सर्वज्ञात दस्तावेजी तथ्य याद करिए, 1965 पाक युद्ध में अमेरिका ने अपने लाल गेंहू की सप्लाई भारत को बंद कर दी थी. परिणामस्वरूप तत्कालीन प्रधानमंत्री शास्त्री जी को देश को हफ्ते में 1 दिन उपवास करने की सलाह देने के लिए विवश होना पड़ा था. शास्त्री जी ने उस कड़वे सच को शालीन भाषा में उपवास कहा था लेकिन कड़वा सच तो यही था कि उन्होंने मजबूर होकर देश को हफ्ते में एक दिन भूखा रहने की ही सलाह दी थी, क्योंकि देश के पास पर्याप्त अनाज ही नहीं था. हालांकि उस समय देश की जनसंख्या मात्र 45 करोड़ ही थी. हफ़्ते में एक दिन भूखा रहने का अर्थ था वर्ष में 52 दिन भूखा रहना. यही कड़वा सच है, दस्तावेजी ऐतिहासिक सच है.
अतः अब विचार करिए कि जिस प्रधानमंत्री के 17 वर्ष लंबे शासनकाल के बाद उसके देश को एक युद्ध के कारण वर्ष में 52 दिन भूखा रहने के लिए मजबूर होना पड़ा हो उस प्रधानमंत्री के लिए लुटियन कम्युनिस्ट मीडियाई दलाल 67 बरस तक, आज भी यह झूठ राग अलापते है कि... नेहरू अंतरिक्ष और चाँद की बात करता था. वह आधुनिक भारत का निर्माता था. जो व्यक्ति 17 बरस में देश के किसानों को इतना सक्षम भी नहीं कर सका कि वो देश की जमीन पर इतना अनाज भी उत्पन्न कर सकें जिससे 45 करोड़ देशवासियों का पेट भर जाए. जिसके 17 वर्ष के शासनकाल के बाद 45 करोड़ भारतवासी उस गेंहू को खाने के लिए मजबूर थे, जो गेंहू अमेरिकी सुअर खाते थे. उस निक्कमे नकारा निर्लज्ज प्रधानमंत्री को लुटियन कम्युनिस्ट मीडियाई दलाल आधुनिक भारत का निर्माता बताते रहे. उसकी सोच को बहुत आधुनिक और वैज्ञानिक बताते रहे. इन दलालों की धूर्तता देखिए कि मानव इतिहास की सबसे भयंकर त्रासदी "कोरोना", में जिस प्रधानमंत्री ने देश के 80 करोड़ लोगों को डेढ़ वर्ष तक निःशुल्क अनाज उपलब्ध कराया, उस प्रधानमंत्री को वही लुटियन कम्युनिस्ट मीडियाई दलाल पिछले 7 बरस से रात दिन पानी पी पीकर कोसने में जुटे रहते हैं.
विनोद कापड़ी तो प्रतीक मात्र है, यह पोस्ट लुटियन कम्युनिस्ट मीडियाई दलालों के उस के गिरोह के लिए ही है.